Page 9 - तुतारी
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संदश
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यह अ ंत गव का वषय ह क हडको मु ई े ीय काया लय राजभाषा क चार- सार क उ से ह ी गृह
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प का "तुतारी" क तीय अंक का काशन करने जा रहा ह। यह राजभाषा क उ रो र ग त म एक सराहनीय
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यास ह जो क ह ी क काय और मान-स ान को बढ़ाने क लए ेरणा दान करता ह। म आशा करता ँ
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क े ीय काया लय क सभी का मक इसी तरह राजभाषा ह ी क त अपनी संवैधा नक ज ेदारी नभाते
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रहगे।
इस प का क काशन क लए हडको मु ई े ीय काया लय एवं संपादक मंडल को मेरी शुभकामनाए| ं
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सुर कमार
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महा बंधक ( रा.भा.)
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