Page 30 - Lakshya
P. 30

े़
                                                                         िं
                           े
                                      िं
                                                                            े
                       आपन  कश्मीरी  पडड़तों,  ब्रािमणों  की  प्रनतननचधता  में  औरगिब  को  यि  किा  कक  अगर  तुम  मुझे
               मुजस्लम बना दोग तो यि सार िुद िी तुम्िारी शरण में आ िाएग। गुरु साहिब तथा उनक तीन ससिों को
                               े
                                                                                               े
                                                                          े
                                                                         िं
                                          े
                                                                          े
                  िं
                      े
               औरगिब अपन धमश में परर नतशत न कर सका क्योंकक गुरु साहिब न हिन्दू धमश और मान ीय मूल्यों की रिा
                            े
               करत िए अपना सीस शरीर से अलग कर ा हदया।
                   े
                      ु

                       नतलक िज्िू रािा प्रभ ताका॥कीनो बड़ो कलू महि साका॥
                               िं
                       े
               साधनन िनत इती जिनन करी॥सीसु दीआ पर सी न ऊचरी॥

                                                                   4
               धरम ित साका जिनन कीआ॥सीसु दीआ पर ससररु न दीआ॥ गुरु गोबबिंद ससिंि
                      े

                                                                              िं
                        े
                                                                    े
                                                   े
               श्री गुरु तगबिादुर िी की यि शिादत क ल एक समुदाय क सलए निी बजल्क सभीधमों की स् तिंत्रता तथा
                                        ै
               मान ीय अचधकारों क सलए ि।
                                 े
                                                                                                   हरनीत कौर
                                                                               सुपुत्री श्री कसर भसांह, िररष्ठ ड्र ईिर
                                                                                         े

                                                      हहरणी की प्र थिन

                       एक बार एक सशकारी अपन क ु त्त क साथ िगल में सशकार करन क सलए ननकलता ि ।  सशकार ढ ूिंढत
                                                  े
                                                                                               ै
                                              े
                                                    े
                                                                             े
                                                                               े
                                                                                                             े
                                                            िं
                   े
                                                                                        े
                       े
               ढ ूिंढत उस एक मादा हिरण उछलती क ू दती हदिी िो कक गभश ती थी ।  सशकारी न उसका पीछा करना शुऱू
                                                                                    े
                                                 े
                                                    े
                                                                                            िं
               कर  हदया  ।  बेचारी  हिरणी  िान  बचान  क  सलए  इधर उधर  झाडडयों  में  नछपन  लगी  परतू सशकारी  लगातार
               उसका पीछा कर रिा था।

                       सशकारी न हिरणी को मारन क सलए एक चक्रव्यूि रचा।  उसन एक तरफ िगल में आग लगा दी।
                                                                              े
                                                                                          िं
                                              े
                                                 े
                               े
               दूसरी तरफ िाल बबछा हदया ।  तीसरी तरफ क ु त्त को बबठा हदया तथा चौथी  तरफ स् यिं अपन िचथयार
                                                            े
                                                                                                     े
                                                                                                    े
                 े
                      ै
                                                                                                             े
               लकर बठ गया ।  िब हिरणी को लगा कक मैं और मेर गभश मे पल रिा बच्चा निी बच सक ें ग तो उसन
                                                                 े
                                                                  े
                                                                              े
                                                                   े
                                                                                     े
                                                               े
                                                                                                     े
               परमात्मा से प्राथशना की कक ि ईश् र सिंसार क रि ाल, मर िी न िीन क सार रास्त बद िो चुक िैं, एक
                                                                                           े
                                                                                 े
                                         े
                                                                                             िं
                                                       े
               आप िी मेर और मेर गभश मे पल रि बच्चे की प्राणों की रिा कर सकते िो।
                         े
                                               े
                                 े

                       हिरणी की प्राथशना भग ान न सुन ली और सबस पिल अजनन द  को िक्म कर िाल को आग की
                                                                      े
                                                                 े
                                                                               े
                                                े
                                                                                      ु
               लपटों स िला हदया ।  कफर उसी प्रकार इन्र द  को िक्म ककया कक  ो  षाश  कर िगल की आग को बुझा
                                                                                          िं
                       े
                                                         े
                                                               ु
               द. तो इन्र द  न  सा िी ककया और आग को बुझा हदया।  अब सशकारी क पीछ से एक ििरील सािंप ने
                                                                                        े
                े
                           े
                                  ै
                                                                                   े
                               े
                                                                                                      े
                                                          ै
                                                                              े
               सशकारी को डस सलया जिससे सशकारी मर िाता ि तथा उसक कमान स एकदम तीर छ ू ट कर उसक क ु त्त को
                                                                                                          े
                                                                                                     े
                                                                    े
                                                                                            े
                                                                                                             ै
                                                                                 े
                          ै
                                                ै
               लग िाता ि और  ि भी मर िाता ि ।  इस प्रकार हिरणी उस सशकारी क चक्रव्यूि स आिाद िो िाती ि
               और अपन गभश में पल रि बच्चे क साथ अपन चार की तलाश क सलए ननकल िाती ि।
                                      े
                                                                                         ै
                                             े
                                                       े
                        े
                                                                       े
                                                           े

                       सशिा - इस रचना स िमें यि सशिा समलती ि कक यहद सच्चे मन से भग ान को याद ककया िाए
                                                                ै
                                         े
               और उसक आग फररयाद की िाए तो  ि िमेशा िमारी प्राथशना सुनता ि तथा सद  िमार अिंग सिंग िोता ि ।
                                                                                                          ै
                        े
                                                                                     ै
                                                                                           े
                             े
                                                                            ै

                                                                                                 हहम नी शम ि
                                                                      सुपुत्री श्री रमन क ु म र, प्रबांिक (सधि०)


               4
                                                   े
                बचचत्र नाटक, श्रोमणी गुरदुआरा प्रभिंधक कमटी,अिंमृतसर, 2000, पृ. 58.
                                                                                                           26
   25   26   27   28   29   30   31   32   33   34   35