Page 35 - Mumbai-Manthan
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                                       












                                गणेश शे ी                                    मुलजी पडाया




                                पूव  सहा. महा  बंधक (सिचवीय)          पूव  सहा  बंधक ( शा.)
                                सेवािनवृ   दनांक 31/12/2020    सेवािनवृ   दनांक 31/03/2020
            हम,मुलजी पडाया, पूव  सहा  बंधक ( शा.) एवं गणेश शे ी, पूव  सहा. महा  बंधक (सिचवीय) िपछले
            वष  ही हडको क  अपनी-अपनी सेवा  से सेवा-िनवृ   ए  । हम अपने आप को िन य  प से ब त ही


            ब त ही भा यशाली मानते ह  क हम  दश  तर पर  िस  हडको जैसे सं थान क मुंबई  े ीय काया लय
                                                 े
                                                                                       े
            म  स वस करने का मौका िमला ।  हम दोनो ने हडको,मुंबई  े ीय काया लय1990 क दशक म  अलग-
                                                                                             े
            अलग पद  पर  वाइन  कया,जो  क इस  े ीय काया लय का शु वाती दौर था । फल व प,उस समय
                                                                                  े
            हडकोमुंबई  े ीय काया लय का आकार काफ  छोटा था । जो  क धीर-धीर बढ़ते-बढ़ते आज एक
                                                                                       े
                                                                                                  ै
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            िवशाल वृ  क  प म  हो गया ह । हडको, मुंबई  े ीय काया लय ने हडको क   गित म  सदव ही अहम
                                           ै
            भूिमका िनभाई ह ।
                             ै
            शुरवाती दौर म  काया लय म  टकलेखन का काय  टाइपराइटर पर एवं संचार का काय  टले स मशीन पर
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                                                                                             े
                                                                       े
            करना पड़ता था ।  जैसे मानो  दन क  शुरवात टाइपराइटर, टले स मशीन क  खड़खड़ से ही शु  होती
                                                                            े
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                                                                                     ं
            थी ।  उसक प ात जब क यूटर का दौर शु   आ तब शु वात क समय क यूटर का  ान  ा  कर
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            उसपर काम करना ब त ही क ठन  तीत होता था । पर जब साथ म  काम करने वाले सहयोिगय  क
            मदद  ारा सीख लेने पर क यूटर पर काय  करना आसान और सुलभ लगने लगा ।
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                                                               े
            हडको मबई   ीय कायालय म काय करत समय मरी बौि क, शार रक और आ थक उ ती  यी ।

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            हडको म िविवध सिवधा  एव काय म  जस राजभाषा पखवाड़ा, सतकता जाग कता स ाह,

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                                                                                 े
                                                            े
             व छता  दवस, हडको  थापना  दवस, वा षक खल  दवसआ द म सबक साथ सहभािगता स ब त ही
                                                                                                    े
                                                                                                        े
                                                                                       ु
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                                                                               े

            आनद  ा  होता था ।  वष म एक बार िपकिनक मनाई जाती थी िजसक कई अनभव सवािनवित क बाद

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                                                                                                   ृ

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                                                                                                        ं
                                                                                                          ं
                                                                   ं
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                                               ँ

            भी याद महमशा बस रहग ।   यहा क अिधका रय  एव कमचा रय   ारा  दपवाली, मकर स ात,
                                 े
                                                   े
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                                                                                                ू
            ओणमका योहार मनाया जाता था िजसक  ारा अनकता म एकता का आभास हमशा महसस होता था ।

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            हडको म  उपल ध  वा  य संबंिधत सुिवधा ,  व थ एवं सौहादपूण  काय  क वातावरण क  वजहसे

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            हम दोनो लोग 30 साल क  ल बी स वसपूण  करते  ए स पूण  आरो य सिहत िनवृ   ए  । हम सदव
                                                                                                           ै
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            हडको क ऋणी रहगे एवं इसक  उ ित एवं  गित क िलए  ाथ ना करते रहगे । इ ह  भावना  क साथ
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                                                             े
            अ त म  ''हडको तुझे सलाम''।
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