Page 58 - आवास ध्वनि
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संमेंय काा मेंहैंत् �
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संमेंयां �ी जाीवना �ै क्योंनिक जाीवना संमेंयां सं बोनाा �ै। संमेंयां का �ै निक प्रौाप्त अवसंरो को �ाथा सं ना जााना देीजिजाएँ । यांहिंदे �मेंना े
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संदेुपयांोगा �ी जाीवना की संफलता की कजाी �ै। �मेंारोे जाीवना अपनाा संमेंयां गापशप लगाानाे, देूसंरों की निनादेा करोनाे, औरो मिमेंत्रीं
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का निनामेंाकर्ण क्षेर्ण- क्षेर्ण क यांोगा सं बोनाा �ै। अजिधकांश लोगा क संाथा इधरो-उधरो घमेंना मेंं नाष्ट करो हिंदेयांा तो संमेंझो निक �मेंना े
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क्षेर्ण भारो क संमेंयां का मेंल्या ना�ं संमेंझत । यां�ी उनाकी भाूल जाीवना की संबोसं मेंल्यावाना वस्त को नाष्ट करो हिंदेयांा। यां�ी संमेंयां
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�ै । जाीवना क्षेर्ण भागारो औरो अनिनाश्वि�त �ै । पता ना�ं क�ां औरो �में स् वास् थ् यां औरो मेंत्यिस्तष्कृ क मिवकासं मेंं लगाा संकत �ं।
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निकसं संमेंयां मेंत्य का निनामेंत्रीर्ण आ जााएँ । अतः �मेंं अनिनाश्वि�त �रो कामें क लिलएँ एँक संमेंयां औरो �रो संमेंयां क लिलएँ एँक कामें
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संमेंयां मेंं बोहुत संारोे कामें करोना �ं। यांहिंदे �मेंना संमेंयां को व्यूथाक निनाश्वि�त �ोनाा चाहिं�एँ । कोई कायांक असंमेंयां ना�ं करोनाा चाहिं�एँ।
की गापशप औरो आलस् यां मेंं नाष्ट करो हिंदेयांा तो �में जाीवना मेंं जिजाना लोगां क पासं कामें करोना का कोई निनाश्वि�त संमेंयां ना�ं
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कोई में�ाना कायांक ना�ं करो संकगा । अत: �मेंं प्रौत्येक पल को �ोता, जाबो चा�े खाएँ औरो जाबो चा�े संोएँ, व लोगा कायांरो बोना
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कामें मेंं लानाा चाहिं�एँ। जाात �ं। जाो लोगा कायांक क लिलएँ संमेंयां निनाश्वि�त करो लत �ं उन्हीं
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संमेंयां धना सं भाी बोहुमेंल्या �ै । धना तो हिंफरो भाी कमेंायांा जाा कोई कामें भाूलता �ी ना�ं �ै। कामें मेंं लगा रो�ना सं आदेमेंी का
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संकता �ै, निकन् त जाो संमेंयां बोीत गायांा व� हिंफरो ना�ं आ मेंना बोरोी बोातं की ओंरो भाी ना�ं जााता। निकसंी ना सं�ी �ी क�ा
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संकता। निकसंी ना संच �ी क�ा �ै निक गायांा वक् त �ाथा ना�ं �ै- व्यूस्त रो�ो, मेंस्त रो�ो । अथाात खाली हिंदेमेंागा शताना का ।
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आता। संमेंयां औरो तफाना निकसंी की प्रौतीक्षेा भाी ना�ं निकयांा शरोीरो को व्यूायांामें की आवश्यकता �ै, यां� एँक ठीक �ै, निकत ु
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करोता। जिजासं मेंनाुष्य ना जावानाी मेंं धमेंक का आचरोर्ण ना�ं निकयांा ऐसं व्यूायांामें जाो शारोीरिरोक दृहिंष्ट सं कड़ पड़त �ो, यांा जिजानामेंं
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व� वद्धावस्थाा मेंं जिसंरो �ी पीटेगाा। जिसंवायां पछतावा क अलावा रुजिच का अभााव �ो, लोगां को अजिधक हिंदेना तक अच्छे ना�ं
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कछ भाी ना�ं रो�ता। सं�ी �ी क�ावत �ै निक “अबो पछताएँ �ोत लगाते। इनाक लिलएँ में�ंगा आ�ारो की भाी आवश्यकता पड़ती
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क्योा जाबो जिचनिड़यांा चगा गाई खेत” । इसंलिलएँ यां� स्वाीकत तथ्यो �ै जाो �रो निकसंी क लिलएँ संुलभा ना�ं �ै। इन्हीं कोई उत्सा� मेंं
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