Page 33 - चिरई - अंक-3
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            जैसी पररयोजनाओं को सस्ी दरों पर इनक्टी और ऋण क
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                                      े
            रूप में दीघ्ककाधलक समथ्कन दने क धलए तैयार ह जो काब्कन
                                                 ैं
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                                         ैं
            फटनप्रंट को कम करने में मदद करते ह। भारतीय ररज़व्क बैंक
                      ं
            ने सरकारी सस्थाओं द्ारा ऐसी पररयोजनाओं को नवत्तपोनषत
                          े
            करने क धलए अकले m2023 में सॉवरन ग्रीन बॉन्ड बेचकर
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            8,000 करोड़ रुपये जुटाए ह। हाल क सौदों में से एक में,
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                                  ैं
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            नववि बैंक क सदस् अंतरा्कष्ट्ीय नवत्त ननगम (IFC) ने नपछले
            सप्ाह  टाटा  लिीनटक  कनपटल  द्ारा  जारी  ल्स्थरता  से  जुड़  े
                               ै
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                                     े
            बांड में लगभग $50 नमधलयन क ननवेश की घोषणा की, जो
                                                      ै
            नवीकरणीय ऊजा्क पररयोजनाओं को नवत्तपोनषत करता ह।
                                                                हररत नवत्त - आगे का रास्ा : हररत नवत्त का भनवष्य आशाजनक
                काब्कन डाइऑसिाइड उत्सज्कन और तेल आयात को कम
                                                                 ै
                                                                            े
                                                                                                                े
                                                                ह, लेनकन इसक धलए आम जनता सनहत सभी नहतधारकों क
                                                 े
            करने क अपने आक्रामक लक्ष्ों को पूरा करने क धलए भारतीय
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                                                                                         ै
                                                                सामूनहक प्रयास की आवश्कता ह। शुधि-शून्य भनवष्य प्राप् करने
                                             े
                                       ै
            हररत ऊजा्क में भारी ननवेश कर रहा ह। यह दश में हररत फाइनेंसरों
                                                                क  धलए  स्थायी  प्रौद्योनगनकयों  और  बुननयादी  ढांचे  में  महत्पूण्क
                                                                 े
                                              ै
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            को आकनषत करने वाले कारणों में से एक ह। भारत ने 2005
                                                                      े
                                                                ननवेश क साथ-साथ उपभोग पैटन और जीवन शैली में बदलाव
                                                                                          ्क
                                 े
            क  स्र  से  2030  तक  दश  की  काब्कन  तीव्रता  को  45%  से
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                                                                                  ै
                                                                की आवश्कता होती ह। आम जनता अपने उपभोग पैटन्क में
            अधधक  कम  करने  का  लक्ष्  रखते  हुए  अपने  राष्ट्ीय  स्र  पर
                                                                                                       े
                                                                                                               ै
                                                                जागरूक नवकल्प बनाकर इस प्रयास में योगदान द सकती ह,
                                         ै
            ननधा्कररत योगदानों को अद्यतन नकया ह। IFC क अनुमान बताते
                                                 े
                                                                जैसे नक ऊजा्क-कशल उपकरणों का उपयोग करना, कचर को कम
                                                                            ु
                                                                                                          े
            ह नक भारत को अपने नवीकरणीय लक्ष्ों को प्राप् करने क धलए
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                                                        े
                                                                करना और साव्कजननक पररवहन या इलेल्क्टट्क वाहनों का उपयोग
            2030 तक नवीकरणीय नवत्त में लगभग 403 नबधलयन डॉलर
                                                                             ं
                                                                करना। नवत्तीय सस्थान और बाजार भी स्थायी ननवेश को बढ़ावा
            की आवश्कता होगी।
                                                                                              ं
                                                                 े
                                                                दने और एक स्थायी  अथ्कव्यवस्था  में सक्रमण को सुगम बनाने
                                           े
                भारत में, हररत नवत्त ने भी हाल क वषषों में गनत प्राप् की
                                                                                            ैं
                                                                में महत्पूण्क भूनमका ननभा सकते ह। COVID-19 महामारी
             ै
            ह। भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्ोतों से 40% नबजली
                                                                ने वैधविक अथ्कव्यवस्था में लचीलापन और ल्स्थरता क ननमा्कण क
                                                                                                       े
                                                                                                                े
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            उत्ादन प्राप् करने क धलए प्रनतबधि ह, और 2022 तक 175
                                                                महत् पर प्रकाश डाला ह, और हररत नवत्त इस लक्ष् को प्राप् करने
                                                                                  ै
            GW अक्षय ऊजा्क क्षमता स्थानपत करने का लक्ष् रखा ह। सरकार
                                                      ै
                                                                में महत्पूण्क भूनमका ननभा सकता ह।
                                                                                           ै
                                े
            ने हररत नवत्त को बढ़ावा दने क धलए नवधभन्न नीनतगत उपाय पेश
                                   े
                                                                    अंत में, सतत नवकास को बढ़ावा दने और जलवायु पररवत्कन
                                                                                              े
                 ैं
                                                  ं
            नकए ह, जैसे नक नवीकरणीय ऊजा्क ननवेश, हररत बधन और हररत
                                                                को कम करने में हररत नवत्त एक महत्पूण्क उपकरण ह। इसने
                                                                                                          ै
            जलवायु कोष की स्थापना क धलए कर प्रोत्साहन। भारतीय ररजव्क
                                 े
                                                                                              ै
                                                                नववि स्र पर महत्पूण्क गनत प्राप् की ह, और भारत ने भी हररत
                                            ं
            बैंक  (RBI)  ने  भी  बैंकों  और  नवत्तीय  सस्थानों  क  धलए  अपने
                                                   े
                                                                नवत्त को बढ़ावा दने क प्रयास नकए ह। हालानक, हररत नवत्त को
                                                                                            ैं
                                                                                े
                                                                                                  ूँ
                                                                             े
                  े
            ऋण दने क ननण्कयों में ESG कारकों को एकीकत करने क धलए
                                                        े
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                                                                                             ूँ
                                                                बढ़ाने में अभी भी महत्पूण्क चुनौनतया ह, और इसे शुधि-शून्य
                                                                                                ैं
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                   वे
                                                        े
            नदशाननदश पेश नकए ह। भारत का ग्रीन बॉन्ड बाजार हाल क वषषों
                                                                              े
                                                                                                 े
                                                                भनवष्य प्राप् करने क धलए सभी नहतधारकों क सामूनहक प्रयास की
                                               ू
            में उलिेखनीय रूप से बढ़ा ह, 2020 में इश् $10.4 नबधलयन
                                  ै
                                                                आवश्कता ह। आम जनता अपने उपभोग पैटन्क में सचेत नवकल्प
                                                                          ै
                  ं
            तक पहुच गया, जो 2019 से 43% अधधक ह। हालांनक, भारत
                                               ै
                                                                बनाकर इस प्रयास में योगदान द सकती ह, और नवत्तीय सस्थान
                                                                                        े
                                                                                                            ं
                                                                                                ै
            में ग्रीन फाइनेंस को बढ़ाने में अभी भी महत्पूण्क चुनौनतयां ह, जैसे
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                                                                और बाजार एक स्थायी अथ्कव्यवस्था में पररवत्कन को सुनवधाजनक
            जागरूकता और क्षमता की कमी, अपया्कप् नीनत और ननयामक
                                                                                               ैं
                                                                बनाने में महत्पूण्क भूनमका ननभा सकते ह।
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            ढांचे, और छोट और मध्यम आकार क उद्यमों क धलए नवत्त तक
            सीनमत पहुच।
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          "भारतीय एकता क िक्ष् का साधन दहंिी भाषा का प्रचार ह।"   हडको, क्त्रीय काययालय, कोलकाता करी अर्वार्षिक हहन््दरी गह पहत्का  33
                                                                       षे
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                     - टी. माधवराव
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