Page 38 - Lakshya
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                                                            े
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                                                                                   िं
                                                                                  िं
               पिल िुद को िानना बित िऱूरी िै और बड़ मि की बात िै, दूसर क े सबध में िानन की िमारी इतनी
                                                                                              े
                                                                            े
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                                                    े
               उत्सुकता क्यों िैं। दूसरों क े दी ालों क े छद में से िम झािंकन की कोसशश क्यों करत िैं? दूसरों क े  स्त्र
                                                                       े
                                                                                            े
                                                                                             े
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                                                                                                     े
               उठाकर दिन का िमारा प्रयोिन क्या िै? किीिं ऐसा तो निीिं िै कक अपन को दिन से बचन क े सलए
                                                               े
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                                                                                                             े
                                                                                  े
               िम सब यि उपाय करत िो, ऐसा िी ि। अपन को दिन से बचना चाित िैं, इससलए दूसरों को उिाड़त
                                                   ै
                                                                   े
                                                          े
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               िैं और दित िैं। और अपन को दिन से क्यों बचना चाित िैं, बित पीड़ा िोगी अपन को दिन से,
                                               े
                                                                                                         े
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                                                                                        े
                                                                                      े
                            े
               इससलए अपन को तो कभी निीिं दित, अपन बाबत तो एक भ्रम िड़ा कर लत िैं कक िम ऐसे िैं और
                                                  े
                                               े
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               दूसर को दित िैं। और दूसर को नीचा हदिान की कोसशश करत िैं ननरतर अपन चचत्त में अपनी  ाणी
                                                                                         े
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                                                                          े
                                                                िं
                                                                                                             े
                                                                                                          े
               में अपन व चार में। क्यों? ताकक इस भािंनत िम िुद ऊच िो सक। िब िम सारी दुननया को नीचा दिन
                       े
                                                                         े
                                                                  े
                                                                                        े
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                                        िं
                                                                                    े
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               लगत िैं, तो अनिान िुद ऊच िो िात िैं। िो आदमी सब लोगों की बुराई दिन लगता िै,  ि एक बात
               में ननजश्चिंत िो िाता िै कक  ि िुद बुरा निीिं ि।
                                                          ै
                                                                                                  रमश क ु म र
                                                                                                     े
                                                                                                प्रबांिक (वित्त)

                                                 एक प्ररण  द यक कह नी
                                                        े
                                                           े
                      िं
                                                                                े
               एक  गा   में  क ु म्िार  समट्टी  गुध  कर  समट्टी  स  सभन्न-सभन्न  प्रकार  क  बतशन  बना  कर  अपने  घर  का
                                           िं
                                                                 े
                                                                                                    े
                                                                              े
                                                       े
               गुिर- बसर करता था। एक हदन क ु म्िार न समटटी स तम्बाक ू  पीन  ाली चचलम बडी िी मिनत और
                                                             े
                                              े
               सुन्दरता स बनानी शुऱू की। उस आग में पकान स पिल क ु म्िार क हदमाग में न िान क्या व चार
                         े
                                                                े
                                                                     े
                                                                                                  े
                                                                               े
                                                 े
                                                                         े
                                                                                                    े
                          े
               आया, उसन उसी समय तम्बाक ू  पीन  ाली चचलम तोडकर उस समट्टी में समला हदया। उसक बाद  ि
                                                                        े
                           े
               सुरािी  बनान  लग  गया।  समट्टी  न  व नम्रता  पू शक  क ु म्िार  स  पुछा  कक  आपने  चचलम  क्यों  तोड  दी।
                                               े
                                                                                       े
                                                   े
                                   े
                                                  े
                                                                                                            िं
               क ु म्िार न सरलता स किा कक बस मर मन में व चार आया कक मैं चचलम क  िाय सुरािी बना लू।
                        े
                                                                                              ै
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                                                                     ै
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               समट्टी क ु म्िार स बोली कक आपक बदल िए व चार और फसला बित िी सरािनीय ि, अगर आप मुझ
                                                    े
                                                                                                             े
                                                                             ु
                                                      ु
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                                 ै
               चचलम बनात तो म सार समय तम्बाक ु  क साथ अिंगारो में िलती रिती   तम्बाक ू  पीन  ाला व्यजक्त भी
                                     े
                                                                                             े
                                                                               े
                                                                                                             े
                          े
                                                                                 े
                    े
                                                                                             े
                                                                                    े
               अपन फफड िलाता रिता। साथ िी लोग उस व्यजक्त को बुरी निर स दित और मुझ भी बुरी निर स
                      े
                                                                                               िं
               दित। अब म सुरािी बनकर िर समय ठन्ड पानी स भरी रिगी और म िरपल ठन्डी रिगी, और िो भी
                    े
                 े
                                                                                ै
                            ै
                                                                         िं
                                                               े
                                                       े
                                                                       ू
                                                                                               ु
                                                                                            े
                                                               े
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                                                                                          े
               इस शीतल िल को पीयगा उसका मन भी शीतल रिगा |लोग मुझ अच्छी निर स दिेंग   दुआए दगें।
                                     े
                                                                                                        िं
                                                                                                          े
                                                                           े
               इससलए आपन िो अपन व चार बदल उसक सलए म सद  आपकी धन्य ादी रिगी।
                                                 े
                                                                  ै
                                                      े
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                                                              ै
                                     े
                                                                                      ू

                                                                                      े
                              ै
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                                                      ै
                                                                                  े
                                                                                                            े
                                                                  ै
               इसका भा ाथश ि कक इन्सान को िो भी फसला लना ि सोच व चार करक लना चाहिए ताकक ककसी क
                                िं
               मन को ठस न पिच ककसी को दुिदायी न िो. आपका सलया गया फसला ककसी की जिन्दगी बना सकता
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                                  े
                                                                             ै
                                ु
               ि और ककसी की जिन्दगी समटा भी सकता ि। इससलए आपका िो व चार िैं   आपक पास सुरक्षित ि।
                                                                                                          ै
                 ै
                                                       ै
                                                                                     े
                                                                                           े

                              “बबना व चार िो कर सो पाछ पछताए”.
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                                                े
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                                                                                                 अधबल िन्द
                                                                                              ए.एफ (एस.जी)
                                                                                                           34
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