Page 10 - आवास ध्वनि
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मेंं, निकसं अनाशासंना मेंं �मेंारोी अहिंभारुजिच �ै, �मेंारोा रुझाना   का भाी एँक संश� संाधना बोना गायांा �ै। रोेलव मेंं निनायांजि�यांं
                                                                                                          े
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                    �ै औरो निकसं अनाशासंना मेंं �में हिं�देी की रोचनाात्मता का   क बोो� द्वाारोा आयांोजिजात चयांना परोीक्षेाओंं मेंं भाी अनावादे अबो
                                               ं
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                                                                            क
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                    उपयांोगा करोनाा चा�त �ं; यां� �मेंं स्वातः तयां करोनाा �ोगाा।   में�त्वपूर्णक भाूमिमेंका निनाभाा रो�ा �ै।
                                                                                                 ं
                                                                                                           े
                    ं
                  मिहैंदाी मेंं रोज़गृार का उपृ�ब्ध अ�संर             इसंी  प्रौकारो,  तकनाीकी  क्षेेत्रीं  मेंं  कप्यूूटरो,  जिसंनामेंा,  देूरोदेशकना,
                                 े
                                                                      रोेनि�यांो आहिंदे क्षेेत्रीं मेंं भाी अनाेक प्रौकारो की चयांना परोीक्षेाओंं मेंं
                                                   े
                                           ं
                  जिशक्षेा,  जिशक्षेर्ण,  प्रौजिशक्षेर्ण  एँव  ज्ञााना  क  क्षेेत्री  मेंं  अवसंरो:
                                                                        ु
                  आजा  कशल  संक्षेमें  एँव  अजिधकारोी  अनावादेकं  की,  हिं�देी-  अनावादे-कला मेंं अजिधकारो वरोदेाना जिसंद्ध �ो रो�ा �ै।
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                  कायांाकन्वयांना को संाथाककता प्रौदेाना करोना वालं की, संवाकजिधक   �नासंंचार मेंाध्यमें और संूचनाा प्रौद्योोमिगृकाी का क्ष� मेंं अ�संर
                                                                                                            े
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                  आवश्यकता जिशक्षेा क क्षेेत्री मेंं �ै। रोाष्ट्ीयां जिशक्षेा नाीमित 2020   यां�  यांगा  संूचनाा  औरो  संंचारो-क्रांमित  का  यांगा  �ै।  आजा  हिंप्रौट
                                                                           ु
                                                                                                        ु
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                  मेंं भाी अनावादे औरो अनावादेकं को ‘नाएँ भाारोत’ क निनामेंाकर्ण का   मेंीनि�यांा, इलेक्ट्रॉॉनिनाक मेंीनि�यांा, संोशल मेंीनि�यांा जासं निकतना �ी
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                                                                                                                   े
                                                                                                            ै
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                  एँक संश� एँव संाथाकक संाधना बोतायांा गायांा �ै। आजा हिं�देी   क्षेेत्री हिं�देी मेंं आजाीमिवका क लिलएँ खुल रो�े �ं। अनावादे तथाा
                                                                ं
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                                                                                                              ु
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                  एँव  भाारोतीयां  भााषााओंं  क  जिशक्षेर्ण-क्षेेत्री  मेंं,  देश-मिवदेश  की   मेंौलिलक हिं�देी मेंं लेखना करोना वाल भााषाा क अजिधकारिरोयांं क
                     ं
                                                             े
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                  भााषााओंं ना अनावादे क मेंाध्यमें सं क्रांमित पदेा की �ै। यांहिंदे �में   लिलएँ अबो नाएँ भाारोत मेंं रोोज़गाारो क अशषा अवसंरो मिवद्योमेंाना �ं।
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                  संफल औरो संाथाकक जिशक्षेक बोनानाा चा�त �ं, प्रौाध्यापक यांा   संमेंाचारो-वाचना, संमेंाचारो-लेखना, संमेंाचारो-अनावादे, संमेंाचारो
                                                   े
                                                                                                           ु
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                  प्रौोफसंरो बोनानाा चा�त �ं तो अनावादे-कला मेंं जिसंद्ध�स्त �ोनाा   क  स्रोोतं  का  ज्ञााना,  कप्यूूटरो  मेंं  जिसंद्ध�स्तता  आहिंदे  सं  भाी
                                                                                        ं
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                  अत्यंत आवश्यक �ै। अनावादे एँक कला भाी �ै, ‘मिवज्ञााना’ भाी �ै   आजाीमिवका क अनाेक अवसंरो उद्घाानिटत �ो रो�े �ं। न्य मेंीनि�यांा क
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                                                                                े
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                  औरो ‘जिशल्प’ भाी। प्रौमितयांोगाी परोीक्षेाओंं क जिशक्षेर्ण-  प्रौजिशक्षेर्ण-  अतगाकत अबो अनावादे क संाधना भाी निनारोंतरो बोढ़ रो�े �ं। ट्वीीटरो परो,
                                                                                       े
                                                                       ं
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                  संंस्थाानां मेंं भाी �में संभाी अनाशासंनां क संंदेभाक मेंं देख संकत �ं   ब्लॉॉगा रोाइनिटगा मेंं, अनावादे क अनाेक नाएँ एँप्स द्वाारोा, कप्यूूटरो
                                        ु
                                                                े
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                  निक अनावादे एँक संश� मेंाध्यमें बोना गायांा �ै। अनाेक प्रौकारो क   औरो इटरोनाेट की संमिवधाओंं द्वाारोा भाी अबो अनावादे क नाएँ क्षेेत्री
                                                                          ं
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                  रोोज़गाारोमेंूलक कायांक क्षेेत्रीं में प्रौवेश लना क लिलएँ, आजाीमिवका   एँव आयांामें उद्घाानिटत �ोत जाा रो�े �ं।
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                  अजिजात करोना क लिलएँ संरोकारोी औरो गारो-संरोकारोी संभाी संंस्थााना
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                     ि
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                                                                               े
                          े
                  अनावादे क मिबोनाा जिशक्षेर्ण-प्रौजिशक्षेर्ण करो �ी ना�ं पाते। बोंक   वि�ज्ञाापृना का क्ष� मेंं मिहैंदाी और अना�ादा संंबंंधीी अ�संर
                     ु
                  की नाौकरोी का प्रौजिशक्षेर्ण �ो यांा बोीमेंा क्षेेत्री �ो,  संंघ लोक   यांहिंदे अभ्याथाी क पासं संजानाात्मकता का गार्ण �ै, कल्पनाा की
                                                                                                       ु
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                                                                                  े
                  संवा  आयांोगा  सं  मिवज्ञााहिंपत  पदें  का  क्षेेत्री  �ो  यांा  नााटक  क   रोचनाात्मकता उपलब्ध �ै औरो भााषाा तथाा अनावादे परो अजिधकारो
                                                                 े
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                  जिशक्षेर्ण-प्रौजिशक्षेर्ण का क्षेेत्री �ो, जिसंनामेंा औरो मिवज्ञाापना -कला   �ै, तो अवसंरों की कमेंी ना�ं �ै। नाौकरिरोयांं, मिववा� क, कारो,
                                              े
                                                                                                                े
                  क जिशक्षेर्ण-प्रौजिशक्षेर्ण का क्षेेत्री �ो, संभाी मेंं अनावादे रोोज़ी-रोोटी   घरो, देुकाना आहिंदे क क्रयां-मिवक्रयां, न्य मेंीनि�यांा मेंं ऑना-लाइना
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