Page 41 - संगम - द्वितीय अंक
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                                    सरफसी अिधिनयम - एस आनंदराज, एस.एम (एफ)



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                                                                           ु
                                            ं


             2002  म  अिधिनयिमत  िव ीय  सपि यों  का   ितभितकरण  और  पनिनमाण  तथा
                                                                                    ू

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              ितभित  िहत     वतन  (सरफसी)  अिधिनयम,  भारत  म  एक  मह पण  कानन  ह        ै


                                                                            ू
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             िजसका उ   िव ीय स थानों म बकाया ऋणों की वसली को सिवधाजनक बनाना

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                                                                       ु
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                                   ं
             और गर-िन ािदत प रसपि यों को कम करना ह। यह अिधिनयम बकों और िव ीय
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                                                                                  ू
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             स थानों को उधारकताओं  ारा िडफ़ॉ  क मामल म  ितभित िहतों को लाग करन           े
              े
                                                   ै
             क िलए आव क उपकरण  दान करता ह।

                                                                    ं


             सरफसी अिधिनयम का  ाथिमक उ   बकों और िव ीय स थानों को िडफॉ  करन वाल उधारकताओं
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                                                                                           े
                                                                                                े
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                                   े
             स अपना बकाया वसलन क िलए सि य उपाय करन क िलए सश  बनाना ह।  ितभित िहत क  वतन क
                                                            े
                                                                                   ै
                                                                                          ू

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                                                                                                   े
             िलए एक काननी ढाचा  दान करक, अिधिनयम का उ   ऋण वसली  ि या को स व  थत करना और
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                                                                          ू
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             उधारदाताओं क िहतों की र ा करना ह।

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             सरफसी  अिधिनयम  भारतीय िव ीय   णाली म  अ िधक मह   रखता ह   ोंिक यह  बकों  और िव ीय


                                                                                 े
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                                                                  े
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             स थानों की ऋण दन स  जड़ जो खमों  को  बिधत  करन और  कम करन की  मता  को बढ़ाता ह। यह
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                            ं
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                                                                                         े
             सकट   प रसपि  स िनपटन क िलए अिधक कशल त  सिनि त करक िव ीय    की सम    थरता म
                                                                ं
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             योगदान दता ह। इसक लाभ :
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             सि य ऋण वसली
                                                                      े
                                                                                     े
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             अिधिनयम िव ीय स थानों को अदालती  ि याओं स जड़ी दरी को कम करत  ए, ऋण वसली क िलए
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                                                                                                       े
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               रत कदम उठान का अिधकार दता ह।
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             एनपीए को  नतम करना
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                                                                        ै
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             सरि त सपि यों पर   रत क ा और िब ी का अिधकार दता ह।
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             ऋण वसली को स व  थत करना
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                                                                                  े
             अिधिनयम सकट   सपि यों क समाधान क िलए त ाल  ाियक ह  प की आव कता को समा
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                                                          ै
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                          ू
             करक ऋण वसली  ि या को स व  थत करता ह।
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             िहतों को सतिलत करना
                                                   ु
                                                             े
             ऋणदाताओं और उधारकताओं क बीच सतलन बनात  ए, अिधिनयम सर ा उपायों और िशकायत िनवारण
                                                  ं

                                                                             ु
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             त  को शािमल करक िन  ता सिनि त करता ह।
                                                          ै
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                          िहदी की उद, बगाली, स त, नपाली और गजराती जसी भाषाओं क साथ कछ समानताए ह।
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