Page 4 - Mumbai-Manthan
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''मुंबई मंथन'' गृह पि का का यह अंक े ीय काया लय क िलए एक गौरवपूण ण ह । मुंबई
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े ीय काया लय क सभी सहयोिगय क यास से हडको, मुंबई े ीय काया लय ारा
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राजभाषा िह दी क चार- सार क दशा म अपनी गृह पि का ''मुंबई मंथन'' का इस वैि क
महामारी क दौर म ई-पि का क प काशन कया जा रहा ह । िजसम पूर वष क िविभ
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गितिविधय , उपलि धय एवं लेख, कहानी, किवता को समे कत कर गृह पि का ''मुंबई
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मंथन'' क प म तुत करते ए हम आनंद क अनुभूित हो रही ह । े ीय काया लय प रवार क
सभी सद य तथा उन सभी को िज ह ने इस पि का म अपना उ लेखनीय योगदान दया,
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उनको म हा दक बधाई दता । इस अंक म काया लय क सद य क अलावा उनक प रवार क
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ब ारा भी काफ योगदान दया गया ह, जो क बधाई क पा ह । यहां पर यह भी
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उ लेखनीय ह क ''मुंबई मंथन'' क तुत अंक का िवमोचन हडको क अ य एवं बंध िनदशक
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महोदय ारा िह दी दवस दनाक १४ िसतबर क अवसर पर कए जान का िनणय िलया गया ह ।
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आशा करत ह क ''मबई मथन'' का यह अक पाठक को िचकर तथा रणादायक तीत होगा ।
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''मबई मथन'' क सफल काशन क िलए मरी हा दक शभकामनाए ।
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मंगल कामना सिहत ।
वी. टी. सु मिणयन
े ीय मुख एवं संपादक