Page 42 - Mumbai-Manthan
P. 42








              ो सािहत  कया जाता ह । वृ ारोपण का अथ  ह, वृ  लगाकर उ ह उगाना और सही  योजन करना, न  क एक

                                  ै
                                                      ै
              दन वृ  लगाकर  अपनी इित ी कर लेना । पेड़  क  ठीक से िनरतर दखभाल नह  हो पाने क कारण अपेि त
                                                                                              े
                                                                      ं
                                                                           े
                                                                          ै
                                                  ू
                                   ै
             सफलता  ा  नह  होती ह । इसी वजह से  दषण  दन- ित दन बढ़ रहा ह ।
             कित क संतुलन को बनाए रखना, मानव क जीवन को सुखी, समृ  व संतुिलत बनाए रखने क िलए वृ ारोपण का
               ृ
                                                                                           े
                   े
                                                 े
                                ै
             अपना िवशेष मह व ह । पेड़ वातावरण को शु  व  व छ बनाते ह । वषा  िजससे हम  जल व पेय जल  ा  होता ह,
                                                                                                            ै

                                                                                                ै
                              े
                                                            ै
             वह भी  ाय :  वृ   क अिधक होने पर ही िनभ र करती ह । पेड़-पौधे िवषैली गैस  को वायुमंडल म  फलने से रोक कर
                                                  े


             पया वरण को  दिषत होने से रोकते ह । इसक िवपरीत य द हम वृ -शू य ि थित क  क पना कर तो उस ि थित म
                           ू
             मानव तो  या समुची जीव सृि  क  दशा ही िबगड़ जाएगी । इस ि थित से बचने क िलए वृ ारोपण करना अ यंत
                                                                                  े
             आव यक ह । य द हम चाहते ह  क हमारी यह धरती  दषण रिहत रह तथा इस पर िनवास करने वाला मानव
                       ै

                                                                          े
                                                              ू
                               े
                                                              े
             सुखी व  व थ बना रह तो हम  पेड़-पौध  क  र ा तथा उनक नवरोपण क  ओर िनरतर  यान दना चािहए ।
                                                                                           े
                                                                                  ं
                                       े
                                   ृ
                                                े
              ु
            कछ महानुभाव   ारा  कित क िलए कह गए कथन :   वायंभुव मनु  ारा कहा गया कथन:  क ,जब पाप अिधक
             बढ़ता ह तो धरती कांपने लगती ह .यह भी कहा गया ह  क धरती घर का आंगन ह आसमान छत ह सूय -चं   योित
                                                           ै
                                                                                               ै
                   ै
                                         ै
                                                                                 ै
                                                                        े
                                                  े
                                             े

                                                                                              े

              े
                                                                                         ृ
             दने वाले दीपक ह, महासागर पानी क मटक ह और पेड़-पौधे आहार क साधन । हमारा  कित क साथ  कया गया
                                               े
                      ै
             यह वादा ह  क वह जंगल को नह  उजाड़गा,  कित से आनाव यक िखलवाड़ नह  करगा ऐसी फसल  नह  उगायेगा
                                                     ृ
                                                                                    े
             जो तलातल का पानी सोख लेती ह । बात-बे-बात पहाड़  क  कटाई नह  करगा ।
                                         ै
                                                                           े
                                                                           े
            गु दव रव  नाथ  ारा कहा गया कथन :   मरण रिखए,  कित  कसी क साथ भेदभाव और प पात नह  करती
                 े
                                                                 ृ

             इसक  ार सबक िलए समान  प से खुले ह । ले कन जब हम  कित से अनाव यक िखलवाड़ करते ह तब उसका
                                                                    ृ

                 े
                          े
                                                                                        े
                                                             े
             गु सा भूकप, सूखा ,बाढ़ सैलाब, तूफान क  श ल म  हमार सामने आता ह  फर लोग काल क गाल म  समा जाते ह ।
                                                                         ै
                     ं

                                                                                                     ै
            महाकिव कािलदास  ारा कहा गया कथन :  शकतला बन म  पली-बढ़ी जब िवदा होकर ससुराल जाती ह तो ऋिष
                                                     ुं
                                                          े
                                                                                   ुं
                                               े

                                           े
              कित का मानवीकरण करते  ए दवी दवता  से भर वन वृ   को कहते ह  क शकतला तु ह िपलाये िबना  वयं

               ृ
             जल नह  पीती थी, जो आभूषण ि य होने पर भी  ेह क कारण तु हार कोमल प   को नह  तोड़ती थी ,जो तु हार  े
                                                           े
                                                                        े
                                                    ुं
                        े
             पुि पत होने क समय उ सव मनाती थी,वह शकतला अपने पित क घर जा रही ह तुम सब िमलकर इसे िवदा करो ।
                                                                   े
                                                                               ै
                                                                                           ै
            प  पुराण का कथन :  जो मनु य सड़क क  कनार तथा जलाशय  क तट पर, वृ  लगाता ह वह  वग  म  उतने ही
                                                       े
                                                े
                                                                      े
                                                                     ै
             वष  तक फलता-फलता ह िजतने वष  तक वह वृ  फलता-फलता ह ।
                            ू
                                  ै
                                                               ू
                        ं
            िन कष  :  ारभ म  जब तकनीक का िवकास नह   आ था, तब लोग  कित व पया वरण से सामंज य िबठकर
                                                                            ृ
             जीवनयापन करते थे, परतु तकनीक  िवकास एवं औ ोगीकरण क कारण आधुिनक मनु य म  आगे बढ़ने क  होड़
                                  ं
                                                                     े
                                              े
             उ प  हो गई । इस होड़ म  मनु य को कवल अपना  वाथ   दखाई पड़ रहा ह ।  परत पया वरण क  र ा करना हम
                                                                                  ं
                                                                                   ु
                                                                             ै
             सभी का क    ह । हम सबको िमलकर पेड़-पौधे लगाने चािहए ।  पेड़  क कटाई क िव   जाग कता फलानी
                                                                             े
                                                                                                       ै
                            ै
                                                                                     े
                                             ू
                                                                             ं
             चािहए ।  हम  पेड़ लगाने ह गे और  दिषत वातावरण को शु  करने का िनरतर  यास करना होगा । मानवजीवन
                                                                                                      ै

             को अब यह समझना होगा  क वृ  हमार स े िम  ह । वृ   क िबना सुखमय और  व थ जीवन संभव नह  ह ।
                                              े
                                                                े


                                                                                                              40
   37   38   39   40   41   42   43   44