Page 40 - Lakshya
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दृब्ष्टकोण
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दृजष्टकोण भव ष्य क बार में एक धारणा
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का णशन करता ि िो यि ननधाशररत करता ि कक
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आप पररजस्थनतयों का आिंकलन ककस तरि करेंग।
यि एक स् ाभाव क या व शेष मानससक रुझान ि
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िो यि दशाशता ि कक आपका जस्थनतयों का व चन
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और प्रनतकक्रया कसी िोगी ।
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ननराशा ादी लोग िर चीज़ में दुिी िोन
का कोई न कोई कारण तलाश लत िैं ।
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सशकायत करना कभी बद निी कर सकत। उन्िें
अपन आस पास क लोगों स, गनतव चधयों स,
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सान ी गोयल सुपुत्री श्री आशीष गोयल, उप
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पररजस्थनतयों आहद से िमशा सशकायत रिती ि
प्रबधक (सचच ) की िूबसूरत पेंहटिंग
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। लककन ननराशा ाद क भी परोकार िैं। इस त्य
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क बा िूद कक सबस िराब उम्मीद करना मनो ैज्ञाननक तौर पर बिद ददनाक िो सकता ि,
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ननराशा ादी, स् भा तः ननराशा स काफी प्रनतरक्षित रित िैं।
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आशा ादी लोग नलास को आधा भरा दित िैं। आपको अपन आस-पास बित स इस
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तरि क लोग समल िाएग । सिंभ तः आप भी इनमें स एक िों। अनकों लि सकारात्मक िोन
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पर िोर दत िैं और स् -सिायक पुस्तक ें सकारात्मक िोन क गुर ए लाभ क ज्ञान स भरी पड़ी
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िैं। सकारात्मक सोच क समथशन में एक स एक अच्छी कस स्टडी और किाननया िैं। आशा ादी
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लोगों क बीच में रिन स िुद में भी सकारात्मकता बढती ि। िी न, घटनाओिं और लोगों क
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सकारात्मक पिलुओिं को दि पान में सिायक िोत िैं। सिंभाव त आपदाओिं, मुजश्कलों को
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नज़रअन्दाज़ कर, िर पररजस्थनत में सकारात्मक पि को दि आग बढ़न में व श् ास करत िैं।
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सकारात्मक िोन में क ु छ भी गलत निीिं ि सस ाय इस बात क कक अचधकाश बार सच्चाई को
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समझन और स् ीकार करन की अनदिी िो िाती ि।
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आशा ादी लोग कभी-कभी अपन अध व श् ास में ास्तव कता को दिन में असफल िो
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िात िैं। चाि स् यिं क चगरत स् ास््य या व्या सानयक नुकसान आहद क लिण िों, अक्सर
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लिणों को अनदिा कर अपन िी काल्पननक लोक में लीन रित िैं ।
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आि की कायशकारी प्रस्तुनतया और ावषशक ररपोट अचधकतर क ल आशा ादी दृजष्टकोण
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दशाती िैं। नन शकों और बािार की प्रनतकक्रया क डर स अचधकतर ररपोट, व त्तीय जस्थनत,
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पररयोिना की जस्थनत क ास्तव क दृजष्टकोण को दशान में व फल रिती िैं।
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