Page 6 - चिरई - अंक-3
P. 6

िंदश
                                                                                                   े

















                                              क ु लदीप नारायण
                                              अध्यक् एवं प्रबंध ननदशक
                                                                  षे



                             मु   झे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता ह नक हडको क्षेत्ीय काया्कलय, कोलकाता द्ारा
                                                              ै

                                                                  ं
                                  अपनी गृह पनत्का 'धचरई' क प्रथम एव नद्तीय अंक क सफल प्रकाशन क पचिात्
                                                         े
                                                                              े
                                                                                              े
                                                         ै
                        तृतीय अंक का प्रकाशन नकया जा रहा ह। हडको क्षेत्ीय काया्कलय, कोलकाता द्ारा राजभाषा
                        क प्रचार-प्रसार एव प्रगामी प्रयोग को बढ़ावा दने हतु नहंदी पनत्का का प्रकाशन नकया जाना
                                                                  े
                                       ं
                         े
                                                               े
                                                             ं
                                                                          ै
                        राजभाषा क उत्तरोत्तर नवकास में अत्यन्त प्रशसनीय प्रयास ह।
                                 े
                                                                                             े
                                                                             ं
                                                                          े
                                        ूँ
                            आशा करता हू नक इस पनत्का का प्रकाशन काया्कलय क सवैधाननक दानयत्ों क ननवा्कह
                        की पूनत क साथ-साथ राजभाषा क प्रचार-प्रसार में भी सहयोगी धसधि होगा।
                              ्क
                                                     े
                                े
                                                                            ं
                                                                     ृ
                                                                         े
                                                                  ं
                            पधचिम बगाल तथा धसनकिम राज्य की समृधि सस्नत क सदभ्क में पनत्का क ज्ानवधिक
                                   ं
                                                                                          े
                                                                                                  ्क
                               ं
                                                                      े
                        लेख एव हडको की काय्क प्रणाली का समावेश पाठकों क धलए उपयोगी धसधि होगा। पनत्का
                                                                             ं
                         े
                                                     े
                                     े
                        क तृतीय अंक क सफल प्रकाशन क धलए सभी अधधकाररयों एव कम्कचाररयों को मेरी हानद्कक
                                  ं
                        शुभकामनाए।
                                                                                   कुििीप नारायण
                                                                                       ं
                                                                                                े
                                                                              अध्यक्ष एव प्रबध ननदशक
                                                                                           ं
            6        अंक-3 :  अप्रैल 2022 - मार््च  2023                               "दहंिी का पौधा िक्क्णवािों ने त्ाग से सींचा ह।"
                                                                                                               ै
                                                                                                       े
                                                                                              - िंकरराव कप्ीकरी।
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