Page 13 - चिरई - अंक-3
P. 13

िंदश
                                                                                                      े










                           दीपंकर दत्ा                                                अर्चचिता दत्ा
                 सहायक महाप्रबंधक (सचचवरीय)                                           उप प्रबंधक (नवत्)
                     एवं हह ं दरी नोडल अचधकाररी                                       एवं नोडल सहायक


                                                                      ै
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                       क्ष् प्रानप् एक नवधशष्, वांछनीय लक्ष् तक पहुचने की प्रनक्रया ह। लक्ष् प्रानप् क मुख्य घटक योजना, प्रयास और
                 ल ननष्ादन हैं। योजना में एक स्पष् दृनष् बनाना शानमल है नक आप क्ा हाधसल करना चाहते हैं और एक योजना नवकधसत
                                                                                       ै
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                 करना चाहते ह। उपाय में आपक सपने को साकार करने क धलए आवश्क काय्क करना शानमल ह। ननष्ादन में आपका लक्ष्
                                                           े
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                 लेना, उसे नक्रया में बदलना और अपनी प्रगनत की ननगरानी करना शानमल ह।
                                                                       ै
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                      हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही ह नक कड़ी मेहनत, समप्कण, लगन, प्रनतबधिता क बाद, क्षेत्ीय काया्कलय,
                                                                                         े
                                                                                                      ै
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                 कोलकाता अपना वांधछत लक्ष् तक पहुच पाया ह यानी नहंदी पत्ाचार में न कवल 55% क लक्ष् को पार कर धलया ह बल्कि
                                                                        े
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                 नपछले दो नतमाही में 70-75% तक पहुच गया ह। यह हमार क्षेत्ीय प्रमुख (प्रभारी) श्ी दबेश चक्रबतती की दृढ़ प्रनतबधिता,
                                                      ै
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                 समथ्कन और प्रोत्साहन क कारण हो पाया। उनक माग्कदश्कन ने हमें लक्ष् प्रानप् की चुनौती का सामना करने का साहस नदया।
                                  े
                      वष्क 2019 कोलकाता क्षेत्ीय काया्कलय क धलए एक शानदार साल था, हमारी नहंदी गृह पनत्का "धचरई" अपनी यात्ा
                                                    े
                 शुरू की थी।  "धचरई"  का पहला सस्रण धसतबर, 2019 को प्रकाधशत हुआ था।  कोनवड-19 महामारी क कारण कोलकाता
                                                   ं
                                                                                             े
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                 क्षेत्ीय काया्कलय 2020 और 2021 की कोई भी नहंदी पनत्का प्रकाधशत नहीं कर सका। वष्क 2022 में हडको क्षेत्ीय काया्कलय,
                                                   ं
                 कोलकाता ने नहंदी पनत्का "धचरई" का दूसरा सस्रण प्रकाधशत नकया।
                      मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही ह नक अपने नपछले अनुभव, माग्कदश्कन और शुभधचंतकों क प्रोत्साहन क साथ, हम
                                                                                         े
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                 कोलकाता क्षेत्ीय काया्कलय क नहंदी गृह पनत्का "धचरई" का तृतीय सस्रण प्रकाधशत करने जा रहा ह। अपनी पनत्का की
                                                                                                  ै
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                 गुणवत्ता को बनाए रखने क धलए, हमने बहुत प्रयास की ह। यह हमार सहयोनगयों क सामूनहक समथ्कन से हुआ ह।
                                                                             े
                                                           ै
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                      मुझे आशा ह नक सम्ाननत वररष्ठ अधधकारी, सहकमती, पाठक क सहयोग से हम आगे भी एक उत्ादक, चुनौतीपूण्क और
                                                                   े
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                 सफल प्रकाशन कर पाएगे। ननरतर सुधार की भावना में, हमार अगले प्रकाशन को सुव्यवल्स्थत और गुणवत्ता-उन्ख बनाने क
                                                                                                          े
                                                                                                  ु
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                 धलए नकसी भी रचनात्मक ननवेश का अत्यधधक स्वागत ह।
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                                                                                                     ूँ
                      कोलकाता क्षेत्ीय काया्कलय की ओर से, हम सभी लेखकों, सरक्षकों और पाठकों को शुभकामनाए दना चाहता हू।
                                                                                           ं
                                                         िीपंकर ित्ता                 अर्चचिता ित्ता
                                                     नहंदी नोडल अधधकारी           नहंदी नोडल अधधकारी
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        "िि को एक सूरि में बाँधे रखने क लिए एक भाषा की आवश्यकता ह।"   हडको, क्त्रीय काययालय, कोलकाता करी अर्वार्षिक हहन््दरी गह पहत्का  13
                                                                       षे
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                     - सेठ गोपवंििास
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