Page 34 - Lakshya
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                                     गुलल से मर  पहल  भशक र – गौरय  धिड़ड़य
                                                  े
                                         े

                       बात उस समय की ि िब मैं किा चौथी या पाच ी,में पढ़ता था । िम स्क ू ल क समय
                                            ै
                                                                                                      े
                                                                      िं
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                                                                          े
                                                                    े
               स आधा पौना  घिंटा पिल पिच िाया करत थ । सार बच्च अपना अपना बस्ता एक लाइन में
                                                          े
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               रित थ ।लाइन की एक तरफ कबड्डी की एक टीम िोती थी और दूसरी तरफ दूसरी टीम। िल
                    े
                                                     श
                                                                                े
                 े
               क मैदान की कोई सीमा निीिं थी, ससफ बीच  ाली लाइन बस्तों क सिार बनाई िाती थी, कभी
                                                                                       े
                                                                         े
                                                                े
                                                       े
               कबड्डी िलत,कभी लिंगडी,कभी एक-दूसर को छ ू न  ाला िल,कभी कोई पुराना डब्बा समल िाता
                             े
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                                                                                              े
               तो उस दी ाल क पास एक कोन में रि दत थ और पत्थर उठाकर बारी-बारी स ननशाना लगात
                      े
                                                              े
                                                                                                             े
               थे ।
                                                                      मरा एक समत्र था गुड्डू, ि िमार िलों
                                                                                                           े
                                                                                                       े
                                                                        े
                                                               में कम रुचच रिता था ।िब भी उसको समय
                                                                                                          े
                                                               समलता, ि छोट-छोट गोल-गोल ककड़ ढ ूिंढन में
                                                                                   े
                                                                                                िं
                                                                              े
                                                               व्यस्त रिता था । दरअसल उसक पास2-3 तरि
                                                                                               े
                                                               की  गुलल  थी,और  गुलल  में  रिकर  चलान  क
                                                                      े
                                                                                                            े
                                                                                                         े
                                                                                     े
                                                                                                         िं
                                                               सलए िर समय उस छोट-बड़े गोल-गोल ककड़ों
                                                                                  े
                                                                                       े
                                                               और  पत्थरों  की  तलाश  रिती  थी  ।उसका
                                                               ननशाना  अचूक  था,उसका  दा ा  था  कक  उस
                                                               समय  तक   ि35  -40  चचडड़या  मार  चुका  था
                                                               । ि  िमें  बताया  करता  था  कक  चचडड़या  को
                                                                                                  े
                                                                                     े
                                                                  े
                                                               गुलल का पत्थर लगन पर  ि नीच चगर िाती
                                                                                              ै
                                                               िै,कभी-कभी  तो  मर  िाती  ि,और  कई  बार
                                                                                                     े
                                                               अगर ननशाना पैरों पर या पिंिों पर लग तो  ि
                                                                       े
                                                                    े
                                                               चगरन  क  बाद  पिंि  फड़फड़ा  कर  दोबारा  उड़
                                                                       ै
                                                               िाती  ि  ।अतः  िब  भी  चचडड़या  पर  ननशाना
                                                               लगाओ उसक चगरते िी एक बड़ा पत्थर लकर
                                                                                                          े
                                                                            े
                                                                  े
                                                               उस क ु चल दो। गुड्डू का किना था कक चचडड़या
                                                                                  े
                                                                                        े
                                                                                              श
                                                                             े
                                                                                                             े
                                                               का  िून  गुलल  क  बत्त  अथात  लकड़ी   ाल
                                                   े
                मािी त्यागी सुपुत्री श्री आकाश त्यागी, ित्रीय प्रमुि
                                                               हिस्स  में   लगाना  चाहिए  ।  गुलल  का  बत्ता
                                                                    े
                                                                                                 े
                             द् ारा िूबसूरत पेंहटिंग
                                                               जितनी अचधक चचडड़यों का िून पीता ि,उसका
                                                                                                       ै
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                                                                                                  े
                                                                                             े
                                                     ै
               ननशाना उतना िी पक्का िोत िाता ि। गुड्डू बताता था कक कई बार  ि गुलल स दी ार पर
                       ै
               बठ ततया को भी मार चुका ि ।
                  े
                 ै
                                             ै

                                                                े
                                                                                                 े
                       गुड्डू िमार िी मोिल्ल में रिता था, उसक वपतािी बढ़ई का काम करत थ ।मोिल्ल में
                                                                                                          े
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                                                                                             े
               िम लोग अक्सर भिं रा या कचे िला करत थ,गुड्डू भी िमार साथ िलता था िलत समय  ि
                                                                                                  े
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                                                                       ै
                                                                          े
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                                श
               अपनी गुलल गदन में लटका कर रिता था ।पता निी कस अचानक उसस मरी दोस्ती बढ़ गई
                                                                     िं
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