Page 35 - Lakshya
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               ।एक हदन िम उसक वपतािी क पास गए और गुलल का बत्ता बन ा सलया ।बािार में साइककल
                                                                                            े
                                                                         े
               की दुकान स एक पुराना ट्यूब उठा लाए कफर एक मोची क पास िाकर िमन उसको पट्टी की
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                                                                                ै
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               तरि  कट ाया  और  उसक  पास  स  िी  चमड़  का  एक  ट ु कड़ा25  पस में  लकर  गुलल  का  चचपट
                                                                                        े
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                                                                                  िं
               बन ाया । चचपट यानी गुलल का  ि हिस्सा जिस पर पत्थर को फसाया िाता ि । कफर गुड्डू
                                                                                     े
               न मुझ गुलल बनाकर द हदया ।मैं भी घर क आस-पास ननशाना लगान लगा । शुरुआत बबिली
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               क ििंबों स िई थी ।िमार वपतािी हिमालयन कपनी का liv 52 टबलट  िाया करते थे । उसक
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               िाली डडब्ब को दी ाल क पास रिकर उस पर ननशाना लगाया करता था ।िब उसकी प्रैजक्टस
               िो गई तो गुड्डू न मुझ बताया कक इिक्शन की शीशी पर ननशाना लगाना चालू करो ।
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                       आपको याद िोगा िमार बचपन म इिक्शन का पाउडर एक छोटी सीसी में आता था,और
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                                                                                         े
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               डडजस्टल्ड  ाटर एक लिंबी सीसी में आता था ।अस्पताल का कपाउडर पिल डडजस्टल्ड  ाटर की
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               बोतल को तोडकर, उसम सुई घुसाकर, ससररन्ि में िीचता था ।कफर उस पाउडर  ाली सीसी में
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               समलाया करता था । कफर शीशी को क ु छ दर तक हिलाया करता था और तब फाइनल द ा तयार
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               िोती थी ।िैर इस तरि की िाली शीसशया इकट्ठी करक मैं उस पर भी ननशाना लगान लगा
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               ।मर ननशान स सिंतुष्ट िोन क बाद गुड्डू न मुझ किा कक अब मैं चचडड़यों पर ननशाना लगा
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               सकता ि । िालाकक िब भी मैं घर में गुलल की प्रजक्टस करता था,मरी मा मुझ डाटती थी और
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               किती थी कक कभी चचडड़यों को मत मारना ।लककन मन में यि लालच था चचडड़यों का िून
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               गुलल को वपलान क बाद गुलल का ननशाना और पक्का िो िाएगा ।
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                       िमार आिंगन में गुडिल का एक घना पड़ था इसमें अक्सर गौरया का झुड आया करता
                                                                                               िं
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               था ।एक हदन दोपिर,अम्मा लोग पापड़ बनान में व्यस्त थ ।मरी ड्यूटी पापड सुिान और बदर
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               भगान क सलए लगी थी  इस बीच मै लगातार चचडड़यों का इिंतिार करता रिा,चचडड़यों क कई
                                                                                                        े
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               झुड आए और गए ।कई बार ननशाना लगाया, मगर चूक गया ।क ु छ दर बाद एक अकली चचडड़या
                                                                                                  े
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               आकर  बठ  गई  ।मैंन  पिल  स  एक  बड़ा  पत्थर  अपन  पास  रि  सलया  था,  ताकक  अगर  सिी
                                                                                                             े
               ननशाना लग िाए तो चचडड़या को तुरत क ु चल कर मार डालूगा और उसका िून गुलल क  बत्त
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               को वपलाऊगा । मौका दिकर मैंन चचडड़या पर ननशाना साधा और गुलल चला दी ।पत्थर ननशान
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                                                                                    े
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               पर लगा था और चचडड़या पत्तों क बीच स बलिाती िई िमीन में आ गई ।मैं िुशी स झूम उठा
                                                                   ु
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                              े
               और  पत्थर  लकर  चचडड़या  को  मारन  दौड़ा  ।दौड़त  िए  मैंन  दिा,चचडड़या  पिंि  फड़फड़ान  की
                                                                  े
                                                                                                         े
                                                                     ु
                                  ै
               कोसशश कर रिी ि मगर  उड़ निी पाती ।मैंन दौड़न की गनत बढ़ाई ताकक िल्दी उसको क ु चल
                                                 िं
                                                            े
                                                                   े
                                             े
                          े
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                                                                                          िं
               सक ू  ।उसक पास पिचकर मैंन दिा चचडड़या एक कर ट ककए िए पड़ी थी,पिों में थोड़ी िलचल
                                               े
                   िं
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                                                                              ु
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                                                                                                             े
               थी,मैं बस पत्थर उठाकर उस मारन को िी था कक अचानक मरी आिंिें चचडड़या की आिंिों स
                                            े
                                                   े
                                                                                                   े
               समल गई ।चचडड़या बड़ी कातर दृजष्ट स मरी ओर दि रिी थी,मानो कि रिी िो,”तुमन मुझ क्यों
                                                                                                        े
                                                        े
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                                                                 े
               मारा, मैंन तुम्िारा क्या बबगाड़ा था “ आि भी मुझ चचडड़या की  ि बोलती आिंिें याद ि ।उसको
                                                                                                     ै
                                                                े
                        े
               याद करता ि तो हदल कचोटता ि ।मैंन तुरत पत्थर को फ ें क हदया और भग ान स प्राथशना करन
                                                                                                             े
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                                                                               े
                                                                    े
               लगा,ि भग ान ककसी तरि चचडड़या की िान बचा दना आि क बाद कभी ककसी चचडड़या को
                     े
                        िं
               निीिं माऱूगा ।
                                                                                                           31
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