Page 18 - आवास ध्वनि
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                                                                             े
                  उपलब्ध �ं, जिजानामेंं  मेंुख्यत: धातुओंं क शोधना, मेंारोर्ण, शुद्ध   मिवज्ञााना क आठ अगा �ं औरो चरोक संंहिं�ता (लगाभागा 500 ईसंा
                                                                                    ं
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                  पारोदे प्रौाहिंप्त तथाा भास्मृ बोनााना की मिवजिध वलिर्णत �ै| नाागााजाकना   पवक), संश्रुत संंहिं�ता तथाा कश्यप संंहिं�ता इसंक प्रौमेंुख ग्रेथा मेंाना  े
                                                      ि
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                  (300 ईस्वाी क लगाभागा) ना पारोे क प्रौयांोगा सं ताँबोा इत्याहिंदे   जाात �ं| आचायांक चरोक को त्वचा जिचनिकत्सक भाी क�ा जााता
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                                                                         े
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                  धातुओंं को संोना मेंं बोदेलना की मिवजिध भाी खोजा ली थाी, ऐसंी   �ै| पतजालिल ऋमिषा द्वाारोा 150 ईसंा पवक मेंं रोजिचत ‘यांोगाशास्त्’
                                        े
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                  मेंान्यता �ै| ‘रोसंहृदेयांतत्री’ (श्री गाोमिवदे भागावतपादे द्वाारोा रोजिचत)   मेंं ककरोोगा (कसंरो) जासंी घातक बोीमेंारोी का उपचारो बोतायांा
                                                                क
                  क  अमितरिरो�  रोसंद्राचड़ामेंलिर्ण,  रोसंप्रौकाशसंधाकरो,  रोसंार्णव,   गायांा �ै।
                                                    ु
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                  रोसंसंारो  आहिंदे  ग्रेथा  भाी  रोसंायांना  मिवज्ञााना  क  प्रौमेंुख  ग्रेथा  मेंाना  े  में�ाभाारोत काल मेंं अतरिरोक्षे जागात क मिवशषाज्ञा गागाक मेंुनिना को
                                                                                                   े
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                  जाात �ं।
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                                                                      नाक्षेत्रीं की खोजा औरो गार्णनाा का श्रयां हिंदेयांा जााता �ै| पाँचवं
                                                                                                  े
                                                                           े
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                  में�मिषा अगास्त् द्वाारोा मिवश्व मेंं संवकप्रौथामें बोैटरोी का अमिवष्कृारो   संदेी क प्रौजिसंद्ध खगाोलशास्त्ी वरोा�मिमेंहिं�रो को ग्रे�ं क संूक्ष्
                                                                                                                े
                  निकयांा गायांा| अगास्त् संंहिं�ता मेंं इसंका उल्लीेख मिमेंलता �ै,   अध्ययांना, फलिलत ज्योोमितषा मिवज्ञााना का जानाक मेंानाा जााता �ै|
                                                                                        ं
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                  निकत  �में  पा�ात्य  चकाचंध  क  कारोर्ण  मिवद्योत  बोैटरोी  क   ऋमिषा भारोद्वााजा ना रोाइट बोधुओंं सं भाी 2500 वषाक पवक �ी वायांयांाना
                                             े
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                  आमिवष्कृारो का श्रयां बोंजाामिमेंना फ्रेकलिलना को देत �ं|  की खोजा करो ली थाी| ऐसंी मेंान्यता �ै निक ‘मिवमेंानाशास्त्’ नाामेंक
                                                                                          ं
                                                                                        ग्रेथा मेंं उल्लीेखिखत अनाेक मिवमेंानां का
                                                                                        तो आधुनिनाक मिवमेंानाशास्त्ी अभाी तक
                                                                                        निनामेंाकर्ण भाी  ना�ं करो पाएँ।
                                                                                        प्रौाचीना काल मेंं संंपूर्णक जाीवना, शासंना,
                                                                                        रोाजानाीमित आहिंदे धमेंकशास्त् परो आधारिरोत
                                                                                                      े
                                                                                        �ोती थाी| भाारोत क अनाेक ऋमिषायांं जासं  े
                                                                                                                    ै
                                                                                        अहिंत्री,  कण्व,  कश्यप,  गागाक,  च्यवना,
                                                                                                            े
                                                                                        बो�स्पमित, भारोद्वााजा आहिंदे ना धमेंक को चारो
                                                                                          ृ
                                                                                        पुरुषााथां  मेंं  सं  संवाकजिधक  में�त्त्पूर्णक
                                                                                                    े
                                                                                                   े
                                                                                             े
                                                                                                          े
                                                                                        मेंानात हुएँ उसं जाीवना क चारों आश्रमेंं
                                                                                          े
                                                                                                              े
                                                                                        सं  संंबोद्ध  मेंानाा  औरो  धमेंक  क  स्वारूप,
                                                                                        लक्षेर्णं,  मिवमिवध  जिसंद्धांतं  आहिंदे  का
                                                                                        मिवस्तृत  मिववेचना  निकयांा|  मेंना  स्मृृमित,
                                                                                                                ु
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                  संमेंद्रा  मेंथाना  सं  कामितक  त्रीयांोदेशी  को  प्रौकट  भागावाना   यांाज्ञावल्क् स्मृृमित, परोाशरो स्मृृमित, नाारोदे स्मृृमित, बो�स्पमित स्मृृमित
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                  धन्वंतरोी  को  आयांवदे  का  प्रौादेुभाावकताक  मेंानाा  जााता  �ै|   आहिंदे स्मृृमित ग्रेथां मेंं लोकनाीमित, रोाजानाीमित, अथाकनाीमित आहिंदे का
                                               क
                                 ु
                  इन्हींना �ी अमेंृतरोसं औषाजिधयांं की खोजा की थाी| में�ाभाारोत,   धामिमेंक दृहिंष्टकोर्ण सं मिववेचना एँव स्पष्टीकरोर्ण निकयांा गायांा �ै।
                                                                                                ं
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                  ब्राह्मीवैवतकपरोार्ण, �रिरोवंश परोार्ण तथाा मिवष्णपरोार्ण मेंं धन्वंतरोी   हिं�देू  धमेंक  क  अतगाकत  संभाी  रोीमित-रिरोवाज़,  पवक-त्यो�ारो,
                                                    ु
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                  का उल्लीेख मिमेंलता �ै| इनाक वंश मेंं उत्पन्न हिंदेवोदेासं ना ‘शल्या   संोल� संंस्कृारो, व्रत-उपवासं आहिंदे वैज्ञाानिनाक आधारो परो �ी
                  जिचनिकत्सा’ का मिवश्व का प्रौथामें मिवद्योालयां काशी मेंं स्थााहिंपत   निनाधारिरोत निकएँ गाएँ| 1000 वषाक क अधकारो यांगा क कारोर्ण
                                                                                                 े
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                  निकयांा, जिजासंक प्रौधानााचायांक संश्रुत बोनााएँ गाएँ| ‘संश्रुत संंहिं�ता’   मिवज्ञााना  औरो  तक  का  स्थााना  अज्ञााना  औरो  अधमिवश्वासं  ना  ल  े
                                                                                                                   े
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                  क लेखक आचायांक संश्रुत (लगाभागा 600 ईसंा पवक) मिवश्व क   लिलयांा| हिं�देू धमेंक मेंं प्रौचलिलत मेंान्यताओंं जासं जिसंदेूरो लगाानाा,
                                                         ू
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                  प्रौथामें शल्या जिचनिकत्सक थाे।
                                                                      जिशखा (चोटी) रोखनाा, जानाेऊ धारोर्ण करोनाा, मितलक लगाानाा,
                                                                                                                  े
                  आयांवदे को कछ मिवद्वााना ऋग्वेेदे का उपवदे मेंानात �ं, तो कछ   कलावा यांा मेंौली बोाँधनाा, रुद्रााक्षे यांा तुलसंी की मेंाला फरोनाा,
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                  अन्य मिवद्वााना अथावकवदे का उपवदे| आयांवदे की तीना परोंपरोाएँ  ँ  शंख यांा मेंहिंदेरो की घटी बोजाानाा, कश क आसंना परो बोैठकरो
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                  मेंानाी  जााती  �ं  -  भारोद्वााजा,  धन्वंतरोी  औरो  कश्यप|  आयांवदे   पूजाा-पाठ यांा तपस्याा करोनाा, स्वाात्यिस्तक एँव ॐ का में�त्त्,
                                                                                                         ं
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