Page 27 - तुतारी
P. 27

ी  ने  कहा  :-  "  नह   तुम  मूख   कसे  हो  सकते  हो।
                                           ै
                                                     े
                                                                             ै

               मूख   दो  ही  ह।  पहला  राजा  जो   बना  यो ता  क  भी  सब  पर  शासन  करता  ह,  और  दस ू रा  दरबारी  पं डत  जो
                                                                                                     ै
                                    े
                                                                 े
               राजा  को   स   करने  क   लए  ग़लत  बात  पर  भी  तक  करक  उसको  सही   स   करने  क   चे ा  करता  ह"!

                                                           े
                                                                        े
               (कछ  बोल  न  सकने  क      त  म   का लदास  वृ ा  क  पैर  पर   गर  पड़  और  पानी  क   याचना  म    गड़ गड़ाने  लगे)
                 ु
               वृ ा  ने  कहा  :-  उठो  व   !  (आवाज़  सुनकर  का लदास  ने  ऊपर  दखा  तो  सा ात  माता  सर ती  वहां  खड़ी  थी,
                                                                      े
               का लदास  पुनः  नतम क  हो  गए)
                                                                          े
               माता  ने  कहा  :-   श ा  से   ान  आता  ह  न   क  अहकार  ।  तुमने   श ा  क  बल  पर   ा   मान  और    त ा  को
                                                        ं
                                               ै
               ही  अपनी  उपल    मान   लया  और  अहकार  कर  बैठ  इस लए  मुझे  तु ार  च ु  खोलने  क   लए  ये   ांग
                                                                           े
                                                          े
                                                                                       े
                                                ं
               करना  पड़ा  !!
               का लदास  को  अपनी  गलती  समझ  म   आ  गई  और  भरपेट  पानी  पीकर  वे  आगे  चल  पड़। े
               *****

                                                                                                 एक संकलन



















































                                                           24
   22   23   24   25   26   27   28   29   30   31   32