Page 26 - तुतारी
P. 26
ं
े
का लदास को वयं क ान का अहकार शव सह
व र. बंधक (राजभाषा)
े
का लदास को यं क ान का अहकार
ं
का लदास बोल :- "माते पानी पला दी जए बड़ा पु होगा"!
े
ंू
ी बोली :- बेटा म तु जानती नह . अपना प रचय दो। म अव पानी पला दगी।
ृ
का लदास ने कहा :- म प थक , कपया पानी पला द।
ँ
ी बोली :- "तुम प थक कसे हो सकते हो?, प थक तो कवल दो ही ह सूय व च मा, जो कभी कते नह !
े
ै
हमेशा चलते रहते ह। तुम इनम से कौन हो स बताओ।
ृ
का लदास ने कहा :- म मेहमान कपया पानी पला द।
ँ
ै
ी बोली :- "तुम मेहमान कसे हो सकते हो ? संसार म दो ही मेहमान ह। पहला धन और दस ू रा यौवन!
इ जाने म समय नह लगता। स बताओ कौन हो तुम ?
े
े
(अब तक क सार तक से परा जत हताश तो हो ही चुक थे)
े
ं
े
का लदास बोल :- म सहनशील । अब आप पानी पला द।
ै
ी ने कहा :- "नह , सहनशील तो दो ही ह। पहली, धरती जो पापी - पु ा ा सबका बोझ सहती ह"!
े
उसक छाती चीरकर बीज बो दने से भी अनाज क भंडार दती ह, दस ू र पेड़ जनको प र मारो फर भी
े
े
ै
े
े
मीठ फल दते ह। तुम सहनशील नह । सच बताओ तुम कौन हो?
े
े
(का लदास लगभग मू ा क त म आ गए और तक- वतक से झ ाकर बोल)
ँ
का लदास बोल :- म हठी ।
े
ी बोली :- " फर अस . हठी तो दो ही ह- पहला नख और दस ू र े के श, कतना भी काटो बार-बार नकल
आते ह। स कह कौन ह आप?
(पूरी तरह अपमा नत और परा जत हो चुक थे)
े
का लदास ने कहा :- फर तो म मूख ही ।
ँ
23