Page 40 - चिरई - अंक-3
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धाममचिक स्ि

                                                                      ं
                                               तारापीठ : तारापीठ पधचिम बगाल राज्य
                                                                      ै
                                               में एक प्रधसधि नहंदू तीथ्कस्थल ह और एक





            स्थान ह।
                  ै
            कूचपबहार  :  कचनबहार,  एक  बार  कोच
                        ू
                                                                                 बेिूर  मठ  :  कोलकाता  में  बेलूर  मठ
             ं
                                  ं
            वश का प्रांत, उत्तर पधचिम बगाल में एक                                रामकष्  मठ  और  नमशन  का  मुख्यालय
                                                                                     ृ
                                                                  ै
                                ै
            छोटा सा ननयोधजत शहर ह। इनतहास और   शनति पीठ माना जाता ह जहां सती की   ह। हुगली नदी क पधचिमी तट पर चालीस
                                                                                  ै
                                                                                              े
                                               तीसरी आख नगरी थी। मनदर में सती क
                                                                             े
                                                                  ं
                                                      ं
                                                                                 एकड़  से  अधधक  भूनम  में  फला  हुआ
                                                                                                         ै
                                                                         ै
                                               दूसर रूप तारा की पूजा की जाती ह।
                                                  े
                                                                                  ै
                                                                                 ह।  उनकी  पृथक  धानम्कक  मान्यताओं  क
                                                                                                                े
                                               गंगासागर : सागरद्ीप एक छोटा द्ीप ह  ै
                                                                                 बावजूद  यहां  दुननया  भर  क  लोगों  द्ारा
                                                                                                      े
                                               जो द्ीपों क सुदरवन समूह का एक नहस्ा
                                                         ं
                                                       े
                                                                                                ै
                                                                                 दश्कन नकया जाता ह।
                                                ै
                                                                   ं
                                                                          ं
                                               ह। सागरद्ीप पनवत् नदी गगा और बगाल
                                                                                                     ं
                                                                                 पनष्कषया : अंत में, पधचिम बगाल एक ऐसा
                                                                                                         ृ
                                                                                 राज्य ह जो कोलकाता क सांस्नतक और
                                                                                                    े
                                                                                      ै
                                                                                 ऐनतहाधसक स्थलों से लेकर नहमालय की
                                                                                 तलहटी की प्राकनतक सुदरता तक नवनवध
                                                                                             ृ
                                                                                                   ं
            पुरातत् की ओर झुकाव रखने वाले लोगों
                                                                                       े
                                                                                 प्रकार क पय्कटन स्थलों की पेशकश करता
            क साथ-साथ पया्कवरण-पय्कटकों क धलए
             े
                                       े
                                                                                                                े
                                                                                                       े
                                                                                  ै
                                                                                          े
                                                                                 ह। राज्य क पास हर तरह क यानत्यों क
                                   े
             ू
            कचनबहार साप्ाहांत में घूमने क धलए एक
                                                                                            ु
                                                                                      ु
                                                                                 धलए कछ न कछ ह, चाह वह साहधसक
                                                                                                     े
                                                                                                ै
                                                        े
                                                                  ै
                                                          ं
                                                                          े
                                                                             े
            अच्ा नवकल्प ह।                     की खाड़ी क सगम पर ह जो यह दश क
                         ै
                                                                                                        ृ
                                                                                                      ं
                                                                                 काय्क हो, इनतहास हो या सस्नत। ऊपर
            समुरि तट                           सबसे लोकनप्रय धानम्कक स्थलों में से एक   सूचीबधि कछ स्थान ह।
                                                                                                 ै
                                                                                         ु
                                               है।
            िीघा : बगाल की खाड़ी क तट पर ल्स्थत
                                े
                   ं
            समुद्र  तट  शहर,  दीघा  एक  लोकनप्रय
                                                                       ं
            पय्कटन स्थल ह जो खासकर पधचिम बगाल   िक्क्णेश्वर : दधक्षणेविर काली मनदर एक
                       ै
                                        ं
                                                                      े
                                                                 ै
             े
                    े
            क लोगों क बीच अपने अनछुए समुद्र तटों   लोकनप्रय  तीथ्क  स्थल  ह  जो  दश  भर  से
                                                            ्क
                                                                   ै
                 ं
            और सुदर दृश्ों क धलए जाना जाता ह।  भतिों को आकनषत करता ह।
                          े
                                         ै
           40        अंक-3 :  अप्रैल 2022 - मार््च  2023                           "दहंिी भाषा अपनी अनेक धाराओं क साथ प्रिस्त क्ेरि में प्रखर
                                                                                                     े
                                                                                       गपत से प्रकालित हो रही ह।" - छपवनाथ पांडय
                                                                                                    ै
                                                                                                             े
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