Page 64 - आवास ध्वनि
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�ास्तुशि�ल्प हैंाइ�ाइट्सं क मेंाध्यमें सं आजिथाक मिवकासं को बोढ़ावा देना की उम्मुीदे
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मेंहिंदेरो का नि�ज़ाइना ऐमित�ाजिसंक तत्वं को एँकीकत करोता की जााती �ै।
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�ै, जाो परोे भाारोत मेंं लगाभागा 550 मेंहिंदेरों सं प्रौरोर्णा लता �ै। अयोध्या काा काायाकाल्प
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मेंहिंदेरो की संंरोचनाा तीना मेंंजिजाला �ै, प्रौत्येक मेंंजिजाल भागावाना
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रोामें की हिंदेव्यूयांात्रीा क एँक अलगा चरोर्ण का वर्णकना करोती �ै। मेंहिंदेरो क निनामेंाकर्ण ना अयांोध्या क कायांाकल्प क लिलएँ उत्प्ेरोक
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नाृत्यमें�प औरो संभाा में�प संहिं�त पांच में�पं क संाथा, मेंहिंदेरो का कामें निकयांा �ै। 30,923 करोोड़ रुपयां मेंल्या की 200
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जानिटल नाक्कीाशी औरो मेंमितयांं को प्रौदेजिशत करोता �ै, जाो भा�ं सं अजिधक मिवकासंात्मक परिरोयांोजानााओंं का उद्देश्य अयांोध्या
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को एँक व्यूापक अनाभाव प्रौदेाना करोता �ै। को एँक आधुनिनाक संांस्कृृमितक औरो आध्यात्यित्मक कद्रा मेंं
बोदेलनाा �ै। इसंमेंं बोुनिनायांादेी ढांांच का मिवकासं, संंदेयांीकरोर्ण
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मेंमिदार पृरिरसंरऔर बंकिनायादाी ढांांचागृत पृहैं� ू परिरोयांोजानााएँ, एँक अतरोरोाष्ट्ीयां �वाई अड्डा औरो श�रो क
एँक आयांताकारो परिरोसंरो की देीवारो (परोकोटा) सं जिघरोे मेंहिंदेरो ऐमित�ाजिसंक औरो संांस्कृृमितक चरिरोत्री का संमेंग्रेमिवकासं
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परिरोसंरो मेंं संयांकदेव, देवी भागावती, गार्णेश भागावाना औरो भागावाना शामिमेंल �ै।
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जिशव को संमेंहिंपत चारो कोना वाल मेंहिंदेरो शामिमेंल �ं। परिरोसंरो संीख और वि�रासंत
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क भाीतरो अमितरिरो� मेंहिंदेरो मिवहिंभान्न प्रौमितमिष्ठात �त्यिस्तयांं को
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श्रद्धांजालिल देत �ं, जिजासंसं संमेंग्रे आध्यात्यित्मक वातावरोर्ण को अयांोध्या रोामें मेंहिंदेरो निनामेंाकर्ण परिरोयांोजानाा बोहुमेंल्या संबोक प्रौदेाना
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बोढ़ावा मिमेंलता �ै। करोती �ै।यां� प्रौौद्योोमिगाकी क स्वादेशीकरोर्ण, संंरोक्षेर्ण क लिलएँ
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आधुनिनाक तकनाीकं क संमेंावेश, धमेंकनिनारोपक्षे भाागाीदेारोी,
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परिरोसंरो मेंं आवश्यक ढांांचागात तत्व शामिमेंल �ं, जासं संीवजा संांस्कृृमितक एँकीकरोर्ण, संामेंाजिजाक संमेंावेशना, पयांावरोर्णीयां
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उपचारो संंयांत्री, जाल उपचारो संंयांत्री, एँक अमिग्नशमेंना संवा, स्वातत्री ब्धिस्थारोता, संंरोक्षेर्ण औरो प्रौगामित की रिरोपोनिटगा मेंं पारोदेजिशता को
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मिबोजाली �ेशना औरो एँक तीथाकयांात्रीी संमिवधा कद्रा। इसंक प्रौदेजिशत करोता �ै।
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अलावा, परिरोसंरो क भाीतरो एँक संंग्रे�ालयां भागावाना रोामें औरो
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रोामेंायांर्ण सं संंबोजिधत कलाकमितयांं को प्रौदेजिशत करोता �ै, जाो किनाष्कषधत� अयांोध्या रोामें मेंहिंदेरो जिसंफ एँक धामिमेंक इमेंारोत
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मेंहिंदेरो क संांस्कृृमितक औरो शलिक्षेक में�त्व परो जाोरो देता �ै। ना�ं बोब्धि� एँक संांस्कृृमितक औरो स्थाापत्य चमेंत्कोारो �ै। यां�
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मेंहैंत्व और प्रभाा� एँक रोाष्ट् की संामेंहिं�क भाावनाा का प्रौतीक �ै, जाो परोंपरोा को
आधुनिनाकता क संाथा मिमेंश्विश्रत करोता �ै। आध्यात्यित्मक औरो
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रोामें मेंहिंदेरो का निनामेंाकर्ण अत्यजिधक धामिमेंक, संांस्कृृमितक संांस्कृृमितक आकांक्षेाओंं का मेंागाकदेशकना करोना वाल एँक प्रौकाश
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औरो संामेंाजिजाक में�त्व रोखता �ै।यां� देशकं सं चल आ रो�े स्तभा क रूप मेंं, मेंहिंदेरो भाारोत क संांस्कृृमितक पनाजााकगारोर्ण की
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धामिमेंक संंघषां क अत औरो धामिमेंक संद्भााव को बोढ़ावा देना े शुरुआत करोता �ै।
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का प्रौतीक �ै।संांस्कृृमितक रूप संे, यां� भाारोत की ऐमित�ाजिसंक
मिवरोासंत का प्रौतीक बोना जााता �ै, जाबोनिक संामेंाजिजाक रूप u डॉ अरु� कामेंार रा�ा
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संे, इसंसं धमेंाकथाक संंस्थाानां को प्रौोत्साहिं�त करोना औरो पयांकटना संंयांक् त में�ाप्रौबोंधक (परिरोयांोजानाा)
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