Page 41 - चिरई - अंक-3
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अशीमेा मेल्लिक
                                                                                              ए.एफ. (एि जी)

























                                                                                                  ु
                                              रा भारत महान ह और अपने भारतीय  मजबूर कर नदया। इतना कछ होने क बावजूद
                                                                                                          े
                                                            ैं
                                         मे होने  पर  गव्क  है।  जहां  अलग-अलग  भी हमारी संस्ृ नत, संस्ार अपनापन में कोई
                                                        ं
                                         धम्क, जानत, भाषा, रग, रूप क लोग बहुत प्रेम  बदलाव नहीं आया।
                                                               े
                                         क  साथ  रहते  ह।  जहां  दूगा्क  पूजा,  नदवाली,   भारत की सस्नत सच में अद्ुत ह। दूर-
                                                      ै
                                          े
                                                                                           ं
                                                                                             ृ
                                                                                                            ै
                                         होली, नक्रसमस, ईद हर त्यौहार को अपनेपन   दूर  से  लोग  भारत  की  सस्नत  और  सभ्ता
                                                                                                    ृ
                                                                                                  ं
                                         से मनाया जाता ह। भारत में मुगल शासकों   का अध्ययन भी करते ह। अपने से बड़ो का
                                                       ैं
                                                                                                 ैं
                                                                   ं
                                         और  अंग्रेजों  का  शासन  हमारी  सस्नत  का   आदर सत्ार करना, छोटों क साथ नवनम्ता
                                                                      ृ
                                                                                                     े
                                         नहस्ा रहा ह। भारत में हमेशा अनतधथ दवो   से  व्यवहार  करना  हमें  बचपन  से  ही  पररवार
                                                   ै
                                                                         े
                                                          ै
                                                 ं
                                         भवः  की सस्नत रही ह। मुगलों और अंग्रेजों ने   का महत् बताया जाता ह और कसे पररवार को
                                                   ृ
                                                                                                 ै
                                                                                                      ै
                                             े
                                         हमार ऊपर कई साल शासन नकया लेनकन हम   प्रेम क धागे में पीरो कर रखना चानहए साथ
                                                                                   े
                                         भारतीयों न उनका भी नदल खोल कर स्वागत   ही भाईचार से सबक साथ कसे रहना चानहए।
                                                                                             े
                                                                                      े
                                                                                                    ै
                                         नकया। उन्ोंने कई बार भारत में फट डालने   भारत अपनी नवधभन्न नृत्य कलाओं क धलए भी
                                                                    ू
                                                                                                         े
                                         की नीनत अपनाई लेनकन भारत ने नवनवधता में   प्रधसधि ह।
                                                                                     ै
                                               े
                                         एकता क रहते उन् यहॉं से भाग जाने क धलए
                                                       ें
                                                                       े
          "िवनागरी ध्वपनिास्त की दृमष्ट से अत्त वैज्ापनक लिपप ह।"                                              41
            े
                             ं
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                                                                       षे
                                                                                          ्ध
                                                                                                  ृ
                     - रपविंकर िुक्ल                              हडको, क्त्रीय काययालय, कोलकाता करी अर्वार्षिक हहन््दरी गह पहत्का
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