Page 66 - आवास ध्वनि
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स्वास्थ् और संामेंाजि�का संंस्कृृवित
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स्वाास्थ् कवल शारोीरिरोक ब्धिस्थामित का पयांाकयां ना�ं �ै, बोब्धि� लगा �ं। इना खाद्यो पदेाथां मेंं पोषाक तत्वं की कमेंी �ोती �ै
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यां� मेंानाजिसंक, भाावनाात्मक औरो संामेंाजिजाक भालाई का भाी औरो यां स्वाास्थ् परो प्रौमितकल असंरो �ालत �ं। इसंक अलावा,
प्रौतीक �ै। स्वाास्थ् परो प्रौभााव �ालना वाली कई बोा�रोी कारोक बोढ़ती श�रोीकरोर्ण की वजा� सं लोगा तनाावपूर्णक जाीवना जाीना े
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�ं, जिजानामेंं संामेंाजिजाक संंस्कृृमित प्रौमेंुख रूप सं कायांक करोती �ै। लगा �ं, जिजासंक कारोर्ण मेंानाजिसंक बोीमेंारिरोयांं जासं जिचता,
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�रो संमेंाजा की अपनाी एँक संंस्कृृमित, रोीमित-रिरोवाजा, मेंान्यताएँ अवसंादे, औरो तनााव की संमेंस्यााएँ बोढ़ रो�ी �ं।
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औरो जाीवनाशली �ोती �ं, जाो संीध यांा अप्रौत्यक्षे रूप सं े
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लोगां क स्वाास्थ् को प्रौभाामिवत करोती �ं। संमेंाजा की आदेतं,
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परोंपरोाएँ, आ�ारो, औरो मिवचारोधारोा एँक व्यूजि� क शारोीरिरोक
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औरो मेंानाजिसंक स्वाास्थ् को आकारो देती �ं।
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संामेंाजि�का संंस्कृृवित और स्वास्थ् काा संंबंंधी
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�मेंारोे संमेंाजा मेंं स्वाास्थ् की अवधारोर्णा जिसंफ शारोीरिरोक
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बोीमेंारोी सं में� �ोना तक संीमिमेंत ना�ं �ै, बोब्धि� यां� मेंानाजिसंक
औरो संामेंाजिजाक स्वाास्थ् को भाी संस्टिम्मुलिलत करोती �ै। भाारोतीयां
संमेंाजा मेंं, पारोंपरिरोक दृहिंष्टकोर्ण संे, स्वाास्थ् को एँक संंतुलना की
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ब्धिस्थामित मेंानाा जााता �ै, जाो शरोीरो, मेंना औरो आत्मा क संामेंजास्या
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सं प्रौाप्त �ोता �ै। आयांवदे जासंी प्रौाचीना जिचनिकत्सा पद्धमितयांां पारिरोवारिरोक संंरोचनाा भाी बोदेल रो�ी �ै। संंयां� परिरोवारो की जागा�
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औरो यांोगा जासं शारोीरिरोक अभ्याासं संमेंाजा क स्वाास्थ् संंबोधी अबो एँकल परिरोवारो औरो मिववाहिं�त जाोड़ की प्रौवजित्त बोढ़ गाई
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दृहिंष्टकोर्ण को आकारो देत �ं। आयांवदे मेंं शरोीरो क आतरिरोक �ै, जिजासंसं संामेंाजिजाक संमेंथाकना का देायांरोा संीमिमेंत �ो गायांा �ै।
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संंतुलना को बोनााएँ रोखना की बोात की जााती �ै, जाो आजा क अकलापना औरो मेंानाजिसंक तनााव क मेंामेंल अबो अजिधक हिंदेखाई
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आधुनिनाक जिचनिकत्सा पद्धमितयांं क मेंकाबोल भाी प्रौासंंमिगाक �ै। देना लगा �ं, जाो संमेंाजा क लिलएँ एँक जिचता का मिवषायां �ै।
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इसंक अलावा, भाारोतीयां संमेंाजा मेंं संामेंाजिजाक संंबोधं को बोहुत स्वास्थ् का प्रवित संामेंाजि�का �ागृरूकाता
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में�त्व हिंदेयांा जााता �ै। संंयां� परिरोवारो की प्रौर्णाली मेंं परिरोजानां संामेंाजिजाक संंस्कृृमित का एँक में�त्वपूर्णक प�ल यां� भाी �ै निक
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क बोीच आपसंी सं�यांोगा औरो संामेंहिं�क गामितमिवजिधयांाँ व्यूजि� क संमेंाजा क मिवहिंभान्न वगां मेंं स्वाास्थ् क प्रौमित जाागारूकता का
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मेंानाजिसंक स्वाास्थ् को संश� बोनााती �ं। संमेंाजा मेंं एँक देूसंरोे स्तरो अलगा-अलगा �ोता �ै। गाांवं मेंं लोगा अक्सरो पारोंपरिरोक
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क संाथा मेंेलजाोल, रिरोश्तों का संम्मुाना औरो आपसंी संमेंथाकना सं े उपचारो मिवजिधयांं का पालना करोत �ं, जाबोनिक श�रोी संमेंाजा मेंं
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मेंानाजिसंक शांमित औरो संंतुलना बोनाा रो�ता �ै, जाो संमेंग्रे स्वाास्थ् तकनाीकी औरो जिचनिकत्सा संमिवधाओंं का व्यूापक उपयांोगा �ोता
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क लिलएँ आवश्यक �ै। संामेंाजिजाक अवसंरों जासं त्यो�ारों औरो
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पारोंपरिरोक संमेंारोो�ं मेंं भाागा लेनाा भाी लोगां को मेंानाजिसंक औरो
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शारोीरिरोक रूप सं ताजागाी का अनाभाव करोाता �ै।
वि�काजिसंत संमेंा� और स्वास्थ् मेंं बंदा�ा�
लनिकना, जासंा निक �में देखत �ं, वश्वीकरोर्ण औरो आधुनिनाकता
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क प्रौभााव सं �मेंारोी पारोंपरिरोक संंस्कृृमित मेंं बोदेलाव आयांा �ै।
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पश्वि�मेंी जाीवनाशली को अपनााना सं कछ स्वास्था आदेतं मेंं कमेंी
आई �ै। अजिधकतरो लोगा अबो जांक फ�, तला-भाुनाा भाोजाना, औरो
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जाल्दी-जाल्दी खाएँ जााना वाल खाद्यो पदेाथां को पसंंदे करोना े
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