Page 37 - Lakshya
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                                                  एक सांत क विि र

                                                                      िम सार लोग दूसरों का तो बित ननरीिण
                                                                              े
                                                                                                   ु
                                                                      करत  िैं।  स् य  की  ननरीिण  कभी  कोई
                                                                           े
                                                                                     िं
                                                                      मुजश्कल  से  करता  िोगा।  िम  प्रशिंसा  भी
                                                                                                  े
                                                                                                         े
                                                                      करत  िैं  और  ननिंदा  भी  करत  िैं,  लककन
                                                                           े
                                                                      प्रशिंसा भी दूसरों की िोती िै और ननिंदा भी
                                                                                                        े
                                                                      दूसरों की। आत्म-ननरीिण  िम करत निीिं,
                                                                                                       िं
                                                                      िमारा  चचत्त  ननरतर  दूसरों  क े  सबध  में
                                                                                      िं
                                                                                                        िं
                                                                                   िं
                                                                                                           िं
                                                                      सोचन में सलनन िोता ि। स् य क े सबध
                                                                            े
                                                                                                    िं
                                                                                                          िं
                                                                                              ै
                                                                      में  व चार,  स् य  क े  सबध  में  आब्ि शन
                                                                                             िं
                                                                                            िं
                                                                                     िं
                                                                                                          े
                                                                      ननरीिण,  स् य  क े  बाबत  भी  तटस्थ  िड़
                                                                                                             े
                                                                                    िं
                                                                                                            ै
                                                                                  े
                                                                      िोकर सोचन की  ृवत्त मुजश्कल से िोती ि।
                                                                      और जिसमें निीिं िै ऐसी  ृवत्त,  ि करीब-
                                                                      करीब जिन बातों को दूसरों में ननिंदा करता
                                                                      िै,  करीब-करीब  उन्िीिं  बातों  को  स् य  में
                                                                                                          िं
                                                                              ै
                   मािी त्यागी सुपुत्री श्री आकाश त्यागी, ित्रीय प्रमुि   िीता  ि।  जिन  बातों  क े  सलए  दूसरों  को
                                                       े
                                द् ारा िूबसूरत पेंहटिंग               कोसता िै, कडमनेशन करता िै, उन्िीिं बातों
                                                                                  िं
               को स् य में पालता िै और पोसता िै और उस पता भी निीिं चलता कक यि क्या िो रिा िै? पता इससलए
                       िं
                                                        े
                                                                 े
               निीिं चलता कक  ि कभी िुद की तरफ लौट कर निीिं दिता िै, दिता रिता िै दूसरों की तरफ, िुद की
                                                                           े
               तरफ लौट कर निीिं दिता।
                                   े

                                                                                                  े
                                                                              े
                                                                                     े
                                                                                   ै
                                                                                          े
                       िो व्यजक्त  िुद  की तरफ  लौट  कर  निीिं दिता,  उसका व  क  कस  िगगा?  व  क दूसरों  की
                                                              े
                                                                                                          े
               तरफ दिन से निीिं िगता, क्योंकक पिली तो बात यि िः कक िो व्यजक्त अभी िुद को िी दिन में
                          े
                                                                    ै
                                                                                                       े
                      े
               समथश निीिं िै,  ि दूसरों को दिन में कस समथश िो सकगा। िो व्यजक्त अभी अपन िी सबध में ननणशय
                                                     े
                                                                                           े
                                              े
                                                                                                  िं
                                                                  े
                                                                                                 िं
                                           े
                                                   ै
                                         े
               निीिं  ले  सकता  िै,   ि  दूसर  क े  सबध  में  ननणशय  कस  ले  सकगा।  िुद  क े  भीतर  क े  प्राणों  से  भी  िो
                                                 िं
                                                                 े
                                                               ै
                                                                        े
                                               िं
                                                                                   ै
                                                             े
                                                                                                         े
                                                                                      े
                                                                                                ै
                                               े
                                                                       े
                                                                                                  े
               पररचचत निीिं िो सका िै,  ि दूसर क े बािर से दिकर उसक भीतर से कस पररचचत कस िो सकगा।
                   े
                                                                                                       े
                                                                                ै
               दूसर  क े  बािर िो हदिाई  पड़  रिा  िै,  ि दूसर  का अिंतः तल निीिं  ि। क्योंकक  िुद  िम  अपन बाबत
                                                           े
                              े
               समझ लें, अपन बाबत िम अपन बािर िो हदिला रि िैं,  ि क्या िमारा अिंतःकरण िै,  ि क्या िमारा
                                                                े
                                             े
                                                         े
                                                                   िं
               अिंतःतल िै, जिसस िम कि रि िैं मैं तुम्िें प्रम करता ि, जिसस िम कर रिा ि कक मैं तुम्िारा आदर
                                                                                         िं
                                                                           े
                                            े
                                े
                                                                                         ू
                                                                   ू
                                                                              े
                      िं
               करता ि, क्या सच में िमार भीतर भी  िी भा  िै,  िी आदर और प्रम िै या कक िम धोिा दे रि िैं या
                                        े
                                                                                                       े
                      ू
               कक िम चारों तरफ एक पाििंड का व्यजक्तत्  िड़ा कर रि िैं, एक असभनय कर रि िैं। िमार बािर तो
                                                                    े
                                                                                           े
                                                                                                    े
                                                                                                             े
                                                         े
                                                     ै
               िो िै,  ि झूठा िै, भीतर क ु छ सच्चा ि। लककन दूसर क े बािर को िम सच्चा मानकर व चार करन
                                                                  े
                                                                                                          े
                                                                                                े
                                े
               लगत िैं और दूसर क े भीतर को तो िम दि निीिं सकत, झािंक निीिं सकत। इससलए दूसर को िानन क े
                                                                  े
                                                                                   े
                    े
                                                      े
                                                                                                           33
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