Page 30 - चिरई - अंक-3
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                                                                                      कतत्मे



                                                                                   र्सधिमेत्ा
                                                                                       ु



                                                                                          या




                                                                               Artificial





                                                                           Intelligence





                                                           ै
                                                                                ै
                                           ृ
                                          कनत्म बुनधिमत्ता क्ा ह?           मैनुफक्चररंग, ररपेयररंग, व्यवसाय, कानून, नवत्त
                                          आपने  का  नाम  सुना  होगा  या  समाचार   आनद क्षेत् में इसका व्यापक रूप से प्रयोग हो रहा
                                                                             ै
                                      पत्ों, ररपोटषों आनद में इस नवषय में पढ़ा होगा।  ह। एआई तकनीक का समाज, अथ्कव्यवस्था और
                                                                                                        ै
                                                                            व्यापार पर भारी प्रभाव पड़ने वाला ह।
                                          कनत्म  बुनधिमत्ता  या  एक  अधिययन  तथा
                                           ृ
                                                                                   े
                                                           े
                                      प्रनक्रया ह धजसमें कप्टरों क माध्यम से वे काय्क   एआई क प्रकार
                                                       ू
                                                    ं
                                             ै
                                      करवाये  जाते  ह  जो  काय्क  मनुष्य  अपनी  बुनधि  नवजन एआई
                                                  ैं
                                                                       ू
                                                                     ं
                                                             ैं
                                      का प्रयोग करते हुए करता ह। इसमें कप्टरों   •  दस्ावेजों, छनवयों या वीनडयो से जानकारी
                                                              ै
                                      को बुनधिमत्ता प्रदान की जाती ह तानक वे मनुष्य   उत्न्न करता ह।
                                                                                           ै
                                                                   ें
                                                     ें
                तवक्टर भट्ाचाजती      की भांनत सोच सक व काय्क कर सक व काय्क   •  सेंसर,  कमरा,  तनत्का  नेटवक  और
                                                                                               ं
                                                                                                          ्क
                                                                                        ै
                                                      े
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                                                              ्क
               िंयुक्त मेहाप्रर्िक (आई टी)  कर सक। बुनधिमत्ता क धलए तक की क्षमता की
                        ं
                                                                                                       ै
                                                                                एल्ोररदम का उपयोग करता ह।
                                                          े
                                      आवश्कता होती ह। इसक धलए नवधभन्न नवषयों
                                                     ै
                                                                            •  चेहर  की  पहचान,  वस्  पहचान  आनद  में
                                                                                   े
                                                                                                  ु
                                           े
                                      में न कवल बहुत अधधक ज्ान की आवश्कता
                                                                                           ै
                                                                                प्रयोग आता ह।
                                            ै
                                      होती  ह  बल्कि  इस  ज्ान  को  प्रयोग  में  लाकर
                                                                            सवादी एआई
                                                                             ं
                                      नवधभन्न समस्ाओं का समाधान करने क धलए इन
                                                                  े
                                                               ै
                                      प्रणाधलयों की आवश्कता होती ह।         •       ध्वनन-आधाररत  और  पाठ  आधाररत
                                                                                वाता्कलाप करने में सक्षम।
                                           ृ
                                          कनत्म बुनधिमत्ता आज प्रयोगशाला से बाहर
                                      ननकलकर मानव जीवन का अंग बन गयी ह।  •          तुरन्त जानकारी उत्न्न करने में सक्षम।
                                                                        ै
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                                      कप्टर/मोबाइल  गेम्स  से  लेकर  धशक्षा,  कनष,  •  एल्प्के शन  चैटबॉट,  वचु्कअल  अधसस्ेंट
                                      धचनकत्सा  शास्त्,  प्रौद्योनगकी,  नडजाइननंग,   आनद इसक उदाहरण ह।
                                                                                        े
                                                                                                 ै
           30        अंक-3 :  अप्रैल 2022 - मार््च  2023                           "भारत की परपरागत राष्ट्भाषा दहंिी ह।" - नलिनपविोचन िमाया
                                                                                          ं
                                                                                                      ै
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