Page 21 - तुतारी
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मानव - तन पर कत ता िनितन बी. नीलवण
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व र. टाफ कार डाईवर (एसजी)
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!! ह भगवान !!
कोई आवेदन नह था, कोई सफा रश नह थी, कोई असाधारण उपल नह थी,
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फर भी सर क बाल से लकर पैर क अंगूठ तक 24 घंट भगवान आप र का संचार करते ह...
जीभ पर नय मत अ भषेक
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मेर दय को आप लगातार चलाते हो...
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आपने सतत चलते रहने वाला कौन सा यं फट कया ह ह भगवान...
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पैर क नाखून से सर क बाल तक अबाध संचरण तं .....
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यह कस अ श से चल रहा ह?
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मुझे कछ समझ नह आ रहा ह। ै
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हाड़-मांस क ट ू म बनने वाला र एक जी वत आ कट र ह...
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मेर पास इसका कोई नशान नह ह। ै
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हजार- हजार मेगा प ल वाल दो कमर चौबीस घंट सार नजार रकॉड कर रह ह।
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जीभ नामक एक ट टर (परी क) जो दस-दस हजार का परी ण करता ह, ै
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एक संवेदी णाली जसे चा कहा जाता ह जो असं इ य को समझती ह...
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और......
अलग-अलग सी क आवाज़ पैदा करता ह एक वर णाली
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और......
उस सी क को ड ग और डको ड ग करने वाला कान नाम का एक उपकरण ........
पचह र तशत पानी से भरा यह शरीर पी टकर हजार छद होने पर भी कह से लीक नह होता....
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बना ड क म खड़ा हो सकता ...कार क टायर घस जाते ह, ल कन पैर क तलवे कभी नह घसते।
ऐसी अ ुत शरीर-रचना क आपने भगवान...
मेरी सदा आप र ा करते हो, मुझे ृ त, श , सुख-शां त सब आप दते हो भगवान...। म आपसे और ा माँगूं...
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आपही हमारी आ मा क अंदर बैठ ह और मेर शरीर को चला रह ह सब कछ अ ुत ह, अ व सनीय,
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अक पनीय ह भगवान...
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मुझे इस बात का हमेशा रण, चतन होता रह और म तपल कत ता क भाव से आपका सदा ऋणी बना र ँ
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यही भु क चरण म मेरी ाथ ना ह। ै
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