Page 47 - संगम - द्वितीय अंक
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या ा और अ षण: नए ि ितज खोज
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या ा आपक ि ितज को ापक बनान और अिव रणीय याद बनान का एक शानदार तरीका ह। चाह आप
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नए शहरों की खोज कर रह हों, सड़क या ा पर िनकल रह हों, या िवदश या ा कर रह हों, दुिनया खोज जान े
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की ती ा कर रह आ य स भरी ह। मत भिलए, या ा का मतलब महासागरों को पार करना नहीं ह; कभी-
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कभी, रोमाच नजदीक ही इतज़ार कर रहा होता ह। या ा करना िसफ यवाओं क िलए नहीं ह। अिधक समय
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और शायद अिधक ससाधनों क साथ, यह नई स ितयों और थानों की खोज करन का सही समय हो सकता
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50 की उ म सीखना न कवल सभव ह ब अिव सनीय प स फायदमद भी ह। वा व म, कई मिहलाओं
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को लगता ह िक व अपनी यवाव था की तलना म 50 वष की आय म सीखन क िलए अिधक कि त और रत
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ह। उ इस बात की समझ ह िक उ िकस चीज़ म िच ह और व अ र इस आग बढ़ान क िलए अिधक
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समिपत होत ह। हर िदन कछ नया सीख, एक नई भाषा सीख, बनना सीख, कोई वा य बजाना सीख और
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भी ब त कछ। एक नई भाषा सीखना एक पर त चनौती ह जो आपक िदमाग को तज रखती ह और सचार
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और समझ क नए अवसर खोलती ह। जब सगीत की बात आती ह तो उ महज एक स ा ह। जसा िक टो
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न कहा, "सगीत ाड को आ ा, िदमाग को पख, क ना को उड़ान और हर चीज को जीवन दता ह।" ऐस े
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जाद ू का िह ा बनन की क ना कर!
समापन िवचार
इन अद ् भत शौकों की बदौलत 50 क बाद का जीवन अिव सनीय प स सति दायक और रोमाचक हो सकता
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ह। चाह आप कित को अपनाना चन, कला क मा म स खद को अिभ कर या प क बों या यसवा
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क मा म स द ू सरों स जड़, वहा एक शौक ह जो आपक िलए एकदम सही ह। ा आपन कभी सोचा ह िक कस े
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य शौक िसफ मनोरजन नहीं ब नई दो ी और अनभवों क वश ार हो सकत ह? आप इन शौक क साथ
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िसफ समय बबाद नहीं कर रह ह; व आपक जीवन को बहतर बना रह ह। तो आप िकस बात की ती ा कर रह े
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ह? 50 स अिधक उ की मिहलाओं क िलए य नए शौक आज़माए और दख िक य आपक जीवन म िकतनी
खिशया ला सकत ह।
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आपका और ऊजा यह प रभािषत करती ह िक आप कौन ह !!!!!
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भारत म सबस ादा भाषाए ह। िपछल 60 सालों म दश म 250 स ादा भाषाए परी तरह स ल हो गईं।
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