Page 11 - आवास ध्वनि
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खरोीदेनाे-बोेचनाे, घरो, देुकाना, संंस्थााना निकरोाएँ परो लनाे-देनाे, क कायांालयांं, रोाजादेूतावासंं, संांस्कृृमितक कद्रां, देश-
ज़मेंीना, मेंकाना, वा�ना, संंपजित्त आहिंदे क खरोीदेनाे-बोेचनाे, , खोना े मिवदेश सं आना वाल यांा देश-मिवदेश मेंं जााना वाल संरोकारोी
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यांा पानाे, जाीवना यांा मेंत्यु, स्मृृमित यांा स्तमित, जिचनिकत्सा, मेंद्यो- प्रौमितनिनाजिधयांं क में�लं क संाथा, रोाजानाताओंं, वैज्ञाानिनाकं
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निनाषाेध यांा प्रौाकमितक आपदेाओंं, जानाजाागारोर्ण, जिशक्षेा, प्रौजिशक्षेर्ण, तथाा जिशक्षेामिवदें क संाथा भाी इसं प्रौकारो क ‘इटरोप्रौेटरो’ अथााकत ्
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संेल यांा प्रौदेशकनिनायांं, मेंलं, निनायांमेंं-कानानां, अजिधकारों तथाा तत्कोाल भााषाांतरोर्णकत्ताक बोड़ी संंख्या मेंं प्रौमितवषाक चाहिं�एँ �ोत े
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रोाष्ट्ीयां-अतरोरोाष्ट्ीयां संमेंाचारों, संूचनााओंं, खलं, जिसंनामेंा �ं। पयांकटना, धमेंक, खलं, जिचनिकत्सा, पयांकटना-जिचनिकत्सा, मिवजिध क
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क मिवज्ञाापना �ं, संभाी मेंं हिं�देी क शब्द औरो शब्दावली क क्षेेत्री मेंं भाी आजा हिं�देी अनावादे तथाा आश अनावादे क क्षेेत्री मेंं
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वजिशष्ट् की संमेंझ मिवकजिसंत करोनाी �ोती �ै। न्यज़ एँजाजिसंयांं देक्षे मिवशषाज्ञां की आवश्यकता लगाातारो बोढ़ रो�ी �ै।
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मेंं भाी नाौकरिरोयांं की अशषा संंभाावनााएँ मिवद्योमेंाना �ं। इसं क्षेेत्री मेंं
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ग्लैैमेंरो भाी �ै औरो पसंा भाी �ै। मिवज्ञाापना की देुनिनायांा, उपभाो�ा- जिचकिकात्साा का क्ष� मेंं रोज़गृार का नाए अ�संर
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मेंनाोमिवज्ञााना को संमेंझना की, संमेंाजा-मेंनाोमिवज्ञााना को संमेंझना े अबो संुखदे उपलब्धिब्ध �ै निक देश मेंं एँमें.बोी.बोी.एँसं की जिशक्षेा-
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की देुनिनायांा �ै। बोच्चं, यांवाओंं, मेंहिं�लाओंं, निकसंानां, ग्रेामेंीर्णं देीक्षेा, परोीक्षेा एँव अभ्याासं भाी हिं�देी मेंाध्यमें सं प्रौारोंभा सं गायांा
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औरो बोजागां क लिलएँ मिवज्ञाापना लिलखनाे, अहिंभानाीत करोना मेंं भााषाा- �ै। �ॉत्यिस्पटलं मेंं, नाजिसंगा �ोमें आहिंदे मेंं भाी जानासंामेंान्य को हिं�देी
प्रौयांोगा, अनाप्रौयांोगा की संमेंझ, आरोो�-अवरोो� की संमेंझ, मेंुख- क मेंाध्यमें सं उपचारो मिमेंले, इसंक भाी प्रौावधाना निकएँ जाा रो�े �ं।
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मेंुद्राा, �ाव-भााव औरो आमिगाक चष्टाओंं क संंप्रौषार्ण की संमेंझ को हिं�देी अनाुभाागा, अनावादेक, रोाजाभााषाा अजिधकारोी, हिं�देी टंकक,
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भाी बोढ़ानाा �ोता �ै। हिं�देी सं�ायांक, हिं�देी आशुलिलहिंपक आहिंदे क पदे भाी प्रौमितवषाक
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अपक्षेा एँव संमेंयांानासंारो मिवज्ञााहिंपत �ोत रो�त �ं। मेंनि�कल
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अना�ादा का क्ष� मेंं आं�ीवि�काा का अ�संर
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संाइसं की पाठ्य-पुस्तक, संंदेभाक ग्रेथा, पाठ्य-संामेंग्रेी आहिंदे
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भाारोत देश मेंं हिंद्वाभाामिषाकता क संंवधानिनाक प्रौावधाना �ं। रोाजाभााषाा क हिं�देी मेंं मेंौलिलक लेखना औरो अनावादे की आवश्यकता
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हिं�देी क कायांान्वयांना का क्षेेत्री �ो यांा जिशक्षेर्ण-प्रौजिशक्षेर्ण क क्षेेत्री लगाातारो बोढ़ रो�ी �ै।
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मेंं पाठ्य-संामेंग्रेी, पुस्तक-लेखना औरो व्यूाव�ारिरोक अनावादे का
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क्षेेत्री, बोंक औरो बोीमेंा की देुनिनायांा मेंं हिं�देी अनावादेक औरो हिं�देी मेंनाोरं�ना, जिसंनामेंा, काार्टूूधना मि�ल्म और ख� �गृत मेंं अ�संर
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अजिधकारोी क पदे परो कायांक करोना क अवसंरो �ं, हिं�देी-कप्यूूटरो- नााटकं क हिं�देी लेखना, अनावादे तथाा मेंंचना की देुनिनायांा मेंं,
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ऑपरोेटरो क पदे �ं यांा हिं�देी सं�ायांक क; प्रौूफ रोी�रो क पदे �ं जिशक्षेर्ण-प्रौजिशक्षेर्ण की देुनिनायांा मेंं रोोज़गाारो क अवसंरो लगाातारो
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यांा संंपादेना-पनारोीक्षेर्ण क, संभाी मेंं हिं�देी-अजिधकारो रोखना वालं बोढ़ रो�े �ै। रोामेंलीला, कष्णलीला यांा संमेंयां-संमेंयां परो
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क लिलएँ अशषा अवसंरो �ं। �ोना वाल नााटकं क अहिंभानायां, रोनि�यांो नााटकं, देूरोदेशकना क
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कमेंकचारोी चयांना आयांोगा प्रौमितवषाक तीना -संौ, चारो-संौ पदे कनिनाष् ठ धारोावाहिं�कं, संंवादें क लेखना औरो अनावादे, गाायांना एँव ं
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अनावादे अजिधकारिरोयांं क मिवज्ञााहिंपत करोता �ै। संंघ लोक संवा संंगाीत, गाीत-लेखना, पटकथाा लेखना क क्षेेत्री मेंं हिं�देी तथाा
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आयांोगा, अनाेक बोकं की निनायांजि�यांं का बोो� �ो यांा रोेलव े अनावादे की संंभाावनााएँ बोढ़ रो�ी �ं, अवसंरो संृजिजात निकएँ जाा
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कमेंकचारोी चयांना का बोो� �ो, रिरोजि�यांाँ परोी तरो� भारोी ना�ं जाातं रो�े �ं। देश-मिवदेश क जिसंनामेंा को हिं�देी मेंं, हिं�देी क जिसंनामेंा
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क्योंनिक उतना पात्री मिमेंल ना�ं पाते। कछ अभ्याथाी हिंदेल्लीी यांा को देूसंरोे देश-मिवदेश की भााषााओंं मेंं अतरिरोत करोना की भाी
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अपना श�रो मेंं �ी नाौकरोी चा�त �ं, बोा�रो की पोस्टि�गा ठ ु करोा एँक देुनिनायांा बोना गाई �ै। काटूकना हिंफल्मों का, एँनिनामेंशसं का,
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देत �ं, परिरोर्णामेंतः पदे रिरो� �ी रो� जाात �ं। कद्रा संरोकारो औरो संाहिं�त्यित्यक रोचनााओंं परो हिंफल्मो यांा काटूकना बोनााना का, संंवादे
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रोाज्यो संरोकारों क कायांालयांं मेंं मेंत्रीालयांं मेंं इना पदें परो कायांक लेखना का, लिलहिंपगा कला का, कप्शना लेखना का औरो �मिबोगा
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करोना क लिलएँ बोड़ी संंख्या मेंं अनावादेकं की आवश्यकता का क्षेेत्री भाी हिं�देी रोोजागाारों क अवसंरो बोढ़ा रो�ा �ै।
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पड़ती �ै। पृारिरभााविषका �ब्दाा��ी-किनामेंाध� और काो�-वि�ज्ञााना काा क्ष�
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तत्काा� भााषांतर� का क्ष� मेंं रोज़गृार का अ�संर आजा ज्ञााना-मिवज्ञााना तथाा मिवश्व क अद्योतना-अधुनाातना मिवषायांं
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मेंौखिखक अनावादे, आश अनावादे अथावा तत्कोाल भााषाांतरोर्ण को संमेंझनाे-संमेंझाना क लिलएँ नाई-नाई पारिरोभाामिषाक शब्दावली
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क रूप मेंं भाी अनावादेकं की आवश्यकता बोहुत बोड़ स्तरो परो क निनामेंाकर्ण की आवश्यकता भाी रोोज़गाारो क अवसंरो पदेा करो
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पड़ती �ै। संंसंदे क देोनां संदेनां मेंं, मिवधाना संभााओंं, निनागामेंं रो�ी �ै। एँकभााषाी, हिंद्वाभााषाी, हिंत्रीभााषाी औरो बोहुभााषाी शब्दकोशं
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