Page 31 - चिरई - अंक-3
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सेंस एआई • एआई हमें बेहतर ननण्कय लेने में मदद करता ह।
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• मानवीय भावनाओं, भावों, वाणी से जानकारी ननकालने में • एआई हमें और अधधक उत्ादक बनाता ह।
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सक्षम। • एआई समस्ाओं को उन तरीकों से हल करता ह जो हम
नहीं कर सकते।
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• सेंसर और हाडवेयर का उपयोग करक डाटा एकत् करता ह ै
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• एआई 24 घट काम करने में सक्षम ह।
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और उसका नवश्षण करता ह।
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नुकसान
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• स्माट होम नडवाइस आनद इसक उदाहरण ह।
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• एआई को बहुत सार डटा की जरूरत होती ह।
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ननण्कय एआई
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• एआई महगा हो सकता ह।
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• एमएल और एल्ोररदम का उपयोग करक सटीक ननण्कय
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• एआई खराब ननण्कय ले सकता ह।
लेना।
• एआई नौकररयों को नष् कर सकता ह।
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• इसानों की तरह तक करने और भनवष्यवाणी करने की क्षमता।
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• एआई मनुष्य को आलसी बना सकता ह।
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• आपूनत श्खला प्रबधन स्वास्थ् दखभाल आनद में काम आता • एआई मनुष्य को आवेगरनहत बना सकता ह।
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है।
ननष्कष्क
रोजगार क अवसर
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एआई ननस्दह एक टट्नडंग और उभरती हुई तकनीक ह। यह
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एआई ने नौकरी क अवसर भी खोलें ह। एक ररपोट क अनुसार नदन-ब-नदन बहुत तेजी से बढ़ रहा ह, और यह मशीनों को मानव
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हल््थकयर क्षेत्, ल्लिननकल डटा एनाधलस् और मेनडकल इमेधजंग मल्स्ष्क की नकल करने में सक्षम बना रहा ह। दुननया भर में
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स्पेशधलस् जैसी भूनमकाओं की तलाश में ह, बनक ं ग और नवत्त बहुत से लोग अभी भी इसे एक जोधखम भरी तकनीक क रूप में
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क्षेत्, चैटबॉट डवलपर, धोखाधड़ी नवश्षक और क्रनडट जोधखम सोच रह ह, क्ोंनक उन् लगता ह नक अगर यह इसानों से आगे
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नवश्षक की खोज में ह। मैन्युफक्चररंग क्षेत् को इडधस्ट्यल ननकल गया, तो यह मानवता क धलए खतरनाक होगा। हालॉंनक,
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डटा साइनटस्, प्रोसेस ऑटोमेशन स्पेशधलस्, प्रेनडल्क्टव मेंटनेंस एआई का नदन-प्रनतनदन नवकास इसे एक बेहतर तकनीक बना
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इजीननयर जैसी भूनमकाओं की जरूरत ह। ररटल क्षेत् को ररटल रहा ह, और लोग इससे अधधक से अधधक जुड़ रह ह। इसधलए,
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डटा एनाधलस्, आई टी प्रोसेस मॉडलर जैसी प्रोफशनल चानहए। हम यह ननष्कष्क ननकाल सकते ह नक यह एक महान तकनीक ह,
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एआई क फायद और नुकसान लेनकन नबना नकसी नुकसान क प्रभावी ढग से उपयोग करने क
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फायद े धलए प्रत्येक तकनीक का सीनमत एव ननयनत्त तरीक से उपयोग
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नकया जाना आवश्क ह।
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• एआई दोहराए जाने वाले कायषों को स्वचाधलत करता ह।
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• एआई मानवीय त्ुनट को कम करता ह।
"जब से हमने अपनी भाषा का समािर करना छोड़ा तभी से हमारा हडको, क्त्रीय काययालय, कोलकाता करी अर्वार्षिक हहन््दरी गह पहत्का 31
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अपमान और अवनपत होने िगी।" - (राजा) रामधकारमण प्रसाि लसंह