Page 9 - चिरई - अंक-3
P. 9

िंदश
                                                                                                   े
















                                               अरूण क ु मेार चतुववेदी

                                               प्रमुख सतकता अचधकाररी
                                                         या





                                      मु   झे  जानकर  अत्यन्त  हष्क  हो  रहा  ह  नक  हडको  क्षेत्ीय
                                                                          ै
                                           काया्कलय,  कोलकाता  राजभाषा  गृह  पनत्का  धचरई  का

                                            ं
                                                                       ै
                                     तृतीय सस्रण प्रकाधशत करने जा रहा ह। यह पनत्का राजभाषा
                                     नीनत क अनुपालन, काया्कन्वयन और प्रचार-प्रसार की नदशा में
                                            े
                                                                        े
                                     एक सराहनीय प्रयास ह। इस पनत्का क माध्यम से लेखन में
                                                          ै
                                     रूधच रखने वाले सभी कानम्ककों को अपनी सृजनात्मक अधभव्यनति
                                                       ै
                                     का अवसर नमलता ह।
                                                                       े
                                          इस पनत्का क सफल प्रकाशन हतु क्षेत्ीय काया्कलय को
                                                      े
                                                      ं
                                     हानद्कक शुभकामनाए ह।
                                                        ैं




                                                                                         वे
                                                                      अरूण कुमार चतुविी
                                                                                ्क
                                                                      प्रमुख सतकता अधधकारी









                                                                                                                9
        "दहंिी ही भारत की राष्ट्भाषा हो सकती ह।" - वी. कष्णस्ामी अय्यर  हडको, क्त्रीय काययालय, कोलकाता करी अर्वार्षिक हहन््दरी गह पहत्का
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                                  ृ
                                                                       षे
                                                                                          ्ध
                                                                                                  ृ
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