Page 69 - आवास ध्वनि
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                                                                              े
                 l  मिमेंशना शजि� एँक मिमेंशना मेंो� यांोजानाा �ै जिजासंका उद्देश्य   गाजारोात  क  नावसंारोी  जिजाल  मेंं  8  मेंाचक  2025  को  आयांोजिजात
                                                                                                                   े
                                                                                        े
                                                                                                          ू
                                                  े
                      मेंहिं�ला संरोक्षेा, औरो संशजि�करोर्ण क लिलएँ �स्तक्षेेप को   प्रौधानामेंंत्रीी नारोंद्रा मेंोदेी क कायांकक्रमें मेंं एँक अनाठी प�ल देखना  े
                              ु
                      मेंज़बोूत करोनाा �ै।                            को मिमेंली। इसं हिंदेना को अतरोाष्ट्ीयां मेंहिं�ला हिंदेवसं क रूप मेंं
                                                                                           ं
                                                                                              क
                                                                                                               े
                                                                                                         ु
                                                                      मेंनाायांा गायांा। इसं अवसंरो परो प्रौधानामेंंत्रीी की संरोक्षेा मेंं पूर्णक रूप
                      क
                   ं
                 अतरोाष्ट्ीयां मेंहिं�ला हिंदेवसं �रो संाल 8 मेंाचक को मेंनाायांा जााता
                                                                                                              े
                                                                       े
                                                                                ु
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                                                          े
                 �ै, जाो मेंहिं�लाओंं की उपलब्धिब्धयांं को संम्मुाना देना औरो उन्हीं   सं मेंहिं�ला संरोक्षेाकमेंी �ी तैनाात थाी। यां� संबो उनाक वतकमेंाना
                                                                            े
                                                                                                              े
                                                                      ब्धिस्थामित क संाथा शजि�, कौशल, संा�सं औरो देक्षेता क स्तरो को
                                                          े
                                                               ि
                 प्रौोत्साहिं�त करोना का हिंदेना �ै। यां� हिंदेना मेंहिं�लाओंं क आजिथाक,   देशाकता �ै |
                              े
                 संांस्कृृमितक,  रोाजानाीमितक  औरो  संामेंाजिजाक  क्षेेत्रीं  मेंं  यांोगादेाना
                                                                                                          े
                                                                                                                ु
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                                                    े
                 को मेंान्यता देना का अवसंरो �ै। 1975 मेंं इसं संंयां� रोाष्ट् द्वाारोा   नारो-नाारोी क संमेंाना अजिधकारो की घोषार्णा करोत हुएँ, संप्रौजिसंद्ध
                             े
                                                        ु
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                                                                                                                   े
                 औपचारिरोक रूप सं मेंान्यता प्रौाप्त हुई, औरो तबो सं यां� हिंदेना   संाहिं�त्यकारो  ‘जायांशंकरो  प्रौसंादे  की  यां�  पजि�यांा  �मेंशा
                                                          े
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                                      े
                 देुनिनायांाभारो मेंं मेंहिं�लाओंं क अजिधकारों औरो संमेंानाता की हिंदेशा   ध्यातव्यू �ोनाी चाहिं�एँ।
                 मेंं एँक बोड़ा मिवशषा हिंदेना �ोता �ै।                “तमें भा� गृए पृुरुषत्व मेंोहैं मेंं काछ संत्ता हैंै नाारी काी,
                               े
                                                                                                ु
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                 आजा वतकमेंाना मेंं �में मेंहिं�लाओं की ब्धिस्थामित को देख तो व� �रो   संमेंरसंता हैंै संंबंंधी बंनाी अविधीकाार और अविधीकाारी काी।”
                 क्षेेत्री मेंं अपनाा परोचमें ल�रोा रो�ी �ं, रोक्षेा क्षेेत्री मेंं जा�ाँ पुरुषां को    -जायांशंकरो प्रौसंादे
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                                                             े
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                 ज्योादेा कशल मेंानाा जााता थाा, व�ा परो आजा व� कध सं  कधा   नाारी! तमें का�� श्रीर्द्ा हैंो/ वि�श्वाासं-र�त-नागृ पृगृत� मेंं।
                                                         ं
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                 मिमेंलाकरो खड़ी �ं।                                   पृीयूष-स्रोोत-संी बंहैंा कारो/ �ी�ना का संुंदार संमेंत� मेंं।
                                                                                                   े
                                                                                                        -जायांशंकरो प्रौसंादे




                                                                                                                  ु
                                                                                                             ु
                                                                                                   u संुमिमेंत कामेंार गृ�ा
                                                                                                  ं
                                                                                                       ु
                                                                                                हिं�देी अनावादेक, रोाजाभााषाा
                                                                                                               ��को




                                                                                                                  69
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