Page 29 - चिरई - अंक-3
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जलवायु
                                                                        जलवायु






                                                                            परिवर््तन
                                                                            परिवर््तन


























                                          दु  ननया भर में, अत्यधधक सवेदनशील  या तेजी से आ रह ह, जहां ग्ोबल वानमिंग
                                                                   ं
                                                                                           े
                                                                                             ैं
                                                                              े
                                                                   ं
                                              लोग  और  पाररल्स्थनतक  तत्  पहले  क  1.1  नडग्री  सेल्ल्सयस  (2  नडग्री  एफ)
                                          से  ही  जलवायु  पररवत्कन  क  प्रभावों  क  से जलवायु क प्रभाव इतने लगातार और
                                                                े
                                                                          े
                                                                                        े
                                                      े
                                                                                             ैं
                                          अनुकल होने क धलए सघष्क कर रह ह।  गभीर होते जा रह ह नक कोई भी मौजूदा
                                                                              ं
                                                                       े
                                                             ं
                                                                                           े
                                                                         ैं
                                              ू
                                                              ूँ
                                                                                 ू
                                           ु
                                                े
                                                                        ैं
                    जयंत क ु मेार द े     कछ  क  धलए,  ये  सीमाए  "नरम"  ह  -  अनुकलन रणनीनत पूरी तरह से बच नहीं
                                                                    ैं
                                                                                    ै
                                                    ू
                       प्रर्िक (तवत्)     प्रभावी अनुकलन उपाय मौजूद ह, लेनकन  सकती ह नुकसान और नुकसान। उदाहरण
                        ं
                                                                              े
                                                                                             ं
                                                                          ूँ
                                          आधथ्कक, राजनीनतक और सामाधजक बाधाए  क धलए, उष् कनटबध में तटीय समुदायों
                                                                   ैं
                                                                                                           े
                                          काया्कन्वयन को बाधधत करती ह, जैसे नक  ने सपूण्क प्रवाल धभनत्त प्रणाधलयों को दखा
                                                                                ं
                                          तकनीकी  सहायता  की  कमी  या  अपया्कप्  ह  जो  एक  बार  उनकी  आजीनवका  और
                                                                              ै
                                                                     ूँ
                                          धन जो उन समुदायों तक नहीं पहुच पाता  खाद्य सुरक्षा का समथ्कन करते थे, व्यापक
                                             ूँ
                                          जहा  इसकी  सबसे  अधधक  आवश्कता  मृत्यु दर का अनुभव करते थे, जबनक समुद्र
                                               ै
                                                                              े
                                          होती ह। लेनकन अन्य क्षेत्ों में, लोग और  क बढ़ते स्र ने अन्य ननचले इलाकों को
                                                                                                     ृ
                                          पाररल्स्थनतक तत् पहले से ही अनुकलन क  उच् भूनम पर जाने और सांस्नतक स्थलों
                                                                     ू
                                                                          े
                                                     ं
                                                                                                        ै
                                                                        े
                                                                                       े
                                          धलए "कठोर" सीमा का सामना कर रह ह  को छोड़ने क धलए मजबूर नकया ह।
                                                                          ैं
                    े
         "समस्त आयायावतया या ठठ दहंिुस्तान की राष्ट् तथा लिष्ट भाषा दहंिी या   हडको, क्त्रीय काययालय, कोलकाता करी अर्वार्षिक हहन््दरी गह पहत्का  29
                                                                                                   ृ
                                                                       षे
                                                                                          ्ध
                 दहंिुस्तानी ह।" - सर जाजया मग्रयसयान
                       ै
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