Page 38 - आवास ध्वनि
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भारत में मष्हला सशर्तिकरण
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छले कछ दशकों से भलारत सहित र्ूरी दषुनिर्ला में महिलला ‘वस्ओं’ की तरि मलािला जलातला थला शजन्हें खरीदला और बेचला जला
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सशशक्तकरण कला ववषर् एक ज्लंत मद्ला बि गर्ला सकतला थला। भलारत में लंबे समर् तक महिललाए अर्िे घर की
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िै। संर्षुक्त रलाष्ट की कई एजशसर्ों िे अर्िी ररर्ोटयों में इस बलात र्र चलार दीवलारों क भीतर रिती थीं। र्षुरुषों र्र उिकी निभ्यरतला र्ूरी
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जोर हदर्ला िै नक लवगक मद् को सवपोच् प्रलाथवमकतला दी जलािी तरि से थी।
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चलाहिए। र्ि मलािला जलातला िै नक महिललाओं को अब समलाितला क िम सभी जलािते िैं नक अब लड़नकर्लाँ लड़कों की तलिला में
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ललए और इतजलार करिे क ललए ििीं किला जला सकतला िै। स्ल में बेितर कर रिी िैं। मलाध्यवमक और उच् मलाध्यवमक
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र्षुरुषों और महिललाओं क बीच असमलाितला और महिललाओं बोि र्रीक्षलाओं क वलावषक र्ररणलाम इस तथ्य को प्रकट करते
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क खखललाि भेदभलाव भी र्ूरी दषुनिर्ला में सहदर्ों र्षुरलािे मद् रिे िैं। र्षुरुषों की तलिला में महिललाए अशधक निग्ी प्रलाप्त कर रिी िैं,
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िैं जो र्षुरुषों क सलाथ समलाितला क ललए महिललाओं की खोज और िर क्षेरि में िई िौकररर्लां कर रिी िैं। महिललाए आशथक क्षेरि
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एक सलाव्यभौवमक घटिला शसद्ध करतला िै। महिललाओं िे शशक्षला, में श्वमकों, उर्भोक्तलाओं, उद्यवमर्ों, प्रबंधकों और निवेशकों क
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रोजगलार, ववरलासत, वववलाि, रलाजिीवत और िलाल िी में धम्य क रूर् में बड़ी से बड़ी भूवमकला निभला रिी िैं। द इकोिॉवमस्ट, ‘वीमेि
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क्षेरि में भी मौलवी क रूर् में कलाम करिे क ललए र्षुरुषों क एि द वर्ल इकोिॉमी’ की एक ररर्ोट्य क अिषुसलार, 1950 में,
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सलाथ समलाितला की मलांग की िैI महिललाए अर्िे ललए र्ररवत्यि कलाम करिे की उम् की कवल एक वतिलाई अमेररकी महिललाओं
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की विी रणिीवतर्लाँ चलािती िैं जो सहदर्ों से र्षुरुषों क र्लास िैं क र्लास वेतिभोगी िौकरी थी।
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जैसे नक समलाि कलाम क ललए समलाि वेति। समलाितला की उिकी अब िम महिललाओं को लगभग िर क्षेरि में दख सकते िैंः
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खोज से कई महिलला संघों क गठि तथला आदोलिों कला प्रलादषुभला्यव वलास्कलला, वकलालत, ववत्तीर् सेवला, इजीनिर्ररग, शचनकत्सला,
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हुआ िै। सेिला, आईटी, अन्ररक्ष र्लारिी इयिलाहदI र्िलाँ तक नक आईएएस,
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20वीं शतलाब्दी में दषुनिर्ला भर में महिललाओं की ब्स्वत में आईर्ीएस जैसे शीष्य र्दों र्र भी बला्ज़ी मलार रिी िैं I कछ महिललाओं
अववविसिीर् रूर् से वृलद्ध हुई िै। भलारत और अन्य जगिों र्र िे स्वर् सिलार्तला समूि संचलाललत कर आर्िी जीववकला उर्लाज्यि
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18वीं और 19वीं शतलाब्दी में र्ि बहुत कम रिला िै जब उन्हें कला बेितरीि सलाधि जटलार्ला िै I इस िई र्िल िे महिललाओं क
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िलाथों में आशथक शशक्त भी दी िै शजसक ललए वे र्िले र्ूरी तरि
से र्षुरुषों र्र निभ्यर थीं। अब आशथक रूर् से स्वतंरि
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महिललाए अर्िे व्यशक्तगत जीवि क बलारे में अशधक
आत्मववविलास मिसूस करती िैं। इसललए, वे शशक्षला,
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वववलाि आहद क बलारे में व्यशक्तगत निण्यर् ले रिी िैं।
आज समलाज में कलामकलाजी महिललाओं कला
एक िर्ला स्वरूर् उभर रिला िै शजसमें दोिों
सलाथी घर से बलािर कलाम करते िैं लेनकि
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घर क कलाम और बच्ों की दखभलाल में
समलाि रूर् से भलाग ििीं लेते िैं जैसला नक िम
र्श्चिमी र्ररवलारों में दखते िैं। भलारत में,
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र्षुरुष क र्ैतृक दृहटिकोण में ज्यलादला
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बदललाव ििीं आर्ला िै। इस हदशला में
कलामकलाजी र्वत-र्त्नी को दृहटिकोण
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में सधलार करिे की आवश्यकतला िैं I
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