Page 34 - तुतारी
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एक सु र   ांत                             भालचं  पालकर
                                                                                         एस. सी. डी. (व र )


                                             े
                                                                                         े
             एक   दन  शाम  क  समय  सरयू  नदी  क  तट  पर  तीन   भाइय   क  साथ  घूमते   ए  भरत  ने  बड़  भाई   ी  राम  से  कहा,
                                                                 े
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                                 ं ू
                                                                                             े
                                                        े
                                         ै
             “म   आपसे  एक  बात  पूँछ  दादा?  ककई  ने  म  थरा  क  कहने  पर  राज ोह   कया?  एक  ओर  रा   क  भावी  राजा  और
             उनक   प ी  को  14  वष   का  वनवास  भोगना  पड़ा  और  दस ू री  ओर  महाराजा  दशरथ  को  के वल  पु - वरह  के   क  पना
                          े
             मा   से  मौत  क  घाट  उतार   दया।  सामा    नयम   क  अनुसार  य द  ऐसा  ष ं   कोई  अ  य    य    ने   कया  होता
                                                          े
                                               ै
             तो  उसक   सजा  मौत  होती,   फर  आपने  ककई  को  सजा      नह   दी,  जो  आपक   मां  भी  ह  ?”

             इस  पर  भगवान  रामच   हसे  और  बोल,  ''  भरत!   तुम  जानते  हो   क  जब   कसी  कल  म   च र वान  और  धम परायण
                                    ँ
                                              े
                                                                                 ु
                                   े
                                                    े
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                                                                           े

                                           े
             पु   पैदा  होता  ह,  तो  उसक  ज  म  लने  से  उसक  पूव ज   क  पीढ़ी-दर-पीढ़ी  क  असं  य  पाप  धुल  जाते  ह।   जस  माँ  ने
                                                            े
             भरत  जैसे  प व ा  मा  को  ज    दया  हो,  वह  अपराधी  कसे  हो  सकती  ह?  और  उसे  सजा  कसे  दी  जा  सकती  ह?  भरत!!
                                                                                                     ै
                                                                      ै
                                                          ै
                                                                                     ै
                                                                  ै
             भरत  इस  उ  तर  से  संतु   नह    ए।  उ  ने  कहा,  "यह   लोभन  ह  दादा,  और  राजा  का  कानून   लोभन  से  मु   होना
                                           ृ
                                                                                                   ं
                                                                                          ै

             चा हए,  पर  होना  चा हए।  तो,  दादा,  कपया  मुझे  एक  राजा  क   तरह  उ र  द   क  आपने  माता  ककई  को  दड      नह
                      े
                                                                                  ै
                                                                                           ै
              दया?"  यह     न  आपका  छोटा  भाई  नह ,  ब    अयो ा  का  एक  आम  नाग रक  ह  पूछ  रहा  ह।"
                                                                                            े
             भगवान   ी  राम  ग ीर  हो  गए......   ी  रामच   जी  एक   ण  क   लए  मौन  रह  और  बोल,  "ह  भरत!  अपने   कसी
                                                                                े
                                                                   े
                                                                                        े
             संबंधी  या   नकट  क       को  उसक  अपराध  क   सजा  न  दना  इस  सृ    का  सबसे  कठोर  दड  ह!!  माँ  ककई  ने
                                                                े
                                                                                               ै
                                                                                            ं
                              े
                                                                                                      ै
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                                                                          ै
                                                                                       े
             अपने   सफ  एक  अपराध  क   इतनी  कठोर  सजा,  द  ड  का  भोग   कया  ह   क  वनवास  क  चौदह  वष   म   हम  चार

                                                                                  े
             भाई  अपने-अपने   ान  पर  रह  और  समय  क   ब त  सी    तकल  प र   तय   क   खलाफ  संघष    कया।  ल कन
                                                                                                        े
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                                            े
                                                                                       े
             माता  ककई  ने  हर  पल  कवल  और  कवल  मृ ु  का  अनुभव   कया।  अपने  एक  अपराध  क   लए  उ  ह ने  अपना  प त
                    ै
                                   े
             और  अपने  चार  बेट   को  खो   दया।  उ  ह ने  अपने  हाथ   ही  अपनी  सारी  खु शयाँ,  अपनी  सारी  ग रमा  खो  दी,  और   फर
                                                                                                        े
             भी  वह  अपराधबोध  क    नरतर  भावना  से  कभी  मु   नह   हो  सक ।  जैसे  ही  वनवास  ख    आ  ....प रवार  क  शेष
                                    ं
             सद   सुखी  और  संतु   थे;  ल कन  वह  कभी  संतु   नह   हो  पा ।  कोई  राजा   कसी  म हला  को  इससे  अ धक  कठोर
                                      े
              ं
                              ै
                      े
             दड   ा  द  सकता  ह?  मुझे  हमेशा  दख ु   होता  है   क  यह  मेरी  वजह  से   आ   क   बना   कसी  कारण  के   मेरी  माँ  को
             इतनी  कड़ी  सजा  भुगतनी  पड़ी।"
                                         ँ
                                 ं
             राम  क  ने    से  आँसुओ  क   धाराए  बहने  लग   और  भरत  स हत  सभी  भाई  अवाक  रह  गए।
                   े
                                                            31
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