Page 27 - Mumbai-Manthan
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दीपावली क छ टटय म अपने प रवार क साथ पय टन क येजना बनाई । इस बार हम सबने कसी
ऐितहािसक थान को दखने का िन य कया और सबक िनण य से रायगढ़ कला दखने जाने क तैयारी
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क । रायगढ़ हमार इितहास का गौरव ह । लगभग तीन सौ वष पहले यहां िशवाजी महाराज क
राजधानी थी । यह वे िह द सा ा य क छ पित बने और यह उ ह ने एक े शासक का यश पाया ।
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पय टन क िलए इससे अ छा और कौन सा थान हो सकता ह ।
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ठाणे से हम सब कार ारा रायगढ़ प चे । वहां से रायगढ़ कले पर जाने क िलए रापवे जाना पड़ता ह ।
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जब हम रोपवे से जाते ह तो रोपवे से ब त गहराई तक दखाई पड़ता ह वह नजारा दखकर ब त आन द
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आता ह और डर भी लगती ह । यह एक पहाड़ी इलाका ह, चार ओर टकि़डयां ह । आस-पास कछ गांव
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बसे ह । वष क बाद यहां का द य बड़ा ही सु दर लगता ह । चार तरफ ह रयाली दखाई द रही थी ।
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हर-भर ऊचे-ऊचे वृ क कारण जंगल का आभास हो रहा था । जब हम कले क पास प चे तो हमारी
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खुशी और अिधक बढ़ गई । काले प थर क एक शानदार ले कन टटी-फटी इमरत सामने खड़ी थी ।
महारा सरकार ने कले क द ती करवाई ह । ले कन ऐसे थान पर काल का भाव तो पड़ता ही ह ै
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। कले क दखरख क िलए वहां एक थाई काया लय भी खोला गया ह ।
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इस समय वहां ब त सार लोग पय टन क िलए आये ए थे । उसम कई िवदशी लोग भी पय टन क िलए
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आये थे । ार खुलने पर हम सब लोग कले क भीतर गए । सामने एक बड़ा हॉल दखाई दया । गाईड
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ने बताया क वहां छ पित िशवाजी महाराज का दरबार लगता था । हॉल क पास ही तोप घर था जह
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बड़ी-बड़ह तोप रखी जाती थ । उसक आस-पास बड़-बड़ कमर थे जो अब टट-फट थे । कहते ह क
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इनम छ पित िशवाजी महाराज क सरदार, मं ी रहते थे । आगे चलने पर घास से भरा आ एक बड़ा
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मैदान दखाई पड़ा । पता चला क छ पित िशवाजी महाराज क शासन क दौरान यहां एक िवशाल
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उ ान था । उसी क पस कछ उचाई पर कई कमर थे । यह छ पित िशवाजी महाराज क महल का भाग
था । गाईड ने वह जगह भी हम दखाई जहां छ पित िशवाजी महाराज का कमरा था । टटी-फटी और
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िगरी ई दीवार ाचीन कला क भ ता का आभास करवा रही थ । उनक बीच हरी-हरी घास उगी
ई थी । हमारा मन उस काल म खो गया जब सचमुच रायगढ़ म छ पित िशवाजी महाराज रहते थे ।
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लगभग दो-तीन घंट क बाद हम कले से बाहर िनकले ।
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रायगढ़ कला काफ ऊचाई पर ह । ऐितहािसक प स यह आज भी सरि त ह । उसक छत ज र गायब
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हो गई ह ल कन दीवार आज भी काल स ट र लती ई खड़ी ह । रायगढ़ कल को दखकर हम ब त
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भािवत ए । छ पित िशवाजी महाराज क गौरवगाथा को याद करत ए हम वहा स वापस आए ।
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नेहा कानड े
सुपु ी – चं का त कानडे
बंधक (िव ) 25