Page 21 - आवास ध्वनि
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₹ 500
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                    भाारोतीयां रिरोज़वक बोंक ना 2016 मेंं लाल निकल को देशाकना वाला 500 भाारोतीयां रुपयां का बोंक नाोट जाारोी निकयांा थाा।  हिंदेल्लीी
                                                                े
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                    का लाल निकला मेंगाल संाम्राज्यो की कला औरो वास्तुकला का प्रौमितनिनाजिधत्व करोता �ै। रोाजाधानाी हिंदेल्लीी मेंं ब्धिस्थात इसं भाव्यू
                                   ु
                                                                                                              े
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                    ऐमित�ाजिसंक कलाकमित का निनामेंाकर्ण पांचव मेंगाल शासंक शा�जा�ां ना करोवायांा थाा। यां� शानादेारो निकला हिंदेल्लीी क कन्द् मेंं
                                                                                                                 े
                    यांमेंुनाा नादेी क तट परो ब्धिस्थात �ै,   जिजासंक अद्भाुत संंदेयांक औरो आकषार्ण को देखत  बोनाता �ै।
                                                                                  े
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                    मिवश्व धरोो�रो की लिल� मेंं शामिमेंल देुनिनायांा क इसं संवकश्रष्ठा निकल क निनामेंाकर्ण कामें की शुरुआत मेंगाल संम्राट शा�जा�ां द्धारोा
                                                                 े
                    1638 ईसंवी मेंं करोवाई गाई थाी।   इसं भाव्यू लाल निकल का निनामेंाकर्ण कामें  करोीबो 10 संाल तक
                    चला।
                    भाारोत की आजाादेी क बोादे संबोसं  े
                                     े
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                    प�ल  देश  क  प�ल  प्रौधानामेंंत्रीी
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                    जावा�रो लाल ना�रू ना इसं परो मितरोंगाा
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                    फ�रोाकरो देश क नाामें संंदेश हिंदेयांा
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                    थाा।    इसंक  आकषाकर्ण  औरो  भाव्यूता
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                    की  वजा�  सं  इसं  2007  मेंं  यांनास्कृो
                    की मिवश्व मिवरोासंत धरोो�रो की संची मेंं
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                    शामिमेंल निकयांा गायांा थाा ।
                   ₹ 200
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                   संाँची  भाारोत क मेंध्य प्रौदेश रोाज्यो क रोायांसंना जिज़ल मेंं संाँची नागारो क पासं एँक प�ाड़ी परो ब्धिस्थात एँक छोटा संा गाांव �ै। यां� बोेतवा
                                                                      े
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                   नादेी क निकनाारोे, भाोपाल सं 46 निक॰मेंी॰ पवोत्तरो मेंं, तथाा बोसंनागारो औरो मिवहिंदेशा सं 10 निक॰मेंी॰ की देूरोी परो मेंध्य प्रौदेश क मेंध्य
                                                                 े
                   भाागा मेंं ब्धिस्थात �ै। यां�ाँ कई बोौद्ध स्मृारोक �ं, जाो तीसंरोी शताब्दी ई.पू. सं बोारो�वं शताब्दी क बोीच क काल क �ं।  यां�ाँ छोटे-बोड़  े
                                                                         े
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                   अनाकं स्तूप �ं, चारों ओंरो की �रिरोयांाली अद्भाुत �ै।  संांची का में�ाना मेंुख्य स्तूप, मेंूलतः संम्राट अशोक में�ाना ना तीसंरोी शती,
                                                                                                           े
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                   ई.पू. मेंं बोनावायांा थाा।   इसंक कन्द् मेंं एँक अधकगाोलाकारो ईंट निनामिमेंत ढांांचा थाा, जिजासंमेंं भागावाना बोुद्ध क कछ अवशषा रोख थाे।
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                   संांची स्तूप, यांनास्कृो की मिवश्व धरोो�रो स्थालं मेंं शामिमेंल �ै. संाल 1989 मेंं इसं यांनास्कृो ना मिवश्व धरोो�रो स्थाल की संची मेंं शामिमेंल
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                   निकयांा थाा।
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