Page 33 - Lakshya
P. 33
े
िं
े
े
अपनी आतररक साफ सफाई का ध्यान रिन ितु इस कोव ड मिामारी काल में ननत कक्रया की मित्ता और
भी बढ़ िाती ि ।
ै
सूत्र ननत कक्रया में सा धाननया
े
िं
ै
े
े
े
े
इस कक्रया को करना कहठन िोता ि, इससलए िब भी िम इस करत िैं तो सबस पिल इसका अभ्यास
े
िमें रबड़ द् ारा बनी िई ननत क साथ करना चाहिए। िब भी िम इस कर रि िों, तो इस कक्रया में
े
े
े
ु
िल्दबािी निीिं करनी चाहिए। क्योंकक इसे िल्दबािी क साथ करने स िमारी नाससका को िानन का
े
े
सामना करना पड़ सकता ि। िब भी िमन इस कक्रया को करना िो तो रात में शुद्ध दसी घी की क ु छ
े
े
ै
बूद नाक में डाल लनी चाहिए ।
े
िं
े
षश 1998 स उपरोक्त नेनत कक्रया मेर द् ारा लगातार की िा रिी ि ।
े
े
ै
सजीि िोपड़
ां
सयुक्त मह प्रबिक-विधि
ां
ां
स्िस्थ जीिन शैली एिां योग
(र जि ष पखि ड़ 2020 में प्रथम पुरस्क ृ त तनबांि)
े
ै
े
ै
एक स् स्थ िी न शली एक अच्छ िी न की नीिं ि। िालािंकक इस िी न शली को गृिण करन में
ै
े
े
बित ज्यादा समय निी लगता लककन अनेक कारणों से कई लोग इन हदनों इसका पालन करन में
िं
ु
असमथश रित िैं िैस कक पश र प्रनतबद्धता, दृढ़ सकल्प की कमी ए िं सभन्न व्यजक्तगत मुद्द।
िं
े
े
े
े
े
े
े
ै
े
िं
ै
ै
एक स् स्थ िी न शली क सञ्चालन क सलए, दृढ़ सकल्प अनत आ श्यक ि। दननक कायश पूरा
े
करन की भागदौड़ मैं, स् ास््य को अक्सर कम मित् समलता ि। एक स् स्थ िी न शैली का पालन
ै
करने और इस िाससल करने क तरीकों को समझना आि क समय में अत्यत मित् पूणश िो गया ि।
े
िं
े
ै
े
आि क भाग दौड़ क िी न में िमें समय का पता िी निी चलता। योग एक ऐसा साधन ि ै
े
े
िं
े
े
जिसस िम अपन िी न को सिी ढग स और तदुरुस्ती स िी सकत िैं। सुबि का समय तािी ि ा से
े
े
िं
े
िं
ै
ै
े
भरा िआ िोता ि। नई सुबि नए हदन की शुरुआत करती ि। सुबि का समय योग क सलए सबसे अच्छा
ु
े
े
िोता ि। शरीर क िर भाग क सलए व सभन्न योग मुराए िैं। अगर िम सिी तरीक स योग करत िैं तो
े
े
िं
े
ै
े
ै
िं
िमार शरीर का सिी व कास िोता ि और िमें ककसी प्रकार का भार मिसूस निी िोता। िमारी हदनचयाश
तािगी से भरी िोती ि।
ै
ै
े
मानससक ऱूप स भी योग िमें बित आराम दता ि। जिसक कारण िमारा हदमाग शािंत रिता ि
ै
े
े
ु
ै
े
और िम िर काम पूर ध्यान स कर सकत िैं। इसीसलए किा िाता ि ककd योग िमारे शरीर क साथ-साथ
े
े
े
ै
िमारी आत्मा को भी तदुरुस्त रिता ि। इसीसलए आि क भाग दौड़ क िी न में योग को अपना
े
िं
े
मित् पूणश हिस्सा बना लना चाहिए और इस अपनी रोिाना जििंदगी में शासमल कर लना चाहिए।
े
े
े
श्रीजीथ क. यू.,
े
उप प्रबिक (परर०)
ां
29