Page 43 - आवास ध्वनि
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संपृनां मेंं रख आंस्थाा
संपनां मेंं रोख आस्थाा कमेंक त निकएँ जाा,
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त्यागा सं नाा �रो आलसं परिरोत्यागा निकएँ जाा।
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गालती करो नाा घबोरोा,
मिगारोकरो हिंफरो �ो जाा खड़ा।
संमेंस्यााओंं को रोास्तं सं निनाकाल दे, े
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चट्टाना भाी �ो तो ठोकरो सं उछाल दे।
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रोख हिं�म्मुत तफानां सं टकरोाना की,
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जारूरोत ना�ं �ै निकसंी मेंसंीबोत सं घबोरोाना की।
जाो पाला �ै बोसं उसंकी एँक पागाल की तरो� चा�त करो,
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करोता रो� कमेंक मेंगारो संाथा मेंं खदेा की इबोादेत भाी करो।
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हिंफरो देख निकस्मृत क्योा क्योा रोंगा हिंदेखलाएँगाी,
तुझको तरोी मेंंजिजाल मिमेंल जााएँगाी, मेंंजिजाल मिमेंल जााएँगाी। u �ालि�नाी पृालि�ग्रहैंी
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उप में�ाप्रौबोंधक (मिवजिध)
�ीएँमेंआरोसंी मिवभाागा
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