Page 36 - Lakshya
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अचानक मर मन में आया कक चचडड़या को सुरक्षित िगि में ल िाऊ, क्योंकक िमार घर
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बित सी बबजल्लया आया करती थी और अक्सर चचडड़यों को मारकर िा िाती थी ।मैंन धीर-धीर
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प्यार स चचडड़या को पुचकारत िए, िौल स िथसलयों में उठा सलया। पता निीिं कस चचडड़या को
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मुझ पर व श् ास िो गया और उसन पि फड़फड़ा कर इधर उधर भागन की कोसशश बद कर
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दी,आराम स मर िाथों में आ गई। उसको लकर मैं भग ान कमर में आ गया। िमार घर में
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बािंस की सीक स बनी एक टोकरी पड़ी थी,पुरान कपड़ का एक ट ु कड़ा लकर चचडड़या को िमीन
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पर सलटाया और उसक ऊपर मैंन टोकरी रि दी टोकरी क ऊपर एक बड़ा पत्थर रि हदया ताकक
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रात क समय बबल्ली या चूि उस नुकसान ना पिचा सक ।
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माता िी को पता चला तो पिल बित नाराि िई कफर िब मैंन उन्िें बताया कक मैं
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ककसी तरि चचडड़या की िान बचाना चािता ि तो कफर उन्िोंन मुझ गाइड करना शुऱू ककया।
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चचडड़या को पानी वपलान क सलए मैं रुई को पानी में डुबोकर धीर धीर उसक चोंच क पास ल
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िाता था,और रुई में चोंच मार कर ि पानी पी लती थी । िान क ऱूप में उस िम पका िआ
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चा ल,मसला िआ िरा चना दत थ ।आपको याद िोगा िमार बचपन में घर में िो भी सब्िी या
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भािी आती थी उसमें बित सी इजल्लया और कीड़ ननकलत थ ।मैं ऐस कीड इजल्लयो को लाकर
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चचडड़या को णिलाता था ।दूसर हदन शाम तक चचडड़या थोड़ा थोड़ा अपन परों पर बठन लगी
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।तीसर हदन सुबि मैंन दिा कक ि पि फड़फड़ा घर थोड़ा-थोड़ा िोन का प्रयास करती ि मगर
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चगर िाती ि ।िम उस बद कमर में उड़न का अभ्यास करन दत थ ।
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इस बीच एक और अच्छी बात िई, आिंगन में चचडड़यों की आ ाि सुन कर िमारी चचडड़या
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भी चिकन लगती थी और िमें बड़ी िुशी िोती थी ।चौथ या पाच ें हदन कमर का दर ािा िुला
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रिकर िैस िी मैंन टोकरी उठाई चचडड़या फ ु र स उड़ गई और आिंगन क एक पड़ में िा बठी
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और िोर िोर स चचल्लान लगी ।थोड़ी दर में क ु छ और चचडड़या उस डाल पर आ गई और सब
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आपस में बातें करन लग। कफर सब क सब उडकर दूर चल गए। चचडड़या को उड़त दिकर मुझ
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अपार िुशी िई,अपराध बोध िाता रिा। िब तक चचडड़या कमर में थी,हदन में कई बार उसको
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दिता था ,िाना णिलाता था,पानी वपलाता था ,चचडड़या द् ारा की गई गिंदगी साफ करता था
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।चचडड़या क िान क बाद क ु छ हदनों तक सूुना लगता रिा । आि भी इस घटना को याद
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करता ि तो भग ान को बित बित धन्य ाद दता ि कक चचडड़या की िान बचाकर उन्िोंन मुझ
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िी न भर क सलए अपराध बोध स बचा सलया था ।
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स कत श्रीि स्ति
सांयुक्त मह प्रबांिक (परर०)
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