Page 39 - चिरई - अंक-3
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ै
                                               क्ोंनक डुआस्क भूटान का प्रवेश द्ार ह।
                                     े
                  ै
                        ्क
            करता ह। दाधजधलंग नहमालयन रलवे धजसे
                                                                                                       े
                                                                       ं
                                                                             े
                                               संुिरवन  :  सुदरवन  पधचिम  बगाल  क   नवविनवद्यालय, नवविभारती क धलए जाना
                                                          ं
            ‘ट्ाय  टट्नञ  क  नाम  से  जाना  जाता  ह,
                       े
                  े
                                           ै
                                                                                                         ं
                                                                                                           ै
                                                                                       ै
                                                                 ैं
                                               दधक्षणी भाग में ल्स्थत मग्रोव वन ह और   जाता ह, धजसकी स्थापना स्वय टगोर ने
                                                                          ै
            नहमालय  की  धरोहर  स्थल  ह  और  शहर
                                   ै
                                                                             ै
                                               यह  यूनेस्ो  की  नववि  धरोहर  स्थल  ह।   की थी। नवविनवद्यालय पररसर कई इमारतों
            का एक प्रनतनष्ठत प्रतीक ह। बताधसया लूप
                               ै
                                                                                              ं
                                                                                         ै
                                                                      े
                                               यह  रॉयल  बगाल  टाइगर,  खार  पानी  क   का  घर  ह  जो  बगाली  यूरोपीय  स्थापत्य
                                                        ं
                                                                             े
            एक  अन्य  लोकनप्रय  पय्कटक  आकष्कण  ह  ै
                                                                                                           ्क
                                                                                 शैली का एक अनूठा नमश्ण प्रदधशत करते
            जो अपनी प्राकनतक सुदरता क धलए जाना
                                  े
                             ं
                       ृ
                                                                                                         ं
                                                                                  ै
                                                                                 ह। यह शहर पौष मेला और बसत उत्सव
                  ै
            जाता ह।
                                                                                 जैसे अपने त्योहारों क धलए भी जाना जाता
                                                                                                े
                                                                                 ह जो दश भर क पय्कटकों को आकनषत
                                                                                              े
                                                                                                               ्क
                                                                                  ै
                                                                                       े
                                                                                 करते ह।
                                                                                      ै
                                                                                 इपतहास
                                               मगरमच् और कई अन्य लुप्प्राय प्रजानतयों   मुलिचििाबाि : मुधशदाबाद गगा नदी क तट
                                                                                               ्क
                                                                                                     ं
                                                                                                             े
                                                                       े
                                                          ं
                                                     ै
                                               का घर ह। आगतुक मग्रोव वन क माध्यम   पर  ल्स्थत  एक  ऐनतहाधसक  शहर  ह  और
                                                               ैं
                                                                                                            ै
                                               से नाव की सवारी कर सकते ह जो क्षेत् की
                                                                     ै
                                               जैव नवनवधता का पता लगाने क धलए एक
                                                                      े
            कालिम्पोंग : काधलम्ोंग का नहल स्शन
                                         े
                                                                     ै
                                               अनूठा अनुभव प्रदान करता ह।
            नहमालय की तलहटी में ल्स्थत एक अन्य
                              ै
            लोकनप्रय पय्कटन स्थल ह। यह शहर अपनी
               ृ
                     ं
                           े
            प्राकनतक सुदरता क धलए जाना जाता ह  ै
                                                                                               े
                                                                                                      ं
                                                                                 यह मुगल काल क दौरान बगाल सूबा की
            और  यह  टट्नक ं ग,  रॉक  लिाइल््बिंग  और
                     े
                                                                                 राजधानी थी। यह शहर कई ऐनतहाधसक
            ररवर राल््टटग जैसी साहधसक गनतनवधधयों
                     ं
                                                                                 स्थलों का घर ह, जैसे हजारदुआरी पैलेस,
                                                                                             ै
            क धलए कई अवसर प्रदान करता ह। यह
             े
                                       ै
                                                              ं
                                               पुरूलिया : पधचिम बगाल राज्य का सबसे   ननजामत इमामबाड़ा और कटरा मल््जजद।
            शहर  कई  बौधि  मठों  का  भी  घर  ह  जो
                                        ै
                                                                  ं
                                               पधचिमी धजला, पुरूधलया मगमुग् कर दने   हजारदुआरी  पैलेस  एक  भव्य  महल  ह  ै
                                                                            े
            अपनी  पारपररक  नतब्बती  वास्कला  क
                     ं
                                     ु
                                           े
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                                                                                                     ै
                                                                                                                े
                                                             ं
                                               वाली  प्राकनतक  सुदरता  से  भरपूर  एक   धजसमें  एक  सग्रहालय  ह  जो  शहर  क
                                                       ृ
                          ै
            धलए जाना जाता ह।
                                                                                               ्क
                                                                                                       ै
                                               खूबसूरत गतव्य ह।                  इनतहास को प्रदधशत करता ह।
                                                            ै
                                                       ं
            वन और प्रकृपत
                                                                    ृ
                                               पवरासत, किा और संस्पत क स्ान      बांकुड़ा और पवष्णुपर : बहुत ऐनतहाधसक
                                                                        े
            डुआसया : पूव्क में तीस्ा नदी से शुरू होकर
                                                                                       े
                                                                                                 ु
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                                               िांपतपनकेतन  :  शांनतननकतन  बीरभूम   महत् क साथ, बांकड़ा अपनी पहानड़यों
            पधचिम बगाल क सकोशी नदी तक, भूटान
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                                                                                                            ै
                                                                          ै
                                               धजले में ल्स्थत एक छोटा सा शहर ह और   और मनदरों क धलए प्रधसधि शहर ह और
            क आसपास उत्तर-पूवती भारत क बाढ़ क
                                     े
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                                               यह  नोबेल  पुरस्ार  नवजेता  रवींद्रनाथ   टट्कस्क  और  हाइकस्क  जैसे  साहधसक  खेल
            मैदानों को नदया गया एक स्थानीय नाम
                                                                                  े
                                                                                                   े
                                                ै
                                               टगोर का जन्स्थान ह। यह शहर अपने   क प्रनत उत्साही लोगों क धलए एक अच्ा
                                                                ै
             ै
            ह।  ‘डुआस्कञ  नाम  ‘द्ारञ  से  उभरी  ह  ै
        "वही भाषा जीपवत और जाग्रत रह सकती ह जो जनता का ठीक-ठीक                                                 39
                              ै
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                                                                                          ्ध
                                                                                                  ृ
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              प्रपतपनमधत्व कर सक।" - पीर मुहम्मि मूपनस            हडको, क्त्रीय काययालय, कोलकाता करी अर्वार्षिक हहन््दरी गह पहत्का
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