Page 26 - चिरई - अंक-3
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रत क प्रस्ाव क बाद सयुति राष्ट् द्ारा एफएओ (सयुति राष्ट् क खाद्य और कनष
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भा वष्क 2023 को "अंतरा्कष्ट्ीय बाजरा संगठन) की एक ररपोट्क के मुतानबक - "वैधविक
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वष्क" घोनषत नकया गया ह। हमार माननीय प्रधान कनष खाद्य प्रणाली को बढ़ती आबादी को धखलाने
मत्ी क नेतृत् में भारत इस "बाजरा नमशन" की क धलए चुनौनतयों का सामना करना पड़ता ह,
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शुरुआत कर रहा ह और 72 दश इस नमशन में बाजरा जैसे लचीला अनाज एक नकफायती और
प्रशांत क ु मेार क ु वंर भाग ले रह ह। पौनष्क नवकल्प प्रदान करते ह और प्रयासों
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िंयुक्त मेहाप्रर्िक (पररयोजना) को बढ़ावा दने क धलए प्रयास नकए जाने की
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“क्ों भारत इन पोषक अनाजों को खाने
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की मेज पर वापस लाने क धलए दुननया पर जोर आवश्कता ह उनकी खेती। ”2019-2020
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द रहा ह ? क बीच एधशया में स्वस्थ आहार की लागत में
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सबसे अधधक 4% की वृनधि दखी गई, धजसक
भारत को दुननया का बाजरा हब माना जाता
पररणामस्वरूप लगभग 3.1 नबधलयन लोग
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ह क्ोंनक एधशयाई दशों में गेहू क कल उत्ादन
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2020 में स्वस्थ आहार नहीं ले सक। हररत
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का 80% भारत द्ारा आपूनत नकया जाता ह।
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क्रांनत से पहले चावल और बाजरा का उत्ादन
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वैधविक पररदृश् में भारत कल वैधविक उत्ादन
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होता ह गेहू से ऊचा। कछ दशकों क बाद
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का 20% प्रदान करता ह। बाजरा जलवायु क
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बाजरा का उत्ादन नगर गया। इसधलए, इस
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अनुकल फसलें ह और बहुत पौनष्क ह। वे कम
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बाजरा नमशन का मुख्य उद्श् कनष आय को
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वषा्क क साथ अत्यधधक और कठोर जलवायु में
ल्स्थर करना या बढ़ाना और मुख्य खाद्य पदाथषों
नवकधसत हो सकते ह। उन् प्रसस्रण में 40%
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की पया्कप् आपूनत सुननधचित करना ह, सरकार
कम ऊजा्क की आवश्कता होती ह और वे गेहू ूँ
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स्वस्थ आहार क धलए आवश्क उनक भोजन क
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क आधे समय में बढ़ते ह।
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26 अंक-3 : अप्रैल 2022 - मार््च 2023 "समाज क अभाव में आिमी की आिममयत की कल्पना नहीं की
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जा सकती।"- पं. सुधाकर पांडय े