Page 7 - चिरई - अंक-3
P. 7
िंदश
े
एमे. नागराज
षे
ननदशक (कलॉपपोरट प्ाननंग)
षे
ह अत्यन्त हष्क का नवषय ह नक हडको क्षेत्ीय काया्कलय, कोलकाता अपनी
ै
य राजभाषा गृह पनत्का 'धचरई' के तृतीय अंक का प्रकाशन कर रहा है। गृह
ं
पनत्काए नवषयों की प्रस्ुनत मात् ही नहीं वरन् भावी प्रगनत की नवकास का काय्क भी
ै
करती ह।
े
े
राजभाषा क प्रनतपूण्क समप्कण क साथ-साथ कोलकाता क्षेत्ीय काया्कलय, पधचिम
े
ं
बगाल तथा धसनकिम राज्य क नवकास में कई वषषों से नवधभन्न योजनाओं में नवत्तपोषण
े
क माध्यम क साथ अहम भूनमका ननभाते हुए पधचिम बगाल तथा धसनकिम राज्य क
े
ं
े
ै
े
नवकास में अपना अनुपम योगदान द रहा ह।
ं
ं
े
मैं कोलकाता क्षेत्ीय काया्कलय क सभी कानम्ककों तथा पनत्का क सपादक मडल
े
को इस ज्ानवधिक पनत्का क प्रकाशन क धलए बधाई दता हू।
ूँ
े
्क
े
े
एम. नागराज
े
ननदशक (कॉपपोरट प्ाननंग)
े
े
ं
"अकबर से िेकर औरगजेब तक मुगिों ने लजस ििभाषा का स्ागत हडको, क्त्रीय काययालय, कोलकाता करी अर्वार्षिक हहन््दरी गह पहत्का 7
ृ
्ध
षे
ककया वह ब्रजभाषा थी।" -रामचंरि िुक्ल