Page 59 - आवास ध्वनि
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आकरो शुरू भाल �ी करो दे निकन् त अजिधक हिंदेनां तक इना निनायांमेंं कदेरोती तौरो परो संंपूर्णक शरोीरो का व्यूायांामें �ोता �ै। ट�लना सं े
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का पालना ना�ं करो संकता, क्योंनिक यां� आजिथाक रुजिच व संारोे शरोीरो की संजाीवता बोनाी रो�ती �ै। भाोजाना पचता �ै औरो
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संमेंयां की दृहिंष्ट सं में�ंगा पड़त �ं। अगा प्रौसंगां को स्वााभाामिवक शरोीरो की संफाई मेंं लगा हुएँ अवयांव तजाी सं अपनाा कामें परोा
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रूप सं संश� रोखना वाली कसंरोत ट�लनाा �ै । यां� संरोलतमें करोत �ं।अतः व्यूजि� को संदेव हिंक्रयांाशील बोना रो�नाा चाहिं�एँ
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व्यूायांामें भाी �ै औरो संवकसंाधारोर्ण क लिलएँ संुलभा एँव उपयांोगाी औरो जाीवना क प्रौत्येक क्षेर्ण का संमेंजिचत उपयांोगा करोनाा
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भाी �ै । चाहिं�एँ।
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शारोीरिरोक दृहिंष्ट सं देुबोकल व्यूजि�, स्त्ी, बोच्चे-बोढ़ संभाी अपनाी- सं�ी संमेंयां परो सं�ी कायांक करोना की बोात भागावाना श्रीकष्ण ना े
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अपनाी अवस् थाा क अनाकल इसंका लाभा उठा संकत �ं । श्रीमेंद् गाीता क अध् यांायां 6 क 17व श् लोक मेंं भाी क�ी �ै:-
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इसंमेंं निकसंी को �ानिना की संंभाावनाा ना�ं �ै। घमेंनाा स्वाास्थ्
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क लिलएँ जिजातनाा उपयांोगाी �ो संकता �ै, उतनाा �ी रुजिचकरो भाी “य�ाहैंारवि�हैंारस्य य�चष्टास्य कामेंधसंु।
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�ोता �ै। इसंसं मेंानाजिसंक प्रौसंन्नता व शारोीरिरोक स्वाास्थ् की य�स्वप्नाा�बंोधीश्य योगृो भा�वित दाु�खहैंा”
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देो�रोी प्रौनिकयांा परोी �ोती �ै। इसंलिलएँ संंसंारो क संभाी स्वाास्थ् अथाात देुखं का नााश करोना वाला यांोगा तो यांथाायांोग्य आ�ारो-
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मिवशषाज्ञां में�ापुरुषां ना इसं संवोत्तमें व्यूायांामें मेंानाा �ै। संभाी ना े मिव�ारो करोना वालं का कमेंं मेंं यांथाायांोग्य चष्टा करोना वालं का
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इसंका अपना देनिनाक जाीवना मेंं उपयांोगा निकयांा �ै । उना लोगां क औरो यांथाायांोग्य संोना तथाा जाागानाे वालं का �ी जिसंद्ध �ोता �ै।
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लिलएँ जिजान्हीं प्रौमितहिंदेना देफ्तरों मेंं बोैठकरो कामें करोनाा �ोता �ै, u में� चद्री
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घमेंनाा अत्यंत आवश्यक �ै । हिंदेना भारो देुकानां मेंं बोैठना वाले, संवानिनावृत् त सं�ायांक निनादेशक(रोा. भाा.)
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बोलिद्धजाीवी व्यूजि�यांं क लिलएँ भाी उतनाा �ी उपयांोगाी �ै। इसंसं े
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