Page 8 - चिरई - अंक-3
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िंदश
                                                                                                  े
















                                              डी. गुहन

                                              ननदशक (नवत्)
                                                 षे





                               मु   झे जानकर अत्यन्त प्रसन्नता ह नक कोलकाता क्षेत्ीय काया्कलय द्ारा अपनी
                                                            ै
                                    राजभाषा गृह पनत्का धचरई क तृतीय सस्रण का प्रकाशन नकया जा रहा
                                                            े
                                                                    ं
                                                                   े
                                ै
                              ह। कोलकाता क्षेत्ीय काया्कलय राजभाषा क प्रयोग और काया्कन्वयन की नदशा
                              में सदव अग्रणी रहा ह तथा इस क्रम में कोलकाता क्षेत्ीय काया्कलय द्ारा नहंदी
                                                 ै
                                    ै
                                                                    ै
                              गृह पनत्का 'धचरई' का प्रकाशन प्रशसनीय ह।
                                                            ं
                                   नकसी भी काया्कलय की गृह पनत्का काया्कलय क काय्ककलापों का दप्कण
                                                                            े
                                                                                 े
                                     ैं
                                                                                                ं
                                         ं
                              होती ह, एव राजभाषा माध्यम से इसका प्रस्ुनतकरण इसक प्रचार-प्रसार एव
                                                                                   ूँ
                              प्रयोग को बढ़ाने में भी सहायक होता ह। मैं आशा करता हू नक कोलकाता
                                                                 ै
                                                                                       े
                              क्षेत्ीय काया्कलय की गृह पनत्का अपने उद्श्ों में सफलता प्राप् करगी।
                                                                  े
                                   शुभकामनाओं सनहत।


                                                                                       डी. गुहन

                                                                                      े
                                                                                   ननदशक (नवत्त)







            8        अंक-3 :  अप्रैल 2022 - मार््च  2023                           "राष्ट्भाषा दहंिी का ककसी क्ेरिीय भाषा से कोई संघषया नहीं ह।" -
                                                                                                                ै
                                                                                              अनंत गोपाि िेवड़। े
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