Page 48 - Lakshya
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हम होंग क मय ब                                      स्िच्छ ि रत
                                   े

                                                                                            ै
                         धोत-धोत नमस्त सीिो,                             िम सबका बस एक ि सपना,
                                 े
                             े
                                        े
                           नमस्त स समलना |                               भारत को स् च्छ बनाना ि ।
                                                                                                 ै
                                    े
                                 े
                                                                         यि सपना अब सच करना ि,
                                                                                                  ै
                            सफाई रिी िमन,                                  दश को स् गश बनाना ि।
                                           े
                                                                                                ै
                                                                             े
                           उतना भाग कोरोना |
                                    े
                                                                              बच्च बूढ़ यु ा को,
                                                                                  े
                                                                                      े
                       घर बठ-बठ थक गए िम तो,                                समलकर आगे आना ि,
                             े
                            ै
                               ै
                                े
                                                                                               ै
                         सेंट िोसफ कब िुलना |                              भारत कस स् च्छ बनेगा,
                                 े
                                                                                    े
                                                                                  ै
                                                                           सब को यि समझाना ि।
                                                                                                ै
                            बस करो अब तो,
                      स्क ू ल िाकर ि सबस समलना |                           बाग़ बगीच साफ रिें सब,
                                         े
                                   ै
                                                                                    े
                                                                            सड़क साफ रिें सारी ।
                         धोत-धोत नमस्त सीिो,                                    े
                                        े
                                 े
                             े
                                                                                     े
                           नमस्त स समलना |                                गली मोिल्ल साफ रिें सब,
                                    े
                                 े
                                                                            नहदया साफ रिें  सारी।

                                             मनमोहहत भसांह,                                          मोहक ित्स
                                                                                                    ां
                                                                                             ि
             सुपुत्र श्री हरविन्दर प ल भसांह,  उप प्रबिक –आई टी            सुपुत्र श्री गौरि शम ,  उप प्रबिक (प्रश ०)
                                               ां








                                                                                                         िं
                 मोिक  त्स सुपुत्र श्री गौर  शमाश, उप प्रबधक        मोिक  त्स सुपुत्र श्री गौर  शमाश, उप प्रबधक
                                                      िं
                         (प्रशा०) की िूबसूरत पेंहटिंग                       (प्रशा०) की िूबसूरत पेंहटिंग









                                                                                                           44
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