Page 37 - आवास ध्वनि
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र्ढ़लाई क मलाध्यम क रूर् में उिक अिषुभव एवं प्रलांतीर् भलाषलाओं आज र्ि समझिे की आवश्यकतला िै नक अग्जी अथवला ववदशी
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क ववषर् में उिक ववचलार आज भी र्ूरी तरि प्रलासंवगक िैं। आज भलाषलाए कवल व्यवसलाशर्क निमला्यण कर सकती िैं नकत दश
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भी नकतिे िी ववद्यलाथती र्ढ़लाई कला मलाध्यम अग्जी िोिे क कलारण प्रेम, दूसरों की सेवला, वसधैव कटषुंबकम और सववे भवंत सखखि:
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र्ढ़लाई बीच में िी छोड़ दते िैं। आज भी नकतिे िी ववद्यलालर्ों जैसे ऊचे मूल्यों से समस्तवित व्यशक्त निमला्यण कला सलाधि तो मलातृ
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में हिदी अथवला प्रलादशशक भलाषला बोलिे र्र दि क समलाचलार सषुिे भलाषलाए िी िैं।
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जलाते िैं। आज भी दश क ललाखों िलागररक अग्जी सीखिे में िी भलारतवष्य क संववधलाि में हिदी सहित सभी भलारतीर् भलाषलाओं
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अर्िी बड़ी शशक्त कला व्यर् कर रिे िैं। गलांधी जी िे बहुत स्टितला क ववकलास की बलात ललखी िै। आज र्ि भी समझिे की
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से ललखला- रूस िे वबिला अग्जी क ववज्लाि में इतिी उन्नवत की िै। आवश्यकतला िै नक हिदी अथवला भलारतीर् भलाषलाए एक दूसरे की
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आज अर्िी मलािशसक गललामी की वजि से िी िम र्ि मलाििे शरिषु ििीं िैं। प्रयिेक भलारतीर् भलाषला कला अथवला स्लािीर् बोली
लगे िैं नक अग्जी क वबिला िमलारला कलाम ििीं चल सकतला। क्ला कला अर्िला सौंदर््य िै। हिदी सहित सभी भलारतीर् भलाषलाए दूसरी
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आज भी हभन्न-हभन्न रूर्ों में अग्जी की मलािशसक गललामी जोरों भलाषला क शब्दों को भी ग्िण करती िैं और समृद्ध िोती िैं। हिदी
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र्र ििीं िै? रलाष्टीर् शशक्षला िीवत 2020 बहुभलाषलावलाद और भलाषला हदवस कवल हिदी क प्रचलार-प्रसलार र्र िी कहद्रत ि रिे अहर्त षु
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की शशक्त शीष्यक से इस ववषर् र्र गंभीरतला से ववचलार करती हिदी क सलाथ-सलाथ सभी भलारतीर् भलाषलाओं क प्रचलार-प्रसलार में भी
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िै। विलाँ ललखला िै- र्ि सव्यववहदत िै नक छोटे बच् अर्िे घर सिलार्क िो। आज जब हिदी को रलाजभलाषला बिलािे की बलात आती
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की भलाषला/ मलातृभलाषला में सलाथ्यक अवधलारणलाओं को अशधक तेजी िै तब सभी को खले मि से उसे स्वीकलार करिला चलाहिए। क्ोंनक
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से सीखते िैं और समझ लेते िैं। घर की भलाषला आमतौर र्र संववधलाि में दविलागरी ललहर् में ललखखत हिदी संघ की रलाजभलाषला
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मलातृभलाषला र्ला स्लािीर् समदलार्ों द्लारला बोली जलािे वलाली भलाषला िोगी,ऐसला प्रववधलाि
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िै।... जिलाँ तक संभव िै। तदिषुसलार र्ि
िो कम से कम ग्ेि आवश्यक िै नक हिदी
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5 तक लेनकि बेितर रलाजभलाषला बिे। आज
र्ि िोगला नक र्ि ग्ेि रलाष्टीर् एवं वैश्विक
8 और उससे आगे िलक र्र हिदी कला
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तक भी िो, शशक्षला कला ववस्लार तेजी से िो रिला
मलाध्यम घर की भलाषला/ िै। र्ि इस बलात क भी
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मलातृभलाषला/स्लािीर् संकत दतला िै नक हिदी
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भलाषला/ क्षेरिीर् भलाषला अन्य भलारतीर् भलाषलाओं
िोगी। रलाष्टीर् शशक्षला को भी सलाथ लेकर बढ़
िीवत में वलणत उक्त रिी िै। आज ववकशसत
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प्रववधलाि अब संकल्प िोते भलारत क ललए र्ि
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रूर् में हक्रर्लाविर्ि आवश्यक िै नक हिदी
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की ब्स्वत में िैं और एवं मलातृ भलाषलाओं क
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मेनिकल एवं इजीनिर्ररग जैसे तकिीकी ववषर् को भी अब मलाध्यम से व्यशक्त निमला्यण क प्रर्लास िों। व्यशक्त निमला्यण िो गर्ला
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हिदी एवं प्रलांतीर् भलाषलाओं में र्ढ़लािे कला कलार््य शरू िो चकला िै। तो रलाष्ट निमला्यण स्वर्ं िी िो जलाएगला।
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n डॉ. वदप्रकाश
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अशसस्टेंट प्रोिसर, हिदी ववभलाग
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नकरोड़ीमल कॉलेज, हदल्ी ववविववद्यलालर्
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