Page 61 - आवास ध्वनि
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लाइट प वाइट लाइना टच हुआ औरो चालाना आयांा। अबो कभाी कोई वाक्योा एँक आध्यात्यित्मक मिवचारो की ओंरो ल जााता
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एँक तरोफ पंच का टंशना औरो देूसंरोी तरोफ यांलो लाइट रोै� ना �ै...जाबो कभाी रोास्त मेंं निकसंी की अमितमें यांात्रीा देखती हूं...संाथा
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�ो जााएँ इसंका टंशना...मेंं क्योा करू , इसंी कशमेंकश मेंं निक मेंं कछ लोगाो का झुं� रोामें का नाामें लत �ं...अचानाक यां संोचती
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निनाकल जााउ यांा रुक जााउ...मेंना ब्राेक लगाा �ी देी...परो कबोखत हूं...निक �रो इसंाना को जाानाा यां �ी �ै...कोई आजा तो कोई कल...
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वो �ॉप लाइना टच �ो �ी गायांा...यां कॉखि��सं �ोत हुएँ भाी में ं हिंफरो भाी �में यां भाागात रो�त �ं...कछ भाी तो ना�ं जााता संाथा
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सं�ी रुकी हु...चालाना आ �ी गायांा। वो हिंदेना �ै औरो आजा.... मेंझ े मेंं... बोसं जाो अच् छाईंयांां �मेंना की �ोती �ै व�ी यां�ाँ रो� जााता
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यांलोफोमिबोयांा �ो गायांा �ै....क�ं भाी यांलो लाइट देख में देसं �ै। संोचती हू निक इतनाी संारोी नाफ़ारोत, इष्या, देुश्मीनाी, लालच,
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कदेमें प�ल �ी रुक जााती हूं। फ़ारोेबो �ं इसं देुनिनायांा मेंं जाबो �मेंं यां भाी ना�ं पता निक �में कल
�ो नाा �ो।
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निकस्सेे तो निकतना �ं। �रो निकस्सेा एँक अनाभाव भाी �ै | कछ
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घटनाायां तो ऐसंी भाी हुई जिजासंना बोहुत कछ जिसंखायांा औरो खदे कभाी जाबो निकसंी गारोीबो को ठिठठ ु रोती ठ� मेंं मिबोनाा कप� को
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की संरोक्षेा प्रौाथामिमेंकता �ै..को संमेंझाना का कामें निकयांा। वो देख तकलीफ संी �ोती �ै, जाबो निकसंी को भाूख सं परोेशाना
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एँक काफी �रोाना वाली घटनाा थाी जाबो अचानाक एँक बोहुत �ोकरो कछ पाना की उम्मुीदे �ोती �ै, ट्रॉैहिंफक लाइट परो हिंदेना भारो
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�ी धीमें सं चलत ट्रॉैहिंफक मेंं निकसंी ना जाोरो जाोरो सं मेंरोी कारो क मेंांगात रो�त �ं, जाबो एँक छोटा बोच्चा �ाथा मेंं गालाबो ल हिंदेना
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देरोवाजा परो देस्तक देनाा शुरू करो हिंदेयांा। में मिबो�ल नावकसं �ो भारो बोेचता �ै रो�ता �ै...संोचती हू जिजादेगाी इतनाी भाी आसंाना ना�ं,
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गाई...यां लगाा शायांदे मेंरोी कारो सं क�ं निकसंी को चोट तो ना�ं शहिंक्रयांा करोनाा चाहिं�एँ भागावाना का जिजासंना �मेंं इसं लायांक
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लगा गाई...में संमेंझ ना�ं पा रो�ी थाी क्योा करू.... में मिव�ो खोलना े बोनाायांा निक �में देूसंरोे की कछ मेंदेदे करो पात �ं। संोचती हू निक
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�ी वाली थाी निक अचानाक ख्याल आयांा निक �ो संकता �ै कोई एँक इसंाना क लिलएँ निकतनाा जारूरोी �ै निक �मेंं एँक सं�ी मेंायांना े
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मेंं इसंानिनायांत �ो जाो अपनाी संमेंलिद्ध सं देूसंरोे की जिजादेगाी मेंं थाोड़ी
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गालत इसंाना �ो जाो मेंरोे मिव�ो खोलत �ी कछ लूटना की कोजिशश रोोशनाी दे संक।
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करोे औरो �ो संकता �ै मेंझ �ानिना पहुचायांे, में निकसंी तरो� मिबोनाा
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�रोे मिबोनाा घबोरोायां व�ां सं कारो तज़ चला करो ऑहिंफसं पहुची। निकस्सेे तो बोहुत �ं...कभाी कछ निकस्सेे �ँसंात �ं, कभाी मेंायांसं
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जाबो ऑहिंफसं पहुंच करो यां बोात मेंना संबो को बोताई तो निकसंी करोत �ं, कभाी कछ जिसंखात �ं...�में जाीत �ं �रो हिंदेना इना निकस्सें
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ना क�ा निक �ां कोई ऐसंा गागा �ै “ठक ठक गागा” जाो इसं तरो� को एँक जाज़्बोात की तरो�। बोहुत संारोे पलं को संमेंेटत �रो
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अकली मेंहिं�ला को देख कछ लूटना की कोजिशश करोता �ै। वो हिंदेना �में यां संफरो तयां करोत �ं। रोास्त व�ी �ं....मेंंजिजाल भाी व�ी,
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एँक संबोक �ी थाा मेंरोे लिलएँ...में संतक �ो गाई निक कोई भाी इसं परो �रो हिंदेना का संफरो एँक नायांा एँ�संासं �ोता �ै। आजा भाी
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तरो� की ब्धिस्थामित मेंं अपनाी संरोक्षेा का ख्याल रोखूंगाी। निनाकल चकी हू अपना घरो सं अपना मेंहिंदेरो (कायांालयां) की तरोफ
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इबोादेत (कामें) क लिलएँ।
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औरो हिंफरो हिंपछला अनाभाव कछ इसं तरो� मेंरोे कामें आयांा निक
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एँक बोारो कोई व्यूजि� कछ इसं तरो� मेंरोी कारो क संामेंना आ कल हिंफरो एँक नाई संबो�...एँक नायांा संफरो...एँक नायांा एँ�संासं...
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खदे को टच करोा ऐसं जिचल्लीाना लगाा निक अरोे मेंारो हिंदेयांा...परो संमेंटूंगाी, �रो एँक एँ�संासं को एँक पन्न की तरो� अपनाी जिजादेगाी
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टूट गायांा...अस्पताल जाानाा पड़गाा...उसंना यां संोचा की वो झूठ की निकताबो मेंं। कभाी जाो फसंकत सं बोठगा रिरोटायांरोमेंंट क बोादे...
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बोोलकरो मेंझ �रोा पायांेगाा यांा में �रो जााउगाी यांा उसं पसं दे देूगाी। बोहुत व� �ोगाा इना एँ�संासंं को हिंफरो सं जाीना को....ख्यालो मेंं।
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परो मेंरोे यां क�त �ी कौना संा परो टूटा...अबो देूसंरोा वाला तो�ू?... एँक मेंस्कृरोा�ट क संाथा गानागाुनााना लगाी अपनाी एँक पसंंदेीदेा
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वो संमेंझ �ी ना�ं पायांा कसं रिरोएँक्ट करू...उसंना बोोला पुलिलसं गाानाा....जिजादेगाी एँक संफरो �ै सं�ानाा..यां�ाँ कल क्योा �ो निकसंना े
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जाानाा...उरोरोीई...उरोरोरोयांयां हू हू...उरोे उरोे उउउउउ |
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बोलाऊगाा...मेंना बोोला में बोलाती हूं...हिंफरो तो जाबो उसंना देखा
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की यां�ाँ कोई देाल ना�ं गाल रो�ी तो वो व�ाँ सं निनाकल गायांा
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चुपचाप...मेंझ यां संोचना परो मेंजाबोरो करोत हुएँ निक क्योा-क्योा u पृष्पा चक्र�ती
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पैतरोे �ो संकत �ं, जाो लोगा अपनाा संकत �ै पसं क लिलयां । सं�ायांक प्रौबोंधक (आई टी)
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