Page 29 - Lakshya
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म निीय अधिक रों तथ ि भमिक स्ितांत्रत क रक्षक - श्री गुरु तग बह दुर जी
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श्रीगुरु तगबिादुर िी क 400 ें प्रकाश प श पर श्रद्धापू शक व शष समपशण।
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समस्त धमश, मान ता तथा ससध्दातों की रिा क सलए अपना आपन्योच्छा र करने ाल ससिों क
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नौ ें गुरुश्री गुरु तगबिादुर िी का व श् में व शष स्थान ि। आि जिस मान ीय अचधकारों (Human Rights)
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की िम बात करत िैंउस क असल सस्थापक श्री गुरु तगबिादुर िी िी िैंक्योंकक आप न सन ्1675ई. में हिन्दू
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धमश की रिा ितु अपन तथा अपन सि-ससिों सहित धासमशक स् तत्रता और मान ीय मूल्यों क सलए हदल्ली
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(चादनी चौक) में शिादतप्राप्त की। (‘शहीद’लटज़ अरबी भाषा क े‘शह दत’शब्दसे आया ि, जिस का अथश ि-
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ग ािी दन ाला, धमश युद्ध में अपना िी न क ु रबान करन ाला। )
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श्री गुरु तगबिादुर िी का प्रकाश सन ् 1621 ई. में माता नानकी िी क उदर स ‘गुरु क महिल’ श्री
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अिंमृतसर में िआ। आपक प्रकाश क समय आपक वपता छठम गुरु, गुरु िररगोबबिंद िी, श्री दरबार साहिब में
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‘आसा की ार’ का कीरतन श्र ण कर रि थे। िब गुरु िीको बालक क प्रकाश की िबर समली, तबगुरु िी
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दरबार की समाजप्त कर ससिों समेत अपन मिल पिाँचे। गुरु िीन बाल (श्री गुरु) तगबिादुर िी क दशशन कर
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अपना सीस बालक क आग झुका हदयातो भाई बबचध चिंदइस अचरि कौतुक को दिकर पूछन लगतबगुरु िी
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न भव ष्य में बालक क मिान तपस् ी तथायोद्धा िोन की बात बताई।
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श्री गुरु तगबिादुर िी की पढ़ाई तथा शस्त्र व दया की ससिलाई बाबा बुढा िी, भाई गुरदास िी, भाई
बबचध चिंद िी, भाई िोध िी आहद ने की। जिन्िोंन आपको भारतीय भाषाओिं और शस्त्रों की मिारत िाससल
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कर ाई। इस की समसाल श्री गुरु ग्रिंथ साहिब मे आपक द् ारा रचचत 15 रागों में 59 शब्द तथा 57श्लोकिैं।
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करतारपुर (पिाब) की ििंग में आपन बेसमसाल बिादुरी भी हदिाई ।
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आप का व ाि करतारपुर नन ासी भाई लाल चाँद सुसभिी की पुत्री (माता) गुिरी िी स िआजिनक
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उदर स सन ् 1666 ई. में बाल गोबबिंदराय न अ तार सलया िो बाद में ससिों क दस ें गुरु गोबबिंद ससिंि क
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नाम से िान गए।
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सन ् 1644ई. में वपता गुरु िररगोबबिंद िी क ज्योनत िोत समान क उपरािंत आप अपन नानक, ‘ग्राम
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बकाल’, रिन लग, िीिं आपन ‘अकाल पुरि’ (भग ान) की आराधना की। सन ् 1664ई.में आठ ें गुरु
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िररककशन िी नज्योनत िोत समान स क ु छ समय पिल हदल्ली स आपको गुरु पद ीदत िए बाबा बकाल किा
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जिसकाअथशिै कक अगल गुरु ग्राम बकाल, पिाब में ि। इस क पश्चात आपने समस्त मान िानत क
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कल्याण ितु प्रचार दौर भी ककए।
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आपक गुरु काल क समय औिंरगिब की कटड़ताओिं का अिंत न रिा।उसनेपूरे भारत में एक िी धमश को
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लागू करन का एलान कर हदया औरिो भी मुजस्लम बनन स इन्कार कर उसे मौत की सिा हदए िान का
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आदश द हदया। इस सब की शुऱूआत उस न कश्मीर में उच्च कोहट क ब्राह्मणों स कीजिसस कश्मीरी पडडतों
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न भयभीत तथा तिंग िोकर अपन मुणियापिंडडत क ृ पादत्त की अग ाई में श्री आनिंदपुर साहिब, पिाब आकर श्री
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गुरु तगबिादुर िी क समि अपनी दना की पुकार की। गुरु साहिब न उनकी दना सुनकर किा, कक इस
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िुल्म को रोकन क सलए ककसी धमात्मा की क ु रबानी की िऱूरत िै जिस को सुनकर बाल (गुरु) गोबबन्द (ससिंि)
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न किा कक इस समय आपसे बड़ा धमाशत्माकौन ि ?यि सुनकर गुरु िी नेब्राह्मणों को धैयश हदया और िुद िी
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तीन ससिों समेत हदल्ली चल पड़े।
1 कािन ससिंि नाभा, मिान कोश, भाषा व भाग, पिंिाब, नों ा सिंस्करण, 2019, पृ. 159
भगत ससिंि, गुरु बबलासपातशािी छें ी, अध्याय9, पिंिाबी यूनन ससशटी 1997, पृ. 455
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3 भाई कसर ससिंि नछबर, बिंसा लीनामा दसािं पातशािीआिं का, वपआरा ससिंि पदम (सिंपा.), ससिंघ ब्रदरज़,अिंमृतसर,1997,
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पृ. 110.पहटयाला
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