Page 6 - तुतारी
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संदश
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ह ी क वै क प और भारत क व वधता को एक सू म बांधे रखने म ह ी भाषा का मह पूण योगदान
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रहा ह। ह ी सदव से आम बोलचाल क भाषा रही ह। इसे सरकारी काय म भी उसी सरलता और सहजता क
साथ योग करने क ज ेदारी हम सब क ह। ै
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राजभाषा काया यन क लए क सरकार ारा जारी ल एवं सं वधान म उ खत राजभाषा संबंधी नयम
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एवं आदश का पालन करना हमारा दा य ह। राजभाषा ह ी का योग करने म हम गव महसूस होना चा हए।
म अपने सा थय से अनुरोध करता क वे अपने द नक कामकाज म राजभाषा ह ी का अ धक से अ धक योग
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कर और राजभाषा संबंधी नयम एवं आदश का समु चत अनुपालन कर।
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मुझे इस बात क खुशी हो रही ह क हडको मुंबई े ीय काया लय राजभाषा ह ी गृह प का "तुतारी" का तीय
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अंक का शत करने जा रहा ह। म आशा करता क े ीय काया लय क सभी का मक राजभाषा ह ी क त
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अपनी संवैधा नक ज ेदारी का नव हन करते ए इस प का म हडको क याकलाप क रपोट, लख, कहानी
एवं व भ सा ह क रचनाओ क ारा अपनी रचना क तभा को द शत करगे।
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म प का " ततारी" क काशन क लए हडको मबई ीय कायालय एवं सपादक मडल को प का क सफल
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काशन क हा दक शभकामनाए दता । ँ
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कलदीप नारायण (आई.ए.एस.)
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अ एवं बंध नदशक
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