Page 13 - आवास ध्वनि
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दा�नाागृरी लि�मिपृ
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दा�नाागृरी लि�मिपृ काी वि�काासं या�ा भाारोत मेंं मेंध्यप्रौदेश ब्धिस्थात भाीमेंबोेटका क शलाश्रयां मेंं परोापाषाार्ण
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आहिंदेमें यांगा सं मेंानाव ना अपना मिवचारों, भाावनााओंं औरो में�त्वपूर्णक काल क शैलजिचत्री भाी प्रौाचीना जिचत्री-लिलहिंप क उदेा�रोर्ण �ै। यां े
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संूचनााओंं को पवकतजिशलाओंं, गाफा की हिंदेवारों, ताम्रपत्रीं परो मेंानाव द्वाारोा अपना मिवचारो, भाावनााओंं यांा संूचनााओंं को लिलखिखत
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लिलखा यांा उकरोा जााना लगाा। अत: यां� क� संकत �ं निक परोे रुप मेंं संंप्रौमिषात करोना क प्रौारोस्टि�क प्रौयांासं थाे। यां�ी कारोर्ण
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जाीव-जागात मेंं कवल मेंनाुष्य �ी लिलहिंप का प्रौयांोगा करोता रो�ा �ै निक मेंानाव संभ्याता निनारोन्तरो इसं उद्योमें मेंं लगाी रो�ी �ै निक
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�ै। लिलहिंप का वतकमेंाना परिरोमेंाजिजात स्वारुप जिजासं लबोी यांात्रीा का एँक ऐसंी आदेशक लिलहिंप बोनााई जााएँ जिजासंमेंं मिवचारों को निनातांत
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परिरोर्णामें �ै, उसंका आरोंभा जिचत्रीलिलहिंप सं हुआ �ै। जिचत्रीलिलहिंप वस्तुनिनाष्ठा अहिंभाव्यूजि� मिमेंल संक।
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(Pictograph), भाावलिलहिंप (Ideograph), संंकतलिलहिंप संवाकजिधक स्वाीकायांक ऐमित�ाजिसंक स्थाापनाा क अनासंारो,
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(Logograph), ध्वन्यात्मक लिलहिंप (Phonographic) एँव ं आधुनिनाक लिलहिंप की शुरुआत मेंसंोपोटामिमेंयांा की कीलाकारो
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आक्षेरिरोक लिलहिंप (Alphabetic) लिलहिंपयांं क मिवकासंक्रमें क (cuneiform) लिलहिंप सं मेंानाी जााती �ै। प्रौाप्त परोातात्यित्वक
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अलगा-अलगा पड़ाव �ै। संाक्ष्ं सं यां� संंकत मिमेंलता �ै निक इसंका प�ले-प�ल प्रौयांोगा
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प्रौागामित�ाजिसंक काल (Prehistoric period) क जिशलालखं, व्यूापारिरोक लना-देना क हिं�संाबो क लिलएँ निकयांा जााता थाा। इसंी
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हिंभाजित्तजिचत्रीं को देखकरो यां� अनामेंाना लगाानाा सं�जा �ै निक प्रौकारो प्रौाचीनातमें भाारोतीयां लिलहिंपयांं मेंं जिसंधु-घाटी संभ्याता की
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मेंनाुष्य मेंं अपना भाीतरो संंजिचत संूचनााओंं औरो ज्ञााना को लिलखकरो लिलहिंप का नाामें आता �ै। इसं लिलहिंप को परोी तरो� पढ़ना मेंं अबो
संरोलिक्षेत रोखना की उत्कोठा रो�ी �ै। निकसंी संत� परो अपना े तक कोई संफलता ना�ं मिमेंली �ै।
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मिवचारो लिलखना यांा देजाक करोना क प्रौाचीनातमें प्रौमेंार्ण इ�ोनाजिशयांा लिलहिंपयांं की आबोगाीरोा प्रौर्णाली, जिजासंमेंं बो�त्तरो ब्रााह्मीी-लिलहिंप
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क जाावा द्वाीप सं प्रौाप्त हुएँ �ं। यां�ाँ परो एँक संीपी परो अनिकत परिरोवारो आता �ै, देवनाागारोी का उद्गमें �ै। इसं तरो� की लेखना
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आड़ी-मितरोछी रोेखाएँ एँक ज्योामिमेंतीयां अनाशासंना मेंं हिंदेखाई प्रौर्णाली मेंं व्यूजाना वर्णक क संाथा स्वारो क संंयांोजाना सं एँक स्वातत्री
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पड़ती �ं औरो संजिचमितत रुप सं एँव प्रौयांोजानापवकक उकरोी गाई �ं। इकाई बोनाती �ै औरो इना इकाइयांं की एँक श्रृंखला �ोती �ै।
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परोातत्ववत्ताओंं (Archaeologists) का मिवचारो �ै निक यां�
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4,30,000 वषाक परोानाी औरो �ोमेंो इरोेक्ट्सं (Homo erectus) प्रौाचीना ब्रााह्मीी लिलहिंप 500 ईस्वाी पवक सं लेकरो 350 ईस्वाी तक
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द्वाारोा बोनााई हुई �ो संकती �ै। चलती रो�ी। इसंक बोादे भाारोतीयां इमित�ासं मेंं कला-संाहिं�त्य
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क उत्कोषाक का स्वार्णककाल संमेंझ जााना वाल गाुप्त-काल मेंं प्रौाचीना
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मिवश्व क पाषाार्ण-अहिंभालेख क प्रौाचीनातमें उदेा�रोर्ण उत्तरोी स्पना ब्रााह्मीी लिलहिंप की देो प्रौचलिलत शैलिलयांं मेंं सं उत्तरोी शली सं े
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क अल्ताामिमेंरोा स्थााना परो मिमेंल गाफाजिचत्री �ं जिजान्हीं 36000 सं े मिवकजिसंत लिलहिंप को गाुप्त शासंकं ना गाुप्त लिलहिंप का नाामें हिंदेयांा।
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15000 वषाक परोानाा बोतायांा गायांा �ै। यां जिचह्न (जिचत्री) आधुनिनाक गाुप्त लिलहिंप सं �ी कनिटल लिलहिंप का मिवकासं हुआ औरो इसंका
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मेंानाव यांा �ोमेंो संहिंपयांसं (Homo sapiens) द्वाारोा बोनााएँ हुएँ प्रौभााव काल छठी शताब्दी सं लेकरो आठवं शताब्दी तक
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�ोना का अनामेंाना �ै। मेंानाा जााता �ै। देवनाागारोी का मिवकासं कनिटल लिलहिंप सं हुआ।
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