Page 47 - आवास ध्वनि
P. 47
बंूँदा – बंूँदा संं घर्टू भारे
ं
स् वच् छ शरोीरो औरो वातावरोर्ण मेंं भागावाना का निनावासं �ै - यां� ऑगाना औरो उसंक आसं-पासं का वातावरोर्ण भाी संधारो ल तो
े
ं
ु
क
े
े
े
एँक परोानाी क�ावत �ै, जिजासंसं स् वच् छता का में�त् व पता देश अपना आप स् वच् छ �ो जााएँगाा। इसंी क्रमें मेंं �मेंारोे कायांालयां
ु
े
चलता �ै। �में अपना मेंहिंदेरों, पूजाा-स् थालं, आश्रमेंं आहिंदे को ��को मेंं ‘बोस् ट �स् क कम् पीटीशना’ अहिंभायांाना चलायांा गायांा थाा
े
ं
े
े
े
क
े
े
स् वच् छ बोनाात �ं। यां�ं तक निक मिबोनाा स् नााना निकएँ मेंहिंदेरो जाानाा जिजासं एँक संवकश्रेष् ठ रुमें, कमिबोना, वकस् टेशना की श्रर्णी मेंं बोांटा
ं
भाी निनाषाेध मेंानाा जााता �ै, परोंत अपना घरो व आसंपासं इसंी गायांा थाा। इसंक संाथा �ी पांच कन् संोलेशना परोस् कारो भाी रोख े
े
ु
े
ु
क
े
ं
े
ि
े
स् वच् छता क में�त् व को भाूल जाात �ं। जाबो �में हिंदेवाली परो गाएँ थाे। इसं तरो� की प्रौमितस् पधाओंं सं संभाी कामिमेंकं क अदेरो
े
े
अपना घरों को संाफ करोत �ं, तो �रो हिंदेना हिंदेवाली क् यांं ना�ं �ो जाोश थाा निक व अपना वक स् टेशनां को संाफ रोखगा । अत:
ं
ं
े
े
क
े
क
ं
ं
े
े
ं
संकता। जिजासं गांगाा को �रो�रो गागा क�त �ं, तो उसंी को गादेा कायांालयां द्वाारोा यां� एँक प्रौशसंनाीयां प्रौयांासं थाा।
करोना मेंं ज़रोा भाी संंकोच ना�ं करोते। भागावाना तो कर्ण-कर्ण �में भाारोतवाजिसंयांं का यां� कतकव् यां बोनाता �ै निक �में भाारोत को
े
े
ं
मेंं �ं – इसं मेंाना तो �मेंं �रो स् थााना को स् वच् छ रोखनाा �ै। एँक संाफ व स् वच् छ बोनााऍं । स् वच् छ भाारोत अहिंभायांाना तो �में नाागारिरोकं
ं
लोकहिंप्रौयां चलजिचत्री ‘ओं� मेंाई गाॉ�’ मेंं भाी यां�ी देशाकयांा गायांा �ै क लिलएँ अपनाा देश स् वच् छ बोनााना का तरोीका �ै, जिजासंसं लोगा
े
े
े
े
निक भागावाना कर्ण-कर्ण मेंं �ं। भाी इसंमेंं अपनाा यांोगादेाना दे। अगारो �में संबो एँक संाथा मिमेंलकरो
ं
घरो �ो चा�े, बोागा बोगाीचा, कामें करोंगां, तो व� हिंदेना देूरो ना�ं �ै, जाबो भाारोत मिबोल् कल
ु
वना-उपवना �ो यांा �ो गालीचा। स् वच् छ �ोगाा।
ं
रोख संाफ-संफाई चारों ओंरो,
े
े
तानिक फल खजिशयांं संबो छोरो। स्वच्छाता काो �कार गृााँधीी �ी का वि�चार -
ै
े
ु
े
ं
1) में�ात्मा गाााँधी ना क�ा थाा निक रोाजानाीमितक स्वातत्रीता सं े
स् वच् छता ना कवल शारोीरिरोक व मेंानाजिसंक स् वास् थ् यां क लिलएँ ज्योादेा जारुरोी स्वाच्छेता �ै।
े
े
े
जारुरोी �ै, बोब्धि� यां� निकसंी देश की तरोक् की औरो लोगां की 2) यांहिंदे कोई व्यूजि� स्वाच्छे ना�ं �ै तो व� स्वास्था ना�ं रो�
े
प्रौगामितशीलता का भाी प्रौतीक �ै। यांहिंदे इसंाना कवल अपनाा घरो-
ं
संकता।
47